Lucknow News: नवजात के विकास के लिए मां के दूध से बेहतर कुछ भी नहीं है। पर बहुत सी मदर्स ने अब अपने बच्चों को ब्रेस्ट फीडिंग कराने की जगह फॉर्मूला मिल्क या गाय वगैरह का दूध देना शुरू कर दिया है। मार्केट के अनुसार बीते पांच सालों में बेबी मिल्क पाउडर की डिमांड डबल हो गई है।


लखनऊ (ब्यूरो)। नवजात के विकास के लिए मां के दूध से बेहतर कुछ भी नहीं है। पर बहुत सी मदर्स ने अब अपने बच्चों को ब्रेस्ट फीडिंग कराने की जगह फॉर्मूला मिल्क या गाय वगैरह का दूध देना शुरू कर दिया है। मार्केट के अनुसार, बीते पांच सालों में बेबी मिल्क पाउडर की डिमांड डबल हो गई है। हालांकि, डॉक्टर्स इसे नवजात की सेहत के लिए सहीं नहीं मानते। इसकी वजह से नवजात में कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं।डॉक्टर की सलाह पर ले रहे
दवा विक्रेता वेलफेयर समिति के हेड विनय शुक्ला बताते हैं कि बेबी मिल्क पाउडर का मार्केट डबल हो चुका है। अकेले राजधानी में 4-5 करोड़ रुपये की बिक्री हर साल होती है। इसमें बदलाव यह आया है कि पहले लोग खुद खरीदकर बच्चों को पिलाते थे, लेकिन अब डॉक्टर के लिखने पर ले रहे हैं। इसपर 28 पर्सेंट जीएसटी भी लगता है, इसलिए सरकार को भी इसका फायदा मिलता है। उनको अधिक टैक्स मिलता है। ऐसे में इसे ज्यादा बढ़ावा दिया जा रहा है।दामों में हुई बढ़ोतरी


मेडिसिन मार्केट के प्रवक्ता विकास रस्तोगी ने बताया कि मिल्क पाउडर 400 ग्राम के डब्बे में आता है। नॉर्मल वाला जो पहले 475 रुपये का था वो अब बढ़कर 485 का हो गया है, जबकि नॉन प्रो 400 ग्राम जो पहले 810 रुपये का था अब बढ़कर 825 रुपये का हो गया। हालांकि, यह पहले 300-350 रुपये के आसपास आता था। वहीं, सबसे सस्ता वाला 290 रुपये का आता है। हर माह करीब 3-4 डब्बे यूज हो जाते हैं।मदर मिल्क का कोई ऑप्शन नहींसंजय गांधी पीजीआई के पीडियाट्रिक गैस्ट्रो विभाग के हेड डॉ। उज्ज्ल पोद्दार ने बताया कि मिल्क पाउडर ब्रेस्ट फीडिंग यानि मदर मिल्क का कोई आल्टरनेटिव नहीं है। आज के दौर में मदर्स सोचती हैं कि वे केवल ब्रेस्ट फीडिंग से अपने बच्चे का पेट नहीं भर पाएंगी, तो डब्बे वाला दूध देने लगती हैं। कंपनियां दावा करती हैं कि ये प्रोडक्ट्स मां के दूध के बराबर न्यूट्रीशियंस देते हैं, पर यह एक महंगा ऑप्शन भी है।नवजात में कई बीमारियां बढ़ाता है

डॉ। उज्ज्ल आगे बताते हैं कि डब्बे वाले दूध से नवजात को कई तरह की समस्याएं हो जाती हैं। खासतौर पर बोतल से देने पर इंफेक्शन की समस्या हो सकती है। इसके अलावा यह डायरिया और एलर्जी भी बढ़ाता है, जबकि मदर मिल्क से एलर्जी कम होती है। वहीं, ऊपरी दूध, जो गाय, भैंस वगैरह का होता है, बच्चा उसे आसानी से पचा नहीं पता है। इसके अलावा, ब्रेस्ट फीडिंग से बच्चा सही क्वांटिटी में दूध पीता है, पर ऊपरी दूध पिलाने पर अकसर बच्चा ज्यादा दूध पी लेता है, जिससे मोटापा बढ़ाता है। इसके अलावा, इससे उनकी इम्युनिटी भी नहीं बढ़ती, जबकि ब्रेस्ट फीडिंग से इम्युनिटी बढ़ने से इंफेक्शन से लड़ने में मदद मिलती है। ओपीडी में इस तरह की समस्या वाले 5-10 नवजात बच्चे रोज आते हैं। ऐसे में, मदर्स को केवल ब्रेस्ट फीडिंग ही करानी चाहिए।ब्रेस्ट फीडिंग का कोई दूसरा आप्शन नहीं हो सकता। डब्बे वाले दूध से नवजात में एलर्जी, मोटापा आदि की समस्या हो सकती हंै इसलिए मदर को ब्रेस्ट फीडिंग ही करवानी चाहिए।-डॉ। उज्ज्ल पोद्दार, पीजीआईफॉर्मूला मिल्क का कारोबार डबल हो चुका है। राजधानी में हर साल 4-5 करोड़ रुपये का कारोबार होता है। अब लोग डॉक्टर्स की सलाह पर इसे खरीद रहे हैं।-विनय शुक्ला, हेड, दवा विक्रेता वेलफेयर समितिपहले के मुकाबले इनके दामों में बढ़ोतरी हुई है। घरों में इसका खर्च बढ़ गया है। लोग पहले के मुकाबले इसे अधिक खरीद रहे हैं। - विकास रस्तोगी, प्रवक्ता, मेडिसिन मार्केट

Posted By: Inextlive