अब जो भी बेहद आक्रामक स्वभाव वाले कुत्ते पकड़े जाएंगे उनकी कोडिंग की जाएगी ताकि आगे भी उन पर नजर रखी जा सके।


लखनऊ ब्यूरो: एक तरफ जहां आवारा कुत्तों के आतंक पर लगाम लगाने के लिए अभियान चलाया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ पकड़े गए आक्रामक कुत्तों के व्यवहार परिवर्तन पर स्टडी भी शुरू कर दी गई है। जिससे यह पता लगाया जा सकेगा कि कुत्ते हमलावर क्यों हो रहे हैं। वहीं अब जो भी बेहद आक्रामक स्वभाव वाले कुत्ते पकड़े जाएंगे, उनकी कोडिंग की जाएगी, ताकि आगे भी उन पर नजर रखी जा सके।पांच से सात दिन की स्टडीबेहद आक्रामक कुत्तों को एनीमल बर्थ कंट्रोल सेंटर में रखा गया है। अभी तक चार दर्जन से अधिक कुत्ते पकड़े गए हैैं, जिनका ऑपरेशन (बंध्याकरण) करने के बाद उन्हें वापस पुराने स्थानों पर छोड़ दिया गया है। जबकि दो से तीन आक्रामक कुत्तों के व्यवहार की स्टडी शुरु कर दी गई है, जो पांच से सात दिन तक चलेगी।रेबीज तो नहीं


प्रमुख रूप से यह देखा जा रहा है कि कुत्ते के रेबीज तो नहीं हैै। विशेषज्ञों की माने तो अगर कुत्ते को रेबीज है तो वह बेहद आक्रामक हो सकता है। इसके लिए अलग से टीम भी लगाई गई है। विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि अगर कुत्ते को रेबीज है तो वह चार से पांच दिन से ज्यादा जिंदा नहीं रहता है। हालांकि जिन दो कुत्तों पर स्टडी चल रही है, वो इस टाइमलाइन को पार कर चुके हैं। ठाकुरगंज से पकड़े गए थे दोनोंहाल में ही ठाकुरगंज एरिया में कुत्तों ने दो मासूमों पर हमला कर दिया था। जिसमें एक मासूम की मौत हो गई थी, जबकि दूसरा गंभीर रूप से घायल हुआ था। इसके बाद निगम टीम ने यहां अभियान चलाकर 45 से अधिक आवारा कुत्तों को पकड़ा था। इसमें से दो कुत्ते बेहद आक्रामक स्वभाव के हैं, जिन पर स्टडी की जा रही है।जनता को भी अवेयरवहीं जोनवार अभियान चलाए जाने की तैयारी की जा रही है। लोगों को बताया जाएगा कि अगर कुत्ता हमला करे तो क्या कदम उठाएं, जिससे उसके हमले से बचा जा सके। इस समय राजधानी में 75 हजार कुत्ते हैैं। जिनका ऑपरेशन (बंध्याकरण) किया जा रहा है। अभी तक 50 प्रतिशत कुत्तों का ऑपरेशन किया जा चुका है।नया एनीमल बर्थ कंट्रोल सेंटरनिगम प्रशासन की ओर से जल्द ही कान्हा उपवन में नया एनीमल बर्थ कंट्रोल सेंटर भी खोलने की तैयारी की जा रही है। अभी सिर्फ एक ही एनीमल बर्थ कंट्रोल सेंटर है।

अभियान के दौरान पकड़े गए बेहद आक्रामक कुत्तों के व्यवहार परिवर्तन की स्टडी की जा रही है। पांच से सात दिन तक उन्हें ऑब्जर्वेशन में रखा जाएगा। यह भी देखा जाएगा कि उनमें रेबीज तो नहीं।डॉ। अरविंद राव, संयुक्त निदेशक, पशु कल्याण

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