जल निगम भर्ती को लेकर फंसे आजम खान, दर्ज हुई एफआईआर
-जल निगम भर्ती घोटाले में आजम खां पर एफआईआर
- पूर्व मंत्री आजम खां पर कसा एसआईटी का शिकंजा- पूर्व प्रमुख सचिव नगर विकास एसपी सिंह भी नामजद- ओएसडी, जल निगम के एमडी और चीफ इंजीनियर भी फंसे22 जनवरी को किया था तलब
दरअसल शासन द्वारा जल निगम भर्ती घोटाले की जांच का आदेश मिलने के बाद एसआईटी की टीम ने 22 सितंबर को जल निगम मुख्यालय पर छापेमारी कर भर्ती प्रक्रिया से जुड़े तमाम दस्तावेज अपने कब्जे में लिए थे। इससे पहले एसआईटी ने कई बार दस्तावेज मांगे थे जिसे देने में जल निगम के अफसर आनाकानी कर रहे थे। इसके बाद एसआईटी ने दस्तावेजों का गहन परीक्षण कर संदेह के घेरे में आए अफसरों को पूछताछ के लिए तलब करना शुरू कर दिया। पांच दिसंबर को जल निगम के तत्कालीन एमडी पीके आसुदानी को तलब कर घंटों पूछताछ की गयी जिसके बाद प्रमुख सचिव एसपी सिंह और आजम खां का नाम प्रकाश में आया। तत्पश्चात एसआईटी ने ऑनलाइन परीक्षा कराने वाली एपटेक कंपनी पर शिकंजा कसा और तमाम अहम सुबूत जमा किए। जल निगम के अधिकारी प्रमोद कुमार सिन्हा, राजीव निगम, गिरीश चंद्र और रामसेवक शुक्ला के अलावा भर्ती प्रक्रिया से जुड़े एक दर्जन से ज्यादा कर्मचारियों के बयान भी दर्ज किए गये।
जनवरी में बढ़ी आजम की मुसीबतें
आजम खां की मुसीबत 17 जनवरी को बढ़ गयी जब एसआईटी ने तत्कालीन प्रमुख सचिव एसपी सिंह से पूछताछ के बाद उनको सफीना (पूछताछ को तलब करने का नोटिस) जारी कर दिया। आजम को 22 जनवरी को विभूति खंड के मंत्री आवास स्थित एसआईटी मुख्यालय बुलाया गया जहां वह नियत समय पर हाजिर भी हुए। उनके साथ एसपी सिंह को भी एसआईटी ने तलब किया था। दोनों से बारी-बारी से करीब दो घंटे की पूछताछ के बाद जाने दिया गया। एसआईटी ने करीब दो महीनों तक दस्तावेजों, सुबूत, बयान आदि की पड़ताल के बाद शासन को भेजी अपनी रिपोर्ट में आजम खां, एसपी सिंह, पीके आसुदानी, सैयद आफाक अहमद, एके खरे, एपटेक के अधिकारी व अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की अनुमति मांगी। शासन द्वारा अनुमति प्रदान किए जाने के बाद बुधवार को एसआईटी ने एफआईआर दर्ज कर ली।
एफआईआर से गरमाएगी सियासत
एसआईटी इंस्पेक्टर की तरफ से आजम खां पर एफआईआर दर्ज करने से सूबे की सियासत ही नहीं, ब्यूरोक्रेसी में भी हड़कंप मच गया है। इसकी वजह पूर्व प्रमुख सचिव एसपी सिंह को भी जांच के दायरे में शामिल करते हुए उनके खिलाफ एफआईआर है। दरअसल एसपी सिंह को आजम खां का सबसे भरोसेमंद अफसर माना जाता था। यही वजह रही कि सचिव होने के बावजूद वह करीब तीन साल तक प्रमुख सचिव के पद पर बने रहे और आजम खां की वजह से उनका कहीं तबादला नहीं किया गया। रिटायर होने के बावजूद उन्हें लगातार सेवा विस्तार मिलता रहा, जिसका सिलसिला योगी सरकार के आने के बाद खत्म हुआ। वहीं कुछ अफसर उन्हें बचाने की कोशिशों में भी जुटे रहे जिसकी वजह से एसआईटी भर्ती घोटाले में उनकी भूमिका को लेकर कोई बयान देने से बचती रही। बावजूद इसके शासन ने उनकी भूमिका को संदिग्ध पाते हुए एफआईआर में नामजद करने के निर्देश जारी कर दिए।
एमडी पर फोड़ा था सारा ठीकरा
ध्यान रहे कि आजम खां ने एसआईटी की पूछताछ के दौरान घोटाले का सारा ठीकरा तत्कालीन एमडी पीके आसुदानी पर फोड़ दिया था। उन्होंने एसआईटी को बयान दिया था एमडी ने उनसे धोखे से फाइलों पर हस्ताक्षर करवा लिए थे। वहीं मीडियाकर्मियों को दिए अपने बयान में कहा था कि 'मैं चोर नहीं हूं, सरकार के इशारे पर मुझे फंसाने की कोशिश हो रही है। हमारी गलती तो इतनी है कि हमने गरीबों को नौकरियां दे दी। मैं गरीबों को मुफ्त शिक्षा भी देता हूं। भाजपा ने मेरे चेहरे पर कालिख तो लगा ही दी है। केवल मुसलमान ही नहीं, हिंदू भी भर्ती हुए थे। भर्तियां करना मेरे कार्यक्षेत्र में नहीं था। मेरे दामन पर न कोई दाग था, ना है। मैंने किसी ने रिश्वत नहीं ली। यह विभाग जाने कि कैसे नौकरियां दी गयीं'। वही सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी आजम खां से पूछताछ के बाद आरोप लगाया था कि योगी सरकार सपा नेताओं को गलत तरीके से फंसाने की साजिश कर रही है।
पूर्व नगर विकास मंत्री एवं जल निगम के चेयरमैन मोहम्मद आजम खां (वर्तमान में रामपुर से सपा विधायक), तत्कालीन प्रमुख सचिव नगर विकास श्रीप्रकाश सिंह, जल निगम के तत्कालीन एमडी प्रेम कुमार आसुदानी, ओएसडी सैयद आफाक अहमद, एपटेक लिमिटेड के अधिकारी व कर्मचारी, जल निगम के अज्ञात अधिकारी व कर्मचारी।इन धाराओं में दर्ज हुई एफआईआर
आईपीसी 409, 420, 201, 120(बी) व 13(1)डी प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट।फैक्ट फाइल- 22 सितंबर 2017 को एसआईटी ने जल निगम मुख्यालय में मारा छापा- 05 दिसंबर 2017 को जल निगम के तत्कालीन एमडी पीके आसुदानी से पूछताछ- 16 जनवरी को पूर्व प्रमुख सचिव एसपी सिंह से हुई गहन पूछताछ
- 17 जनवरी को एसआईटी ने आजम खां को नोटिस जारी कर किया तलब
- 22 जनवरी को एसआईटी मुख्यालय में पेश हुए आजम खां और एसपी सिंह- 29 मार्च को एसआईटी ने शासन को रिपोर्ट भेजकर एफआईआर की मांगी अनुमतिइन पदों पर हुई थी भर्तियां-122 सहायक अभियंता (अब बर्खास्त)- 853 अवर अभियंता- 335 नैतिक लिपिक- 32 आशुलिपिकभाजपा ने बताया युवाओं के सपनों का हत्याराभाजपा प्रदेश प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने पूर्व काबीना मंत्री व सपा के वरिष्ठ नेता आजम खां को युवाओं के सपनों का हत्यारा ठहराते हुए कहा कि आकंठ भ्रष्टाचार में डूबे और जहरीले बयानों के लिए कुख्यात आजम खां के भ्रष्टाचार की पोल परत दर परत खुल रही है। भ्रष्ट आजम खां समेत अखिलेश सरकार के कई मंत्री और नौकरशाह जल्द ही जेल की सलाखों के पीछे होंगे।