हिंदी मीडियम की किताबों से पढऩे को मजबूर इंग्लिश मीडियम के बच्चे
लखनऊ (ब्यूरो)। बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से संचालित प्राथमिक और जूनियर विद्यालयों में सत्र का छठा माह बीतने को है लेकिन अभी बच्चों को निशुल्क किताबें नहीं नसीब हो सकी हैं। हालात ये हैं कि काफी संख्या में बच्चे पुरानी किताबें पढऩे को मजबूर हैं। वहीं, इंग्लिश मीडियम के नाम पर भी शिक्षा व्यवस्था का मजाक बन रहा है। इन विद्यालयों में हिंदी मीडियम की किताबों से पढ़ाई कराई जा रही है। विद्यालयों में जुलाई माह में किताबें पहुंचाने का दावा था लेकिन सभी दावे खोखले साबित हुए। अब सितंबर शुरू हो चुका है, लेकिन बच्चों को किताबें न मिलने से पढ़ाई प्रभावित हो रही है। विद्यालयों में पढ़ाने वाले शिक्षकों का कहना है कि किताबें न होने की स्थिति में हम शिक्षा में कैसे गुणवत्ता प्रदान करें।1.92 करोड़ बच्चों की दी जानी हैं किताबें
लखनऊ सहित प्रदेश के सभी जनपदों में 1.92 करोड़ बच्चों को निशुल्क किताबें दी जानी हैं, जहां कुल 11.50 करोड़ किताबों का वितरण होना है। वहीं बेसिक शिक्षा विभाग के आंकड़ों को ही माने तो 31 अगस्त तक महज 6.75 करोड़ किताबों की सप्लाई हो पाई है, बाकी का अभी जिलों से ब्यौरा आना बाकी है। यह संख्या भी सिर्फ सप्लाई की है, बात बच्चों के हाथ तक किताबें पहुंचने की करें तो उनकी संख्या 5.50 करोड़ से भी नीचे है।इंग्लिश मीडियम में नहीं पहुंचना शुरू हुईं किताबेंइंग्लिश मीडियम के अधिकतर स्कूलों में तो अब तक किताबें पहुंचना ही नहीं शुरू हो पायी हैं। जबकि किताबें सप्लाई करने के लिए पब्लिशर्स को 90 दिन का वक्त दिया गया था, जिसमें से 83 दिन में 59 फीसदी के करीब किताबों की ही सप्लाई हो पाई है।350 करोड़ से अधिक बजटकिताबों की छपाई के लिए 350 से अधिक करोड़ का बजट जारी हुआ है, जिम्मेदार अधिकारियों को भी पता है कि हर साल स्कूलों में सत्र की शुरुआत कब होती है, बावजूद उसके हर साल किताबों का रोना रहता है। विभाग के अधिकारी समय से कार्यों को पूरा करने की बात तो करते हैं, लेकिन हकीकत उससे कोसों दूर होती है।अभी तक सवा सात करोड़ किताबों को स्कूलों तक पहुंचाया जा चुका है। लखनऊ में 85 प्रतिशत किताबें भेजी गई हैं। बाकी शेष किताबों को तेजी से पहुंचाया जा रहा है। इसी सप्ताह सभी बच्चों के हाथों में किताबें पहुंच जायेंगी।-श्याम किशोर तिवारी, पाठ्य पुस्तक अधिकारी