हर साल बढ़ रही विद्युत दुर्घटनाओं में मौतें
- 2014-15 में 629 लोगों की गई जान
- प्रदेश में लगातार बढ़ रही विद्युत दुर्घटनाएं, बिजली कंपनिया उदासीन - दुर्घटनाओं पर रोक लगाने को सीएम से प्रभावी कार्यवाही की मांग LUCKNOW: प्रदेश में बिजली दुर्घटनाओं के चलते होने वाली मौतों की संख्या काफी चिंताजनक गति से बढ़ रही हैं, जबकि नियामक आयोग ने भी पिछले वर्ष इन कंपनियों को इन दुर्घटनाओं पर रोक लगाने के लिए सख्त निर्देश दिए थे। मगर हर साल संख्या कम होने की बजाए बढ़ता ही जा रहा है। विद्युत सुरक्षा निदेशालय में रिपोर्टेड विद्युत दुर्घटनाओं के आंकड़ों पर नजर डालें तो वह बेहद चौंकाने वाले हैं। अरबों खर्च, समस्या जस की तसपिछले 10 वर्षो में बिजली विभाग में अरबों रुपये सिस्टम पर खर्च हुए। जिससे पहले की अपेक्षा अब सिस्टम मैनुअली के बजाय अधिकतर ऑटोमैटिक सेफ्टी डिवाइसेज पर कार्य करने लगे। इसके बावजूद भी विद्युत दुर्घटनाओं में हो रही बढ़ोत्तरी गंभीर मुद्दा बना हुआ है। उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि इंडियन इलेक्ट्रिसिटी रूल्स 1956 के प्रावधानों का सही अनुपालन बिजली कम्पनियों द्वारा नहीं किया जा रहा है। लगातार उसका उल्लंघन हो रहा है जिसके कारण ही दुर्घटनायें लगातार बढ़ रही हैं।
समय रहते अगर कदम नहीं उठाये तोसमय रहते यदि ठोस कार्य योजना बनाकर कार्य नहीं किया गया तो पूरे प्रदेश में विद्युत दुर्घटनाओं से आम जनमानस में भय का वातावरण पैदा होगा। आज भी ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में लाइनें व विद्युत प्रणाली सिस्टम जर्जर अवस्था में हैं। वर्तमान में लगातार विद्युत सुरक्षा द्वारा बिजली कम्पनियों को सूचना दिये जाने के बाद भी जो कार्रवाई जल्द होनी चाहिये वह नही हो पाती।
इन कारणों से हो रही दुर्घटनाएं रिपोर्ट में यह सामने निकल कर आया कि 2014-15 की ज्यादातर दुर्घटना का मुख्य कारण इंसुलेटर का टूटना, बाइंडिंग वायर का टूटना, पोल व जम्फर का टूटना, क्रास आर्म्स का टूटना, सेफ्टी डिवाइस का कार्य न करना, अर्थिग सही न होना, केयरलेस वर्किंग और स्टे वायर में इंसुलेटर का अर्थ न होना प्रमुख कारण था। जबकि इनमें से अधिकतर को सजगता के साथ रोका जा सकता है और होने वाली मौतों को बचाया जा सकता है। सीएम से भी की मांग उपभोक्ता परिषद ने सीएम अखिलेश यादव से बढ़ती दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए प्रभावी कदम उठाए जाने की मांग करते हुए व्यापक कार्य योजना बनाकर काम कराने की मांग की है। ताकि बिजली दुर्घटनाओं के कारण हो रही मौतों को रोका जा सके। पिछले कुछ सालों में होने वाली मौतें2004-05 -------494
2012-13 -------570 2013-14 -------611 2014-15 -------629