'डिजिटल लुटेरों' के झांसे में न आएं, बनें 'साइबर वॉरियर'
लखनऊ (ब्यूरो)। 'आप सब मोबाइल पर विडियो गेम जरूर खेलते होंगे। कई बार टास्क पूरा करने के लिए कुछ वेपंस भी खरीदे होंगे, पर क्या आप जानते हैं कि इन्हें खरीदने के लिए जब हम ऑनलाइन पेमेंट करते हैं, तो यह हमारे लिए कितना खतरनाक साबित हो सकता है। बच्चे अपने पैरेंट्स से कई बार चोरी छिपे उनका अकाउंट, यूपीआई, क्रेडिट कार्ड यूज कर आसानी से पेमेंट तो कर देते हैं, लेकिन इस गलती से साइबर अपराधियों के पास बैंक डिटेल से लेकर सभी डेटा पहुुंच जाता है, जिससे हम साइबर ठगी का शिकार हो जाते हैं,' यह बात राजाजीपुरम स्थित सेंट जोसेफ स्कूल में आयोजित हुए दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के अभियान 'फेक फ्रेंड्स' के तहत हुए कार्यक्रम में यूपी पुलिस के साइबर एसपी डॉ। त्रिवेणी सिंह ने बच्चों को जागरूक करने के दौरान कहीं।अंजान वेबसाइट पर क्लिक करने से बचें
एसपी त्रिवेणी सिंह ने छठी से बारहवीं क्लास के बच्चों को साइबर क्राइम से बचने और दूसरों को बचाने के लिए कई टिप्स दिए। उन्होंने कहा कि हमारे स्मार्टफोन को सब पता है कि हम क्या कर रहे हैं, हमें क्या जरूरत है, हमने कौन सी वेबसाइट देखी थी, फोन पर क्या टाइप कर रहे हैं, किसको गालियां लिख रहे हैं। ये सब हमारे गूगल डैशबोर्ड पर दिखता है। इसे हम डिलीट भी कर देते हैं, लेकिन कई ऐसे टूल्स हैं, जिससे यह सब आसानी से पता चल जाता है। ऐसे में, अंजान वेबसाइट पर क्लिक न करें क्योंकि ऐसा करने से हमारे मोबाइल का पर्सनल डेटा लीक हो जाता है। ठगी के तरीकों के बारे में किया अवेयरवर्चुअल किडनैपिंग- यह एक तरीके का फेक ऑडियो वीडियो फ्रॉड है। इसमें आपकी आवाज या फिर वीडियो से ऑर्टिफिशियल इंटलिजेंस के माध्यम से काल्पनिक ऑडियो वीडियो बनाई जा सकती है।मॉर्फ- इसमें किसी के भी चेहरे को आसानी से बदला जा सकता है। आपकी छवि खराब करने के लिए आपकी बदली फोटो किसी को भेजने की धमकी देकर ठगी की जाती है।गेम्स- आज के समय में कई गेम्स हैं, जो टास्क को पूरा कराने के लिए आपको वेपंस खरीदने को कहते हैं, जैसे ही हम इसे खरीदते हैं तो अकाउंट की सारी डिटेल हैकर्स के पास चली जाती है।स्पूफिंग- इसका इस्तेमाल कर कोई भी किसी नंबर से कॉल कर सकता है। इसके लिए हमेशा सतर्क रहने की जरूरत है। आए दिन इस तरह के केस आते रहते हैं। ऐसे करें बचाव- अपने मोबाइल, लैपटॉप पर अच्छा एंटी वायरस जरूर रखें।
- ऐसी वेबसाइट पर क्लिक न करें, जिसे आप जानते नहीं हैं।- फेसबुक, इंस्टाग्राम पर उन्हीं को अपना दोस्त बनाएं, जिन्हें आप जानते हो।पैरेंट्स के लिए कुछ खास टिप्स- मोबाइल पर हमेशा पैरेंट्स कंट्रोल टूल्स का यूज करना चाहिए।- एक घंटे या फिर आधे घंटे से ज्यादा बच्चों को मोबाइल यूज न करने दें।- ऑनलाइन खरीददारी के लिए बच्चों को अकाउंट की डिटेल प्रोवाइड न कराएं।इन सवालों से हकीकत आई सामने05 परसेंट फेसबुक इंस्टाग्राम पर फेक आईडी बनाई गई हैं10 परसेंट बच्चों ने किसी को ट्रोल किया है03 परसेंट बच्चों ने दूसरों के नाम आईडी बनाई है02 परसेंट बच्चों ने दूसरों की फोटो लगाई है(नोट- बच्चों से सवाल पूछे जाने पर आया जवाब)बच्चों को मिला होमवर्क- डिलीट किए गए पोस्ट को कैसे रिकवर करें- साइबर हाइजीन क्या है- साइबर सुरक्षा के फायदेस्कूलों में बनेगा साइबर क्लबएसपी डॉ। त्रिवेणी सिंह ने कहा कि जल्द ही स्कूलों में साइबर क्लब बनाया जाएगा। इसमें 15 से 20 सदस्यों की टीम बनेगी, जो साइबर कॉप कहलाएगी। इसमें अच्छा काम करने वाले बच्चों को सम्मानित भी किया जाएगा।
बच्चों को स्मार्टफोन से दूर रहना चाहिए। इसको लेकर माता-पिता को भी सख्ती बरतनी चाहिए। बच्चों के हाथ में अगर मोबाइल दिया जा रहा है तो उसका एक टाइम फिक्स कर दें। आधा घंटा या फिर ज्यादा से ज्यादा से एक घंटा ही मोबाइल यूज करने देना चाहिए।-डॉ। त्रिवेणी सिंह, एसपी साइबर सेल, यूपी पुलिसमोबाइल यूज करते समय रहें सतर्कदैनिक जागरण आईनेक्स्ट के रीजनल एडिटर धर्मेंद्र सिंह ने बच्चों को अवेयर करते हुए कहा कि हम सभी स्मार्टफोन यूज करते हैं, लेकिन जाने अंजाने में हम कई बार रील देखते-देखते किसी और जगह चले जाते हैं। साथ ही कई ऑनलाइन गेम्स खेलने के दौरान टास्क पूरा करने के लिए ढेरों पैसा दे देते हैं। अगर किसी के साथ ऐसा हो रहा है तो वह अपने पैरेंट्स को बताए, छुपाए नहीं। बच्चों को काफी कुछ सीखने को मिलासेंट जोसेफ स्कूल की संस्थापक अध्यक्ष पुष्पलता अग्रवाल ने कहा कि हम सबके हाथ में स्मार्टफोन रहता है, लेकिन यूज को लेकर आज हम सबको कई अहम जानकारियां मिलीं। साथ ही बच्चों को भी काफी कुछ सीखने को मिला। इसके लिए दैनिक जागरण आईनेक्स्ट का धन्यवाद।हमें बताएं डरें नहीं
प्रबंधक निदेशक अनिल अग्रवाल ने कहा कि जो भी बच्चे मोबाइल पर वीडियो गेम खेलते हैं और टास्क पूरा करने के लिए पैसे देते हैं, वे ऐसा न करें। अगर किसी के साथ साइबर क्राइम हो रहा है तो हमें बताएं पुलिस से शिकायत करें, डरें नहीं।बच्चों को दिया गया टास्कस्कूल की प्रधानाचार्य लीना शर्मा ने कहा कि साइबर एक्सपर्ट से मिले टिप्स को बच्चों से पूछा जाएगा, साथ ही दो पेज का साइबर सिक्योरिटी के बारे में ऑर्टिकल लिखवाया जाएगा, ताकि बच्चे साइबर क्राइम के प्रति अलर्ट रहें।एसपी ने दिए बच्चों के सवालों के जवाबसवाल: डेटा कैसे प्रोटेक्ट करें, क्या करना होगा?-रुद्र द्विवेदीजवाब: इसके लिए डेटा प्रोटक्शन एक्ट बनाया गया है। इसके तहत अगर कोई मोबाइल नंबर, पर्सनल समेत कोई डेटा चोरी करता है तो उसके खिलाफ 250 करोड़ रुपये तक पेनाल्टी लग सकती है।सवाल: अगर किसी के पास डेटा चला जाए और वह ब्लैकमेल कर रहा है तो क्या करें?-यश मिश्राजवाब: इसका सबसे अच्छा तरीका है कि अपने पैरेंट्स को बताएं और फिर पुलिस से इसकी शिकायत करें, तुरंत एक्शन लिया जाएगा और अपराधी को सजा दिलाई जाएगी।सवाल: इंडियन साइबर क्राइम कोऑडिनेशन सेंटर (आईसीसीसीसी) क्या है?-पीहू सिंहजवाब: किसी भी तरह के साइबर अपराध से निपटने के लिए इसकी शुरुआत की गई थी। यह खासकर दूसरे देशों में होने वाले अपराध पर नजर बनाए रहता है।सवाल: हम फोन में जो कुछ भी टाइप या यूज करते हैं वह हमारी डिवाइस में कब तक रहता है?-कार्तिक वेदजवाब: आप अपने मोबाइल पर कुछ भी टाइप करते हैं या किसी को भी कुछ लिखते हैं तो इसका सारा रिकार्ड रहता है। टूल की मदद से लाइफ टाइम इसे कभी भी रिकवर किया जा सकता है।