यूपी एसटीएफ ने नशीली दवाओं के अंतरराष्ट्रीय सौदागरों के एक गैंग का पर्दाफाश किया है। यूपी एसटीएफ ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। यह गैंग कस्टमर्स की डिमांड के हिसाब से आसपास के जिलों से नशीली दवाएं खरीदकर लोगों को उपलब्ध कराते थे। यह पूरा सौदा डार्क वेब के जरिए किया जाता था और पेमेंट बिटक्वाइन के जरिए लिया जाता था।

लखनऊ (ब्यूरो)। एसटीएफ को प्रतिबंधित नशीली दवाओं के अंतरराष्ट्रीय सौदागरों के बारे में सूचना मिली थी। इस पर एसटीएफ ने जाल बिछाया और लखनऊ के कैंट इलाके से निलमथा से कैंट निवासी यासिर जमील, सहादतगंज के हमजा और इनामुल हक को गिरफ्तार किया है। आरोपियों से पूछताछ के दौरान चला है कि यह गैंग खरीदारों का नंबर लेकर डार्क वेब के जरिए नशीली दवाएं बेचता था। नशीली दवाएं लखनऊ और आसपास के जिलों के तस्करों से खरीदी जाती थीं। इसके बाद इन्हें कोरियर से कस्टमर्स तक भेजा जाता था और बिटक्वाइन में पेमेंट लिया जाता था।

30 रुपये का पत्ता 700 रुपए में
पूछताछ में मास्टरमाइंड यासिर ने बताया कि नशीली दवाओं का एक पत्ता भारत में 30 से 40 रुपए में मिलता है, जिसमें 10 गोली होती हैं। इन्हें युनाइटेड स्टेट ऑफ अमेरिका में बेचने पर प्रति पत्ते का 600 से 700 रुपए मिलते थे। ये गैंग सिपमैक्स कोरियर कंपनी के माध्यम से दवाएं यूएसए भेजता था। इस गैंग ने युनाइटेड स्टेट ऑफ अमेरिका में लगभग 150 बार से अधिक दवाओं की तस्करी की है।

दवाओं पर प्लास्टिक का रैपर
यासिर ने बताया कि दवाओं के पत्तों परकूटरचित प्लास्टिक का रैपर लगवाता हूं। यह रैपर वह खुद ही तैयार कराता है। उसने बताया कि यह लोग हर्बल प्रोडेक्ट के कूटरचित रैपर इसलिए लगाते हैं कि हर्बल दवाओं का कोई लाइसेंस नही होता है।

डार्क वेब से ढूंढते थे कस्टमर
वहीं एक अन्य आरोपी हमजा व इमामुल हक उर्फ इनाम ने बताया कि हम लोग अवैध प्रतिबंधित नशीली दवाओं ट्रामाडोल व लाइपिन 10 की ब्रोकरी का काम करते हैं। हम डार्क वेब से कस्टमर तलाशते हैं। उसके बाद रेट तय हो जाने पर उनका पता नोट कर लेते हैं। फिर पते व डिमांड को यासिर को वाट्सएप पर भेज देते हैं। यासिर उस कस्टमर को सप्लाई करके हमें उस कोरियर का ट्रेकिंग आईडी भेज देता है। हम लोग पेमेंट गेटवे, बिटक्वाइन व हवाला के माध्यम से लेते हैं।

Posted By: Inextlive