कॉलेजों को रास नहीं आ रहा सेंट्रलाइज्ड एडमिशन प्रोसेस
लखनऊ (ब्यूरो)। लखनऊ यूनिवर्सिटी के सेंट्रलाइज्ड एडमिशन प्रोसेस में शहर के बड़े एडेड कॉलेजों ने दिलचस्पी नहीं दिखाई है। एलयू प्रशासन का दावा है कि एडेड कॉलेज भी इस साल केंद्रीयकृत प्रवेश प्रक्रिया से जुड़कर दाखिले की तैयारी कर रहे हैं। हालांकि, शहर के नामी कॉलेज जैसे शिया पीजी कॉलेज, केकेसी, केकेवी, डीएवी, कालीचरण पीजी कॉलेज और अवध गर्ल्स डिग्री कॉलेज जैसे नाम इसमें शामिल नहीं हैं। ये कॉलेज अपनी अलग प्रवेश प्रक्रिया के जरिए यूजी व पीजी के आवेदन ले रहे हैं। कई कॉलेजों में प्रवेश प्रक्रिया भी शुरू हो गई है।निजी कॉलेजों का बढ़ा है दायरा
लखनऊ यूनिवर्सिटी ने बुधवार को सेंट्रलाइज्ड एडमिशन प्रोसेस से जुड़े कॉलेजों की सूची जारी कर दी है। एलयू की इस सूची में सबसे ज्यादा निजी कॉलेज शामिल हुए हैं। एडेड कॉलेजों की बात करें तो शहर के चार कॉलेज नवयुग कन्या महाविद्यालय बीए, बीकॉम, एपी सेन मेमोरियल कॉलेज बीए बीकॉम, करामत हुसैन पीजी कॉलेज में बीकॉम, बीएससी बायो मैथ्स और महिला डिग्री कॉलेज बीएससी व बीसीए के लिए व्यवस्था में शामिल हुए हैं।500 कॉलेज में महज 67 कॉलेज ही शामिल
एलयू के साथ 500 से अधिक एडेड व निजी कॉलेज जुड़े हैं, जबकि सेंट्रलाइज्ड आवेदन प्रक्रिया में इस साल केवल 67 कॉलेज ही शामिल हुए हैं। हालांकि, एलयू का दावा है कि बीते साल 58 कॉलेज शामिल थे। एक्सपर्ट का कहना है कि एलयू की आवेदन प्रक्रिया में ज्यादातर कॉलेज सेल्फ फाइनेंस हैं और एडेड कॉलेज भी सेल्फ फाइनेंस कोर्स के लिए ही जुड़े हैं।शुल्क के चलते कर रहे किनाराशहर के नामी एडेड कॉलेज एलयू की सेंट्रलाइज्ड आवेदन प्रक्रिया से शुल्क के चलते भी नहीं जुड़ना चाह रहे हैं। कॉलेजों को 50 हजार रुपये प्रति विषय शुल्क देना पड़ता है। कालीचरण पीजी कॉलेज के प्राचार्य प्रो। चंद्रमोहन उपाध्याय का कहना है कि एडेड कॉलेज जो एलयू के काफी समय से असोसिएट कॉलेज भी हैं, उनको इस आवेदन प्रक्रिया में नि:शुल्क जोड़ा जाना चाहिए। पर इस व्यवस्था में शामिल होने के लिए उन्हें शुल्क देना पड़ता है।उठ रहे कई सवालएलयू की कॉलेजों की सूची को लेकर भी कई सवाल उठ रहे हैं। एक तो एलयू ने आवेदनों के समय कॉलेजों की सूची वेबसाइट पर अपलोड नहीं की। यूजी व यूजी प्रोफेशनल की आवेदन प्रक्रिया पूरी होने के बाद बुधवार को कॉलेजों की सूची जारी की। ऐसे में लोग इसे पारदर्शी व्यवस्था नहीं मान रहे हैं।