Lucknow Crime News: लखनऊ में 8वीं क्लास के स्टूडेंट ने कॉपी में सुसाइड नोट लिखकर दी जान, पढ़ाई के बोझ के चलते पहले भी ये बच्चे मौत को लगा चुके गले
लखनऊ (ब्यूरो)। Lucknow Crime News: राजधानी के गोमतीनगर विस्तार में खरगापुर के रहने वाले एक स्टूडेंट ने सुसाइड कर लिया। उसने एक सुसाइड नोट भी लिखा, जिससे साफ होता है कि उसने यह कदम पढ़ाई के प्रेशर के चलते उठाया। दरअसल, खरगापुर निवासी रामतेज अपने इकलौते बेटे ऋषभ (15) का करियर बनाने और उसे अच्छी एजुकेशन दिलाने के लिए बाराबंकी से दो साल पहले लखनऊ लाए। यहां पत्नी सुनीता घर पर रहकर बेटे की पढ़ाई पर ध्यान देती थी। बेटा गोमती नगर के एक प्राइवेट स्कूल में 8वीं क्लास का स्टूडेंट था। वेडनेसडे को सुनीता मार्केट गई थीं, तभी घर पर अकेले ऋषभ ने फांसी लगाकर सुसाइड कर लिया।दो साल पहले लखनऊ शिफ्ट हुए थे
सुनीता के मुताबिक, वह बेटे को अच्छे भविष्य के लिए लखनऊ लेकर आई थीं, लेकिन उन्हें नहीं पता नहीं था यह फैसला उनके बेटे के लिए काल बनेगा। उन्होंने बताया कि बेटा करीब आठ साल तक बाराबंकी निवासी अपने मामा गुड्डू के साथ रहकर पढ़ाई करता था। उसके बाद रामनगर स्थित दादी के घर रहा, जहां से अकसर मामा के घर आना जाना लगा रहता था। करीब दो साल पहले हम लोग लखनऊ शिफ्ट हुए थे। ऋषभ का शहर में पढ़ने का मन नहीं लग रहा था। इसको लेकर वह कई बार कह चुका था, लेकिन वह यह कदम उठा लेगा, यह नहीं सोचा था।कॉपी में सुसाइड नोट लिखाऋषभ ने सुसाइड करने से पहले अपनी कॉपी में सुसाइड नोट भी लिखा था। उसने लिखा था कि मम्मी मैैं पढ़ना नहीं चाहता हूं, मुझे वापस दादी या नानी के घर भेज दो। वहां रहकर पढ़ लूंगा।पढ़ाई के बोझ के चलते पहले भी दे चुके जानराजधानी में पढ़ाई को लेकर स्टूडेंट के सुसाइड का यह कोई पहला मामला नहीं है, इससे पहले भी कई बार स्टूडेंट्स अपनी जान दे चुके हैं।।।केस एक21 फरवरी 2024राजाजीपुरम में सेंट मैरी स्कूल कैंपस के आवास में प्रिंसिपल की 10वीं कक्षा में पढ़ने वाली बेटी ने बोर्ड परीक्षा के तनाव में फांसी लगाकर जान दे दी थी। नौकरानी ने शव फंदे पर लटकता देख पेरेंट्स को सूचना दी थी। स्कूल के संस्थापक व चर्च के बिशप जॉन ऑगस्टिन परिवार के साथ स्कूल कैंपस में रहते थे। वह किसी काम से आलमबाग गई थीं। जॉन दिल्ली जाने के लिए घर से निकले थे। बड़ी बेटी सेरा स्कूल में पढ़ाई कर रही थी। छोटी बेटी जॉयस जोयस ऑगस्टिन (16) घर पर अकेली थी।केस दो9 अप्रैल 2024
बीबीडी के गोयल हाइट्स में किराए पर रहने वाले बीएससी नर्सिंग के छात्र अभिजीत (22) ने कमरे में फांसी लगाकर जान दे दी थी। कमरे में मिलने वाले सुसाइड नोट में लिखा था मैं अपने जीवन से परेशान हो गया हूं। इस जीवन को खत्म करने का खुद ही जिम्मेदार हूं। अभिजीत एक प्राइवेट कॉलेज से बीएससी नर्सिंग की पढ़ाई कर रहा था।केस तीन5 मई 2024महानगर निवासी सुरेश भार्गव के बेटे विदित भार्गव (29) ने बीबीडी यूनिवर्सिटी से बीटेक किया था। वह प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा था। रात में पढ़ाई करने के बाद कमरे में सो गया था। रात करीब तीन बजे दरवाजा अंदर से बंद होने पर परिजन ने कई बार विदित के नंबर पर कॉल की, लेकिन रिसीव नहीं हुई। परिजन दरवाजा तोड़कर अंदर पहुंचे तो विदित रस्सी से पंखे पर लटका मिला था। उसने सुसाइड नोट में लिखा था बहुत कोशिश के बाद भी अब मुझसे कुछ हो नहीं पा रहा है, अब जीने की इच्छा नहीं है। पता है ये बुजदिल तरीका है, लेकिन और कोई रास्ता नहीं दिख रहा है।केस चार16 नंवबर 2024
गोमतीनगर विस्तार क्षेत्र के रेलवे ट्रैक पर नवीं क्लास के स्टूडेंट ने सुसाइड का प्रयास किया। रेलवे ट्रैक पर घायल पड़े स्टूडेंट को देखकर स्थानीय लोगों ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने स्टूडेंट को हॉस्पिटल में भर्ती कराया। मौके से एक सुसाइड नोट बरामद हुआ था, जिसमें उसने अपनी स्कूल की मैडम से गलती की माफी मांगते हुए सुसाइड नोट लिखा था। उसकी नोटबुक में एक जगह स्कूल में की गई गलती का माफीनामा भी लिखा था। पुलिस की सतर्कता से घायल स्टूडेंट की जान बच गई थी।क्या कहती है स्टडीएक स्टडी से पता चला है कि भारत में आत्महत्या की दर 15-29 वर्ष आयु वर्ग (प्रति 100,000 जनसंख्या पर 38) में सबसे ज्यादा थी। इसके बाद 30-44 वर्ष समूह (प्रति 100,000 जनसंख्या पर 34) थी।चिंताजनक है बच्चों का सुसाइड रेट
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) भारत में आकस्मिक मृत्यु और आत्महत्या 2022 पर जारी ताजा रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में भारत में 13000 से अधिक छात्रों ने सुसाइड किया था। 2022 में आत्महत्या से होने वाली सभी मौतों में 7.6 प्रतिशत छात्र थे। 2022 में 18 वर्ष से कम उम्र के 10,295 बच्चों ने आत्महत्या की। जिनमें लड़कों 4616 की तुलना में लड़कियों 5588 में आत्महत्या की संख्या अधिक थी। अगर क्लास वाइज बच्चों के सुसाइड परसेंटेज की बात करें तो आंकड़े और भी चौंकाने वाले हैं।बच्चों में बढ़ रहा डिप्रेशनकेजीएमयू में चाइल्ड साइकियाट्री के हेड डॉ। विवेक अग्रवाल ने बताया कि आज के समय में चाइल्डहुड डिप्रेशन के मामले काफी बढ़ रहे हैं। ओपीडी में रोजाना 3-4 बच्चे, जिनकी उम्र 10-15 वर्ष के बीच होती है, डिप्रेशन की समस्या के साथ आ रहे हैं। बच्चों में डिप्रेशन की कई वजह हो सकती हैं, जिसमें फैमिली में डिप्रेशन की हिस्ट्री, सामाजिक परिस्थितियां, परिवार की खराब परिस्थितियां, मारपीट या लड़ाई होना, फीजिकल अब्यूज, स्कूल में बुलिंग होना आदि कारणों से डिप्रेशन होता है। इसकी वजह से कई बार बच्चे एक्सट्रीम कदम उठा लेते हैं।बच्चों के व्यवहार पर रखें ध्यानबच्चा अगर डिप्रेशन में है तो उसमें कई तरह के लक्षण सामने आते हैं। पैरेंट्स को इनपर नजर रखनी चाहिए और तुरंत एक्सपर्ट से मिलना चाहिए।।।-कम बोलना-लोगों से अलग-थलग रहना-फ्रेंड से मिलने में कतराना-पसंदीदा खाने-पीने से दूरी-ज्यादा सोशल मीडिया यूज करना-पढ़ाई में मन नहीं लगनाबच्चों में डिप्रेशन काफी तेजी से बढ़ रहा है, जिसकी वजह से वे कई बाद एक्सट्रीम कदम उठा लेते हैं। पैरेंट्स को बच्चों के बदलते व्यवहार पर पैनी नजर रखनी चाहिए ताकि समय रहते इसे ट्रीट किया जा सके।-डॉ। विवेक अग्रवाल, हेड, चाइल्ड साइकियाट्री, केजीएमयूपेरेंट्स को नहीं डालना चाहिए दबावकई बार पेरेंट्स अपने बच्चों पर अपनी बातें थोपने लगते हैैं या किसी बात का दबाव बनाते हैैं। उन्हें लगता है कि वे ये सब बच्चों के अच्छे भविष्य के लिए कर रहे हैैं। हालांकि, हर बार ये सच नहीं होता। कई बार बच्चे इसी दबाव में आकर ऐसा कदम उठा लेते हैैं, जिससे पीछे नहीं हटा जा सकता। वे आत्महत्या तक कर लेते हैैं।पेरेंट्स को समझनी चाहिए बच्चों की फीलिंग्सबहुत बार बच्चे अपने पेरेंट्स से कुछ बात करते हैैं तो पेरेंट्स उसे गंभीरता से नहीं लेते हैैं। ऐसे में कई बार बच्चे गलत कदम उठा लेते हैैं। पेरेंट्स को शांति से बैठ कर बच्चों की बात सुननी चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता तो बच्चे पेरेंट्स से बात छुपाने लगते हैैं। ऐसे में कई बच्चे गलत राह पर भी चले जाते हैैं।किन बातों का रखें ध्यान- बच्चों की किसी भी बात को अनदेखा न करें।- बच्चे को डांटने या मारने के बजाए प्यार से समझाएं।- बच्चों की फीलिंग्स का भी ध्यान रखें।- उनके अच्छे भविष्य के लिए सलह दें और अपनी बात न थोपें।