पीजीआई लखनऊ में एनएचएम के तहत बच्चों को दो साल से नहीं मिल रहीं फ्री इंसुलिन
लखनऊ (ब्यूरो)। बच्चों में डायबिटीज की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। खासतौर पर टाइप-1 डायबिटीज बच्चों में सबसे ज्यादा खतरनाक साबित होती है, क्योंकि इसमें बच्चों की पूरी जिंदगी इंसुलिन पर निर्भर रहती है। पीजीआई में इसका इलाज बड़े स्तर पर किया जाता है। जहां पहले एनएचएम के तहत बच्चों को फ्री में इंसुलिन मिला करती थी। पर बीते दो सालों से यह सुविधा खत्म होने से खासतौर पर गरीब परिवारों के सामने समस्या खड़ी हो गई है, जिसकी वजह से अब उनको इंसुलिन खरीदनी पड़ रही है। संस्थान प्रशासन ने इसे दोबारा शुरू कराने के प्रयास किए, लेकिन सरकार ने बच्चों को फ्री इंसुलिन देने से हाथ खड़े कर दिए हैं।हर साल 120 नए बच्चे आ रहे
संजय गांधी पीजीआई के पीडियाट्रिक इंडोक्रिनोलॉजी विभाग की डॉ। विजय लक्ष्मी भाटिया ने बताया कि 300-350 बच्चे इंसुलिन के लिए हर 3 माह में आते हैं। वहीं, ओपीडी में हर साल 120 नए बच्चे डायबिटीज की समस्या के साथ आते हैं। टाइप-1 वाले बच्चों को इंसुलिन दिया जाता है। हमें 2018 और 2019 में डायबिटीज से पीड़ित बच्चों के लिए एनएचएम यूपी से चाइल्डहुड डायबिटीज योजना के तहत फ्री इंसुलिन मिला रहा था। इस कार्यक्रम के तहत मुख्य रूप से पूर्वी यूपी के सभी जिलों के लगभग 200 बच्चों और किशोरों को फ्री में इंसुलिन दी गई। पर जब यह आपूर्ति समाप्त हो गई तो बच्चों को फ्री में इंसुलिन देने में समस्या आने लगी। जिसको लेकर हमने फिर से मिशन निदेशक, यूपी एनएचएम से अनुरोध किया, जिसे हमारे निदेशक ने भी अग्रेषित किया। पीजीआई के साथ-साथ जीएसवीएम-कानपुर, जीआईएमएस-नोएडा और एसएन मेडिकल कॉलेज-आगरा के साथ फिर से हमारे डायबीटिक बच्चों को मुफ्त इंसुलिन के लिए अनुदान दिया गया।हर माह डेढ़ हजार तक का खर्चडॉ। भाटिया ने आगे बताया कि अनुदान मिलने के बाद हमने 2021 और 2022 में डायबिटीज से पीड़ित लगभग 260 बच्चों और किशोरों को इंसुलिन देने का काम किया। ये परिवार केवल इंसुलिन पर प्रति माह लगभग 1000 से 1500 रुपये खर्च करते थे। इसके अलावा पेन सुई, ब्लड शुगर टेस्ट मशीन और दीर्घकालिक जटिलता जांच की तो बात ही छोड़ दीजिए,जान तक का खतराअगर टाइप-1 से ग्रसित मरीजों को समय पर इंसुलिन न मिले तो उनमें कई गंभीर समस्याएं हो सकती है। अगर बच्चों को दो दिनों तक समय पर इंसुलिन की डोज नहीं मिलती है तो ऐसे में उनकी गंभीर हालत होना, अचानक बेहोशी होना तथा जान को खतरा तक हो सकता है।नहीं बताया कोई स्पष्ट कारण
यह योजना दोबारा शुरू कराने के लिए एनएचएम, यूपी को दोबारा लिखा गया था। पर वहां से जवाब आया है कि जब दिल्ली में विभाग से पूछा गया तो वहां से कहा गया कि अब फ्री में इंसुलिन नहीं दे सकते। हालांकि, इसके लिए उन्होंने कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया। हम लोग इसके लिए लगे हुए हैं कि फ्री इंसुलिन दोबारा मिल सके ताकि बच्चों को राहत मिले। एक ओर जहां सरकार बच्चों की सेहत के लिए लगातार काम कर रही है तो दूसरी ओर बच्चों के जीवन के जरूरी इंसुलिन को फ्री में उपलब्ध कराने वाली योजना को बंद करना कई सवाल भी खड़े करता है।हर दिन इतनी इंसुलिन जरूरीटाइप-1 में शरीर में इंसुलिन नहीं बनता है, जिसके लिए इंजेक्शन के माध्यम से इंसुलिन लेनी पड़ती है। ऐसे में, डायबिटीज से पीड़ित मरीजों को जीवित और स्वस्थ रहने के लिए प्रतिदिन 3 से 5 इंजेक्शन के माध्यम से इंसुलिन लेने की आवश्यकता होती है। प्रतिदिन 3 से 7 बार उंगली में सुई चुभोकर ब्लड शुगर लेवल टेस्ट भी जीवन भर किया जाता है।अलग से थी फ्री इंसुलिन की व्यवस्था
फ्री इंसुलिन सुविधा के लिए डॉक्टर द्वारा पहले मरीज के पर्चे पर लिखा जाता था, सपर मोहर भी लगानी होती थी। जिसके बाद इसे आधार कार्ड समेत सिस्टम पर चढ़ाया जाता था। इसे लेकर पेमेंट काउंटर पर जाना होता था। जहां से अप्रूवल मिलने के बाद पीएडी काउंटर पर पर्चा जमा करना होता था, जिसके बाद फ्री इंसुलिन मिलती थी। हालांकि, सरकार द्वारा यह सुविधा बंद किए जाने से अब मरीजों को पेमेंट करने के बाद ही इंसुलिन मिल रही है।एनएचएम से फ्री में इंसुलिन मिलने की सुविधा बंद हो चुकी है, पर इसका कोई कारण नहीं बताया है। हालांकि, इसे दोबारा शुरू कराने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।-डॉ। विजय लक्ष्मी भाटिया, पीजीआई