Chhath Puja 2024 Lucknow: नहाए-खाए के साथ होगी छठ महापर्व की शुरुआत
लखनऊ (ब्यूरो)। सूर्य उपासना का महापर्व छठ 7 और 8 नवंबर को पूरी श्रद्धा और धूमधाम के साथ गोमती तट पर मनाया जाएगा। इस पर्व का पूर्वांचल के लोगोंं में विशेष महत्व होता है। हालांकि, छठ महापर्व की शुरुआत मंगलवार को नहाए-खाए के साथ हो जाएगी। इस दिन महिलाएं घर व पूजन सामग्री की सफाई करती हैं। इसके दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन अस्ताचलगामी और चौथे दिन उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर पर्व का समापन होता है। पर्व को लेकर गोमती तट पर तैयारियां अंतिम दौर में चल रही हैं। मेला स्थल पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी होगा।भरी जाती है कोसी
दीपावली के छह दिन बाद यह महापर्व मनाया जाता है। छठ व्रत रोगों से मुक्ति, संतान सुख और समृद्धि में वृद्धि के लिए रखा जाता है। मान्यता है कि सच्चे मन से व्रत रखने से मनोकामना जरूर पूरी होती हैं। जिन लोगों की मनोकामना पूरी होती है, वे कोसी भरते हैं। इस दौरान बहुत से लोग घाटों पर दंडवत पहुंचते हैं।साठी के चावल का महत्व
छठ महापर्व का आरंभ नहाए-खाए से होता है। नहाए-खाए के दौरान व्रती महिलाएं नदी, तालाब आदि में जाकर स्नान करती हैं। इसके बाद वे घर आकर खाना बनाती हैं। नहाये-खाये के दिन साठी का चावल, चने की दाल एवं सब्जी बनाई जाती है। जिसका इस पूजन में विशेष महत्व होता है। इसमें प्याज और लहसुन का प्रयोग नहीं किया जाता है। यह पूरी तरह से शुद्ध रूप में बनाया जाता है।पंचतत्व का प्रतीक होता है गन्नाछठ पर्व में गन्ने का विशेष महत्व बताया गया है। जहां, पूजन के समय खासतौर पर पांच गन्नों का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि कोसी भराई में पांच गन्ने पंच तत्व के समान होते हैं। ये पांच गन्ने अग्नि, वायु, आकाश, भूमि और जल का प्रतिनिधित्व करते हैं।छह तरह के फलों का महत्वइसके अलावा इस पर्व के दौरान ऋतु फल का भी विशेष महत्व होता है, क्योंकि कोसी में छह प्रकार के फलों को रखा जाता है। जोकि सूर्य की रोशनी से उत्पन्न होते हंै। वहीं, साठी का चावल का विशेष प्रयोग किया जाता है। साठी मतलब वो चावल जो 60 दिन में पैदा होता है। यह चावल विशेष रूप से बिहार और तराई वाले क्षेत्रों में होता है। जिसका स्वाद अपने आप में एकदम अलग ही होता है। इस दौरान इस तरह के चावल की सेल सर्वाधिक होती है।