कुछ एक्सपर्ट का कहना है कि इन बदलावों के कारण स्टूडेंट्स में कंफ्यूजन के साथ-साथ उनके पास विकल्पों की भी कमी नजर आती है। ऐसे में बदलावों के साथ पढ़ाई कराना कॉलेजों के लिए भी चुनौतीपूर्ण बना हुआ है।


लखनऊ (ब्यूरो)। लखनऊ यूनिवर्सिटी ने साल 2021 से न्यू एजुकेशन पॉलिसी भले ही लागू कर दी हो, लेकिन एडेड कॉलेजों में मेजर-माइनर, को-करिकुलर कोर्सों और वोकेशनल कोर्स को लेकर कॉलेजों की दिक्कतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। इसके अलावा, नई एजुकेशन पॉलिसी के तहत सेमेस्टर सिस्टम से ग्रेजुएशन करने वाले स्टूडेंट्स में भी लगातार कंफ्यूजन बढ़ा हुआ है। न ही कॉलेजों के पास प्रॉपर इंफ्रास्ट्रक्चर है और न ही ट्रेंड फैकल्टी। वहीं, कुछ एक्सपर्ट का कहना है कि इन बदलावों के कारण स्टूडेंट्स में कंफ्यूजन के साथ-साथ उनके पास विकल्पों की भी कमी नजर आती है। ऐसे में बदलावों के साथ पढ़ाई कराना कॉलेजों के लिए भी चुनौतीपूर्ण बना हुआ है।सबसे अधिक परेशानी वोकेशनल कोर्स के साथ
मौजूदा समय में नई शिक्षा नीति के तहत जो कोर्स डिजाइन किया गया है उसके अनुसार स्टूडेंट्स को 2 मेजर और 1 माइनर विषय लेना है। इसके अलावा ऑड सेमेस्टर में स्टूडेंट्स को को-करिकुलर और इवेन सेमेस्टर में वोकेशनल कोर्स पढ़ना होता है। कालीचरण पीजी कॉलेज के प्राचार्य प्रो। चंद्रमोहन उपाध्याय का कहना है कि एलयू ने को-करिकुलर कोर्स के लिए ऐसे विषयों की व्यवस्था की है जिसे रेगुलर टीचर भी पढ़ा सकते हैं, लेकिन सबसे अधिक समस्या वोकेशनल कोर्स के लिए है। इन कोर्सेज के लिए न ही हमारे पास रिर्सोसेज हैं न ही इंफ्रास्ट्रक्चर और न टीचर। इस तरह की स्थिति में वह उद्देश्य कभी पूरा नहीं होगा, जिसके लिए एनईपी को लाया गया और लागू किया गया।रेगुलर टीचर्स पर बढ़ रहा बोझकॉलेजों के शिक्षकों का तर्क है कि एलयू के सहयुक्त कॉलेजों खासकर एडेड कॉलेजों में टीचर्स की कमी है। एनईपी लागू होने के बाद से सेमेस्टर एग्जाम, को-करिकुलर कोर्स, वोकेशनल कोर्स समेत स्टूडेंट्स के पास कई विकल्प होते हैं, ऐसे में रेगुलर टीचर्स पर बोझ बहुत बढ़ गया है। यही नहीं, जिन कॉलेजों में टीचर्स की कमी है वहां मेजर व माइनर विषयों को लेकर भी दिक्कतें आ रही हैं।

Posted By: Inextlive