युवाओं के दिलों में बढ़ रहे हैं रुकावट के मामले
लखनऊ (ब्यूरो)। आजकल की बिगड़ी हुई लाइफस्टाइल, घर से काम करना और जंक फूड खाने का बुरा असर लोगों की सेहत पर देखने को मिल रहा है, खास दिल पर। युवाओं में खासतौर पर ऐेसे मामले ज्यादा नजर आ रहे हैं। पीजीआई में 30 की उम्र के आसपास वाले ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ी है, जिनकी तीनों आर्टरी ब्लाक हो रही हैं। साथ ही, कई को सर्जरी तक की सलाह दी जा रही है। यह चिंता वाली बात संस्थान में हो रही एंजियोग्राफी की स्टडी में सामने आई है।50-60 फीसदी मरीजों में समस्या
पीजीआई के कार्डियोलॉजी विभाग के डॉ। नवीन गर्ग के मुताबिक, संस्थान में रोजाना 15-20 मरीजों की एंजियोग्राफी की जा रही है, जिसकी स्टडी में पाया गया है कि करीब 50-60 फीसदी मरीजों की आर्टरी में ब्लाकेज देखने को मिल रहा है। कुछ समय पहले यह महज 10 फीसदी था। सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि यह समस्या 40 से कम उम्र के युवाओं में भी देखने को मिल रही है। रोजाना 2-3 मरीज जिनकी उम्र 30 से भी कम है, यह समस्या लेकर आ रहे हैं।बढ़ गया है ब्लॉकेज का साइज
डॉ। गर्ग आगे बताते हैं कि 30 साल से नीचे के काफी मरीज हैं, जिनको हार्ट अटैक हो रहा है। कम उम्र में ही एक-दो आर्टरी में ब्लाकेज भी रहे हैं, तो वहीं कई मरीजों में तीनों आर्टरी में ब्लाकेज हो रहा है। पहले जहां यह ब्लाकेज करीब 3 सेंटीमीटर तक देखने को मिलता था, तो वहीं अब इसका साइज बढ़कर 5-6 सेंटीमीटर तक हो गया है। इसका ट्रीटमेंट करना भी मुश्किल हो रहा है। ऐसे में, अगर किसी युवा को चेस्ट में दर्द जैसा अनुभव हो तो उसे डॉक्टर से जरूर परामर्श करना चाहिए।लगाने पड़ रहे हैं कई स्टेंटब्लाकेज को हटाने के लिए आर्टरी में स्टेंट लगाया जाता है, पर इसकी भी एक लिमिट होती है। मरीजों में जहां पहले डेढ़ स्टेंट ही लगाये जाते थे, तो वहीं ब्लाकेज का साइज बढऩे से अब पांच-छह स्टेंट तक लगाने पड़ रहे हैं। युवाओं में खासतौर पर कोरोना के बाद यह समस्या ज्यादा देखने को मिल रही है। इसकी वजह वायरस, मोटापा, घर से काम करना, फास्ट फूड का अधिक सेवन, एक्सरसाइज न करना और काम वगैरह की टेंशन हो सकता है।ऐसे करें अपना बचाव- प्रॅापर डायट लें- एक्सरसाइज करें- तंबाकू और अल्कोहल से दूर रहें- तनाव से दूर रहें- स्मोकिंग न करें
एंजियोग्राफी के दौरान यह बात सामने आ रही है कि युवाओं में कम उम्र में ही आर्टरी ब्लाक होने की समस्या दिख रही है। ऐसे में, इलाज करना भी मुश्किल हो रहा है। -डॉ। नवीन गर्ग, पीजीआई