छोटे बिजली उपभोक्ताओं और दुकानदारों को मिल सकती बड़ी राहत
- अप्रैल, मई और जून माह के बिल में फिक्स्ड और मिनिमम चार्ज में राहत
- उपभोक्ता परिषद की मांग पर केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने मांगी रिपोर्ट LUCKNOW बस कुछ दिन का इंतजार, फिर प्रदेश के छोटे बिजली उपभोक्ताओं और दुकानदारों को तीन माह के बिजली बिल में फिक्स्ड, मिनिमम और डिमांड चार्ज में बड़ी राहत मिल सकती है। इसकी वजह यह है कि उपभोक्ता परिषद की मांग पर केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने प्रमुख सचिव ऊर्जा व सीएमडी एनटीपीसी से रिपोर्ट मांगी है। यह था परिषद का प्रस्तावकोविड की दूसरी लहर के दौरान हुए लॉकडाउन से बेहाल छोटे दुकानदारों वाणिज्यिक संस्थानों, होटलों, मिष्ठान भंडारों और अन्य ऐसे उपभोक्ताओं जिनका संस्थान या दुकान लंबे समय तक बंद रहे, उनके बंदी की अवधि में बिजली के फिक्स्ड चार्ज, मिनिमम चार्ज सहित डिमांड चार्ज को माफ किए जाने को लेकर उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा को प्रस्ताव सौंपा था। जिसे ऊर्जामंत्री ने केंद्रीय ऊर्जा मंत्री, भारत सरकार को निर्णय लेने के लिए भेजा था।
पूरा डेटा मांगा गयाकेंद्रीय ऊर्जामंत्री भारत सरकार आर के सिंह के निर्देश पर केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा प्रमुख सचिव ऊर्जा उप्र व सीएमडी एनटीपीसी से उपभोक्ता परिषद् के प्रस्ताव पर कोविड की पहली लहर में दी गई रिबेट के क्रम में पुन: कोविड की दूसरी लहर में रिबेट देने के लिए बिजली उपभोग का डेटा मांगा है। एक दो दिन में पावर कार्पोरेशन पूरा डाटा केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय को भेज देगा फिर जल्द ही रिबेट के बारे में भारत सरकार निर्णय लेगा।
200 करोड़ रिबेट मिलने की उम्मीद उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बताया कि पूरे प्रदेश में अगर आंकड़ों की बात करें तो राज्य सेक्टर के उत्पादन निगम, केंद्रीय उत्पादन सेक्टर, राज्य निजी क्षेत्र व केंद्रीय निजी क्षेत्र की जो कुल उत्पादन गृहों की जो डिक्लेयर्ड कैपेबिलिटी अप्रैल 2021 में 17066 मेगावाट थी, वही शेड्यूल्ड जनरेशन 14380 मेगावाट रही अर्थात दोनों के बीच 2687 मेगावाट का अंतर है। इसी प्रकार मई 2021 में यह अंतर दोनों के बीच 5561 मेगावाट और जून 2021 में यह अंतर दोनों के बीच 3827 मेगावाट यानी अप्रैल, मई और जून 2021 के तीनों महीनो में लॉक डाउन के चलते डिक्लेयर्ड कैपबिलटी और शेड्यूल्ड जनरेशन के बीच कुल 12075 मेगावाट का अंतर है। जिसके आधार पर प्रदेश को 200 करोड़ से ज्यादा का रिबेट कैपेसिटी चार्ज से मिलना तय है। 343 करोड़ का रिबेट मिला थावर्ष 2020 में हुए लॉकडाउन में इसी फॉर्मूले से प्रदेश को लगभग 343 करोड़ का रिबेट मिला था, तो इस बार लॉक डाउन में लगभग 200 करोड़ रिबेट केंद्र सरकार से मिल सकता है। इसका लाभ उन उपभोक्ताओं को दिया जा सकता है, जिनका लॉकडाउन में खासा नुकसान हुआ।