अजब प्रेम की गजब कहानी
यहीं से प्यार हो गया.
एक दिन पहले जब लालबाग में रहने अब्दुल अतीक सिद्दीकी के पास आई नेक्स्ट से फोन आया कि वही ड्रीम डेट कांटेस्ट के लकी विनर हैं तो वह खुशी से फूले नहीं समाए। उन्होंने अपनी वाइफ पूर्णिमा को यह सरप्राइ$ज दिया और आज जब बीएमडब्लू उनके घर पहुंची तो पूरा इलाका इस पल को देखने लगा। सिद्दीकी ने बताया कि 28 मार्च 1970 का दिन वह कभी नहीं भूल सकते हैं। पहली बार पूर्णिमा को देखा था। बस, यहीं से प्यार हो गया। उस समय लालबाग में उनकी इलेक्ट्रिकल शॉप थी। मिलना-जुलना शुरू कर दिया, लेकिन उनके पास घर की पूरी जिम्मेदारी थी। वह लोग 10 भाई-बहन थे। पिता की मौत के बाद घर की पूरी जिम्मेदारी उनके कंधे पर आ गई। शादी के लिए सोचा ही नहीं। पूर्णिमा ने भी कभी जिद नहीं की। दोनों एक-दूसरे के करीब आते गए। सभी भाई-बहनों की शादी करने के बाद हम लोगों ने शादी की.
फूलों से सजी कार से घर गये
पूर्णिमा इस बात को लेकर खुश थीं कि आई नेक्स्ट ने उन्हें सेलिब्रिटी बना दिया। उनके मुताबिक फूलों से सजी गाड़ी में बैठकर उन्हें बहुत अच्छा महसूस हुआ। वह बताती हैं कि हम दोनों के बीच बहुत ही अच्छी अंडरस्टैंडिंग है। दोनों को ही घूमने-फिरने का बहुत शौक है और जैसे ही कोई नई फिल्म रिलीज होती है तो वह उसे अगले दिन देखते हैं। इस यादगार मौके पर केक कटिंग सेरेमनी और रिफ्रेशमेंट हुआ। लास्ट में इन्होंने वेन्यू पार्टनर होटल सरोवर पोर्टिको में कैंडिल लाइट डिनर लिया.
संबंधों को ज्यादा महत्व
सिद्दीकी संबंधों को बहुत महत्व देते हैं चाहे ये फैमिली हो या सोसायटी। चाहे जितनी व्यस्तता हो अपनी वाइफ के साथ ही बैठ कर डिनर करते हंै। वे सोशल रिलेशनशिप को भी उतनी ही इंर्पाटेंस देते हैं। पूर्णिमा ने बताया कि वह न तो नॉनवेज खाती हैं और न ही प्याज और लहसुन। घर में प्याज-लहसुन तक नहीं आता है। जब हसबेंड को नॉनवेज खाना होता है तो वह बाहर ही खाते हैं। पूजा-पाठ पर भी उन्होंने कभी ऑब्जेक्शन नहीं किया। एक तरफ वह नमाज अदा कर रहे होते हैं तो दूसरी तरफ घर में मैं पूजा कर रही होती हूं। कभी किसी को कोई ऑब्जेक्शन नहीं। वह तो कहती है कि यदि उनके हसबेंड घर में नॉनवेज खाना चाहते हैं तो उन्हें कोई ऐतराज नहीं है। लेकिन वह कभी घर में नॉनवेज नहीं खाते हैं.
बच्चे न होने पर भी हैं खुश
पूर्णिमा ने बताया कि उनके कोई संतान नहीं है, लेकिन इसकी कभी भी कमी महसूस नहीं हुई। हम लोग आपस में ही इतने घुले-मिले रहते हैं कि कभी बच्चे की कमी का अहसास ही नहीं हुआ। लोग कहते हैं कि मेड फॉर ईच अदर लेकिन उनका मानना है कि वी आर ईच अदर.