जननी ने नवजात को जिंदा गाड़ा फरिश्ता बनी महिला
- बाराबंकी के थाना कोठी अंतर्गत सैदनपुर गांव की दिल दहलाने देने वाली घटना
- खेत में बच्चे को नोच रहे थे कौवे, एक महिला ने दी उसे नई जिंदगी - छह दिनों से बच्चा डफरिन हॉस्पिटल के आईसीयू वार्ड में भर्ती LUCKNOW: ऊपरवाले ने जिंदगी दी मगर उसके मां-बाप ही उसे मारना चाह रहे थे। वे तो उस नवजात को खेत में जिंदा दफना ही चुके थे लेकिन फरिश्ता बनकर आई एक महिला ने उसे को जमीन से निकालकर अपने आंचल में 'पनाह' दे दी। फिलहाल, बच्चा राजधानी के वीरांगना अवंती बाई महिला चिकित्सालय (डफरिन) में भर्ती है। निर्दयता से जिंदा दफनाया गया यह बच्चा लड़का है। कौओं बच्चे का दाहिना पैर व निजी अंगों को घायल कर दिया है। बाराबंकी के थाना कोठी अंतर्गत सैदनपुर गांव में जिंदा बच्चे को दफनाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। संबारा ने बच्चे को दी जिंदगीसैदनपुर गांव के रहने वाले राम प्रसाद की पत्नी संबारा शनिवार की सुबह खेत में शौच के लिए गई थी। संबारा ने बताया कि सुबह के लगभग आठ बज रहे थे। काफी ठंड थी सामने देखा कि गेहूं के खेत में 5-6 कौवे एक जगह जमीन पर कुछ नोच रहे थे। मैं देखने आगे बढ़ी तो वहां बच्चे का पैर दिखा। ऊपर कुछ घास-फूस भी थी। हटाया तो सिर और दूसरे पैर का भी कुछ हिस्सा बाहर निकला हुआ था। कौवे नोच रहे थे। पैरों से खून भी निकल रहा था जो कि जिंदा बच्चे में ही निकलता है। मैंने उसे मिट्टी हटाकर बाहर निकाला तो वह रोने लगा। उसकी आवाज सुनकर मैं भी रोने लगी और घर ले आई।
धान बेच कराया इलाजसंबारा कहती हैं कि मैंने घर पर बताया। आस-पड़ोस में पता किया लेकिन पता नहीं चला कि वहां पर बच्चे को किसने दफनाया। बच्चे के खून निकल रहा था और इलाज की जरूरत थी। लेकिन, इलाज के लिए तुरंत रुपये की जरूरत थी तो मेरे पति राम प्रसाद धान बेचकर रुपये ले आये। उसके बाद हम बच्चे को अस्पताल ले गए। लोगों ने कहा कि पुलिस को जानकारी देनी चाहिए तो हमने पुलिस को जानकारी दी। जहां से हमें जिला अस्पताल बाराबंकी भेजा गया। जहां हालत खराब होने पर मंगलवार देर रात लखनऊ स्थित डफरिन अस्पताल भेज दिया गया। संबारा कहती हैं कि उनके पति राम प्रसाद तीन भाई हैं और तीनों को मिलाकर लगभग एक बीघा खेत है। इस कारण घर में लगभग सभी लोग मजदूरी करके अपना पेट पालते हैं। रा प्रसाद भट्ठे पर काम करते हैं। पैसे की कमी के कारण ही धान बेचकर उसे अस्पताल लाने के लिए पैसे का जुगाड़ हो सका।
खुद की तबियत ठीक नहीं बच्चे के लिये देवी बनकर आई संबारा की भी पिछले कई दिनों से तबियत ठीक नहीं है। बीते कई दिनों से वह लगातार फीवर के कारण परेशान हैं। लेकिन, इस हालत में भी उन्होंने बच्चे को अपने बच्चे की तरह ही ख्याल रखा और तब से एक क्षण के लिए भी बच्चे का साथ नहीं छोड़ा। अब मेरा है बच्चा संबारा के पहले से तीन बच्चे हैं। एक बेटी रानी (10), काजल (9) और श्रीकांत (6) हैं। लेकिन वह इस बच्चे को भी अपनाना चाहती हैं। संबारा कहती हैं कि भगवान ने यह बच्चा उन्हें दिया है तो यह उन्हीं का है। शायद इसीलिए वह लगातार बच्चे के साथ हैं और एक मिनट के लिए छोड़ना नहीं चाहती। बच्चे की हालत पूछने पर वह उस दृश्य को यादकर रो पड़ती हैं। हालांकि, चाइल्डलाइन की निदेशक नाहिदा अकील कहती हैं कि सरकारी नियमों के अनुसार ही बच्चे को वह बाल संरक्षण गृह को सौंप देंगे। इसके बाद नियम के मुताबिक तय किया जायेगा कि बच्चा किसे सौंपा जाए। अस्पताल में हुआ था जन्मडॉक्टर्स के अनुसार बच्चे का जन्म किसी अस्पताल में हुआ होगा। क्योंकि उसकी नाभि में ग्रिप लगी थी जो कि अस्पतालों में ही प्रसव होने पर ही लगाई जाती है। इसका मतलब है कि जिसका भी बच्चा है उसके पूरे परिवार को जानकारी होगी कि बच्चे को जमीन में दफना दिया गया है।
आखिर किसका है बच्चा? संबारा के अनुसार गांव में अब तक किसी ने नहीं बताया कि बच्चा किसका है। आज पांच दिन हो गए लेकिन अब तक कोई सामने नहीं आया। आशंका जताई जा रही है कि किसी अनमैरिड लड़की का बच्चा हो सकता है। जिसे जन्म देने के बाद उसे खेत में फेंक आई। कैसी थी वो मां अब तक लड़कियों को पैदा होने के बाद छोड़ने की खबरें आती थी लेकिन यह पहली बार है जब लड़के को इस तरह छोड़ा गया। उसमें भी उसकी मां और घरवाले कितने निर्दयी होंगे कि बच्चे को जिंदा होते हुए भी दफना दिया। वह तो शुक्र है कि संबारा वहां समय से पहुंच गई। हमें पुलिस से जानकारी मिली। इसके बाद हमने बच्चे को सिविल अस्पताल बाराबंकी और फिर यहां भर्ती कराया। बच्चा ठीक है। नाहिदा अकील डायरेक्टर, चाइल्ड लाइन।बच्चे को डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल बाराबंकी से यहां भेजा गया था। अभी वह चम्मच से दूध पी रहा है और ठीक है। उसके शरीर में कई जगह घाव हैं। एक जगह टांके भी लगे हैं। अभी उसे आईसीयू में रखा गया है।
डॉ। रहमान।