एलएसडी पार्टियां यूथ को बना रही 'कबीर सिंह'
-नशे के सौदागर यूथ को लती बनाने के लिए होती हैं फॉर्म हाउस में पार्टियां
- इन पार्टियों में नशे के लास्ट स्टेज तक पहुंचने का होता है कॉम्पटीशन KANPUR : इन दिनों फिल्म स्टार शाहिद कपूर की मूवी 'कबीर सिंह' चर्चा का विषय है। मूवी में शाहिद कपूर को शराब से लेकर एलएसडी नशा करते हुए दिखाया गया है। मूवी में दिखाया एलएसडी नशा इन दिनों शहर के कई युवाओं के खून में दौड़ रहा है। युवाओं को इस नशे का आदी बनाने के लिए शहर में माफिया एलएसडी पार्टियां करते है। जिसमें डीजे की तेज धुन में यूथ से लेकर हर उम्र का शख्स नशे की डोज लेकर झूमता रहता है, लेकिन पुलिस अभी इस तरह की पार्टियों से बेखबर है। फार्म हाउस किराये पर लेकरशहर के युवाओं को इस नशे का लती बनाने के लिए एलएसडी नाम से पार्टियां की जा रही हैं। ये पार्टियां ज्यादातर शहर के बाहरी इलाकों में स्थित फार्म हाउस को किराये पर लेकर की जा रही हैं। नशे के सौदागार इन पार्टियों का पास जारी करते हैं। वे पार्टी में शामिल होने लोगों को साथियों को लाने का दबाव बनाते हैं, ताकि वे और लोगों को इस नशे की गिरफ्त में ला सकें। इसके लिए कई प्रकार के लालच भी देते हैं। इन पार्टियों में ज्यादातर 15 से 40 साल के ही लोग शामिल होते हैं।
लड़कियों की रहती है फ्री एंट्री नशे के सौदागर इन पार्टियों को और भड़कीला बनाने के लिए लड़कियों को फ्री एंट्री देते हैं। इस समय उनके टारगेट में कॉलेज में पढ़ने वाली लड़कियां है। जिन्हें ये शुरुआत में फ्री में नशे का डोज देते हैं। जब लड़कियां नशे की आदी हो जाती हैं तो ये लड़कियों को ब्लैकमेल करते हैं। एक डोज से आखिरी पायदान तक नशे के आखिरी पायदान में पहुंचाने वाले नशे को एलएसडी (लास्ट स्टेज ऑफ ड्रग्स) कहते हैं। कबीर सिंह मूवी में इस नशे को दिखाया गया है। यह एक ऐसा जुनून है, जो युवाओं को बर्बाद कर रहा है। अगर एक बार किसी को इस नशे की लत लग गई तो वह बमुश्किल ही इन नशे से बाहर निकल पाता है। इन नशे के लती कुछ लोग नशे की उस हद तक जाना चाहते है, जहां पर यह खत्म होता है। नशे से अभी तक नहीं उबर पाया ये 'कबीर सिंह'शहर के नामचीन इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ने वाला एक स्टूडेंट एलएसडी नशे से इस कदर बर्बाद हो गया कि अब पेरेंट्स को नशा छुड़ाने के लिए उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है। पीडि़त फतेहपुर निवासी है। उनके पिता किसान हैं। उन्होंने अच्छे भविष्य के लिए बेटे का एडमिशन कराया था, लेकिन वह बुरी संगत में पड़कर नशे का लती हो गया। पहले वो शराब पीता था, फिर धीरे धीरे वह एलएसडी नशा करने लगा।
बॉक्स क्या है एलएसडी नशा लाईसेर्जिक डाई एसेलेनाईड नाम से सिल्वर रंग का पेपर का यूज इस नशे में किया जाता है। यह पेपर अमेरिका, रूस सहित पांच देशों से सप्लाई किया जाता है। एक स्क्वॉयर इंच के इस पेपर की कीमत पांच डालर है। इसका नशा करने के लिए पेपर को जलाने के बाद उठने वाले धुएं को सूंघा जाता है। जिससे इतना गहरा नशा होता है कि उसका असर दो दिन तक रहता है। इसके अलावा यह पाउडर में भी आता है। इस पाउडर को एक झटके में सूंघा जाता है। यह दिमाग में जाते ही असर करता है। नशा करने वालों की पहचान - पानी से डरकर दूर भागना - अलग और गुमसुम रहना - आखों का लात और भारी रहना - हर समय डरा रहना, झगड़ा करना, अचानक गुस्सा आना- सामान्य बातों पर भी चेहरे के भाव बदलना
खुराक न िमलने पर हाल - हाथ और पैर का कांपना - दिल घबराना, बीपी लो होना - सिर और चेहरे पर पसीना आना - सिर दर्द और चक्कर आना - जुबान लड़खड़ाना, छटपटाहट होना और गला सूखना