चीन में शी जिनपिंग को मिली सत्ता की कमान
ली केचियांग को वेन जियाबाओ की जगह देश का नया प्रधानमंत्री बनाया जा सकता है। शी मौजूदा राष्ट्रपति हू चिनताओ का स्थान लेंगे जो साल 2003 से चीनी सत्ता की बागडोर संभाले हुए हैं। चीन में हर दस साल में नेतृत्व परिवर्तन होता है।
पिछला दशक प्रगति के लिहाज चीन के लिए बेहद प्रभावशाली रहा और वो दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया। उसने करोड़ों लोगों को गरीबी से निकाला और एक बेहतर जिंदगी दी है।नेता चुने जाने के बाद शी ने कहा, “चीनी राष्ट्र ने मानवता के विकास में बहुत योगदान दिया है। हम अब बहुत अहम मोड़ पर हैं.” उन्होंने कहा, "हमारा मिशन एकुजट रहना है। और लोगों और पार्टी का इस तरह नेतृत्व करना है कि चीनी राष्ट्र और मजबूत बने۔"चीनी लोगों की सराहनाउन्होंने इस मौके पर चीनी लोगों की सराहना करते हुए उन्हें बेहद परिश्रमी बताया। उन्होंने कहा कि बेहतर जिंदगी की चीनी लोगों की इच्छा ही उनका लक्ष्य है।
नए नेता ने कहा कि चीन कम्युनिस्ट पार्टी ने देश के लोगों की जिंदगी को बेहतर बनाया है और पूरी दुनिया ने ये देखा। लेकिन वो इसी संतुष्ट हो कर नहीं बैठेंगे। उन्होंने रिश्वत और भ्रष्टाचार को पार्टी की बड़ी समस्या बताया जिसे दूर किए जाने की जरूरत है।
पोलित ब्यूरो की नई स्थायी समिति के सदस्यों की संख्या नौ से घटा कर सात कर दी गई है। नई समिति में शी जिनपिंग, ली केचियांग, छांग डेजियांग, लियु युनशान, वांग किशान और छांग गाओली शामिल हैं। पोलित ब्यूरो ही देश के लिए सभी अहम फैसले लेती है, जिन्हें लागू करने के लिए कम्युनिस्ट की केंद्रीय समिति की मंजूरी जरूरी होती है।नए नेतृत्व पर नजरचीन की भावी आर्थिक और राजनीतिक दिशा को देखते हुए चीन के नए नेताओं पर सबकी नजर है। चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, लेकिन दुनिया के कई हिस्सों में आर्थिक संकट को देखते हुए उसकी आर्थिक वृद्धि में भी गिरावट देखी जा रही है।इसके अलावा जापान, दक्षिण कोरिया, फिलीपींस और कई दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ चीन के विवाद हाल के समय में गहराए हैं। ऐसे में नए नेतृत्व के सामने कई चुनौतियां हैं।शी ने कहा चीन को दुनिया के बारे में ज्यादा जानने की जरूरत है, उतनी ही जरूरत दुनिया को चीन के बारे में ज्यादा जानने की है। अमरीकी विदेश नीति में प्रशांत एशिया क्षेत्र को अहमियत दिए जाने को भी चीन अपने लिए चुनौती के तौर पर देखता है। चीन की लगातार बढ़ती सैन्य ताकत से भारत समेत दुनिया के कई देश चिंतित हैं।