World Water Day: अगर यहां पानी की बर्बादी नहीं रुकी तो आएगा 'बड़ा संकट'
फ्लैग-कानपुर के पॉश इलाकों में 25 मीटर पर पहुंचा जलस्तर
* शहर में हर साल 45 सेमी। गिर रहा जलस्तर, दिन पर दिन घटता जा रहा है ग्राउंड वाटर लेवल* सेमी क्रिटिकल की श्रेणी में आए कानपुर के 3 ब्लॉक, कल्याणपुर ब्लॉक अतिदोहित की श्रेणी में* वाटर हार्वेस्टिंग न होने से नहीं हो पाता है ग्राउंड वाटर रीचार्ज, 33 परसेंट पानी ही पीने योग्य बचा हैतेजी से वाटर लेवल गिरा
वहीं प्री और पोस्ट मानसून के आंकड़ों की बात करें तो इसमें भी हर साल 20 सेमी। औसत गिरावट दर्ज की जा रही है। वहीं पिछले 10 साल में कानपुर का ग्राउंड वाटर लेवल 70 सेमी तक गिर चुका है, जो चिंता का विषय है, साथ ही हर साल हालात बनने की बजाय बिगड़ते ही जा रहे हैं। वहीं शहर के 20 इलाकों में तेजी से वाटर लेवल गिरा है। हालत ये है कि कानपुर में अगर पानी की बर्बादी नहीं रुकी तो वो समय दूर नहीं जब 'अर्बन ड्रॉट' की श्रेणी में आकर खड़ा हो जाएगा। आज वर्ल्ड वाटर डे के मौके पर दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट आपके 'जीवन' को सुरक्षित करने के लिए एक सीरीज शुरू कर रहा है। जिससे आप पानी के मोल को समझें और खतरनाक स्थिति में कानपुर को पहुंचने से पहले बचा लें।
भूगर्भशास्त्री प्रो। पीके पटनायक के मुताबिक पानी की कमी के साथ एक बड़ा कारण पानी का प्रदूषण भी बढ़ता जा रहा है। इसकी वजह से भूगर्भ में पानी की पहली लेयर जिसे फर्स्ट स्टेटा भी कहते हैं वह 100 से 150 मीटर के बीच में होती है, जिसमें पीने योग्य पानी होता है, यह प्रदूषित होती जा रही है। इस वजह से पानी की क्वालिटी गिरने से चर्म रोग और अन्य रोग भी बढ़ते जा रहे हैं। सेकेंड स्टेटा 160 से 250 मीटर के बीच है, जिसमें खारा पानी है, जो पीने योग्य नहीं है। इसके बाद थर्ड और फोर्थ स्टेटा में पानी पीने योग्य है, लेकिन इस प्राप्त करने के लिए पाताल तक (450 मीटर) अंदर तक जाना होगा। बताते चले कि भूगर्भ जल विभाग 450 मीटर तक ही सर्वे कर पाया है।
नहीं हो रहा वाटर रिचार्ज
कानपुर जिले में पानी का दोहन तेजी से किया जा रहा है, लेकिन दशकों से अब तक वाटर रिचार्ज सिर्फ कागजों में ही किया जा रहा है। लोगों के द्वारा वाटर रिचार्ज के लिए किए जाने वाले प्रयास सिर्फ .1 परसेंट ही है। वहीं सरकारी बिल्डिंग में भी वाटर रिचार्ज सिस्टम नहीं लगाए गए हैं। बारिश के पानी से ही हर साल औसतन 5 से 7 परसेंट तक वाटर लेवल रिचार्ज हो पाता है और इससे 9 गुना तेजी से हर साल वाटर लेवल गिर रहा है.
साल में 3 बार होती है मॉनीटरिंग
* बारिश की कमी और वाटर लेवल रीचार्ज न होने से ग्राउंड वाटर लेवल तेजी से गिर रहा है। शहर के ग्राउंड वाटर लेवल में हर साल शहरी क्षेत्रों में 45 सेमी। की गिरावट दर्ज की जा रही है। जोकि अच्छे संकेत नहीं हैं। कानपुराइट्स को पानी की बर्बादी को रोकने के लिए कारगर कदम उठाने होंगे।
-अवधेश कुमार भाष्कर, टेकनिकल असिस्टेंट, भूगर्भ जल विभाग।