कोरोना से जीते, आ गए डायबिटीज के लपेटे में
- हैलट में कोरोना से ठीक होने वाले 3.5 परसेंट पेशेंट्स में बढ़ा डायबिटीज का लेवल
- डॉक्टर्स बोले, कोरोनावायरस के असर से पैंक्रियाज के बीटा सेल हो रहे डैमेजKANPUR: सिटी में कोरोना वायरस के अब तक 28 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। इनमे से 27 हजार के करीब पेशेंट्स सही भी हो चुके हैं। वहीं बड़ी संख्या में ऐसे पेशेंट्स भी हैं जिनमे कोरोना से रिकवर होने के बाद डायबिटीज का लेवल तेजी से बढ़ गया। डॉक्टर्स ने जब इसे लेकर पड़ताल की तो पता चला कि कोरोना वायरस का असर पैंक्रियाज पर भी पड़ रहा है। कुछ पेशेंट्स ऐसे मिले हैं। जिनमें कोरोना से उबरने के बाद भूख नहीं लगने, वजन कम होने की शिकायत थी। जब उनकी जांचे कराई गई तो पता चला कि उनमें डायबिटीज अनकंट्रोल्ड हो गई थी। इसके कारणों की पड़ताल की गई तो पता चला कि इन पेशेंट्स के पैंक्रियाज में बीटा सेल काफी डैमेज हो गए थे।
ठीक होने के बाद डायबिटीजकोरेाना के ट्रीटमेंट में लेवल-3 के कोविड हॉस्पिटल हैलट में बीते अक्टूबर तक ढाई हजार से ज्यादा कोरोना पॉजिटिव पेशेंट्स एडमिट हुए। इसमें से दो हजार से ज्यादा पेशेंट्स रिकवर होकर घर भी चले गए। कई पेश्ेांट्स कानपुर के आसपास के जिलों के भी हैं। कोरोना से ठीक होने के दो से तीन हफ्तों में इनमें से कई पेशेंट्स में डायबिटीज के लक्षण दिखने लगे। उनका वजन गिरने लगा, भूख कम हो गई, गला सूखने लगा। साथ ही कमजोरी भी महसूस होने लगी। हैलट में मेडिसिन डिपार्टमेंट में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ। एसके गौतम ने बताया कि उनके पास बड़ी संख्या में ऐसे पेशेंट्स आए जिनमें कोरोना से ठीक होने के बाद डायबिटीज के लक्षण उभर आए थे.इनमें जब डायबिटीज की जांच कराई तो शुगर का लेवल 400,500 के स्तर पर था। ऐसे में उन्हें तत्काल डायबिटीज की दवाएं देनी पड़ी। डॉ.गौतम ने बताया कि उनके पास ओपीडी में अब तक ऐसे 76 पेशेंट्स आए हैं। यह संख्या अस्पताल में भर्ती हुए कोरोना के कुल संक्रमितों का 3.5 परसेंट है। जब उन्हें कोरोना की पुष्टि के बाद इलाज के लिए भर्ती किया गया था तब उनकी डायबिटीज की हिस्ट्री नहीं थी। न ही उनकी फैमिली में डायबिटीज की हिस्ट्री की जानकारी थी। फिर भी इन पेशेंट्स में शुगर का स्तर अनकंट्राेल्ड मिला।
बीटा सेल हो रहा डैमेजडॉ.एसके गौतम ने जानकारी दी कि लंग्स में एंजियोटेनसिन कंवर्टर इंजाइम (एसीई) जिसे एस टू रिसेप्टर भी कहते हैं, पाए जाते हैं.इसी तरह के एस टू रिसेप्टर पैंक्रियाज में भी होते हैं। कोरोना वायरस का संक्रमण होने से वायरस लंग्स होते हुए पेट के रास्ते एसटू रिसेप्टर के जरिए पैंक्रियाज की बीटा सेल से चिपक जाते हैं। जिससे बीटा सेल डैमेज होने लगते हैं। और उनकी इंसुलिन बनाने की क्षमता भी प्रभावित होने लगती है। जिससे डायबिटीज की प्रॉब्लम हो जाती है।
डायबिटीज के प्रभाव पर हुआ रिसर्च दरअसल कोरोना वायरस और डायबिटीज के संबंध को लेकर अभी तक इंटरनेशनली दो स्टडीज हुई हैं। यह दोनों रिसर्च चीन में हुए हैं। जिसमें 56 और 281 पेशेंट्स में डायबिटीज के प्रभाव पर रिसर्च की गई। इन दोनों रिसर्च में भी कोरोना वायरस की वजह से पैंक्रियाज में बीटा सेल के डैमेज होने की पुष्टि हुई है।'' कोविड हॉस्पिटल में भर्ती होने के वक्त कई संक्रमितों में पहले ही डायबिटीज अनकंट्रोल्ड थी,लेकिन कई संक्रमितों के ठीक होने के कुछ समय बाद डायबिटीज अनकंट्रोल्ड होकर सामने आई। यह बात इस तथ्य को पुख्ता करती है कि कोरोना वायरस पैंक्रियाज में बीटा सेल को डैमेज करता है। जिससे कुछ संक्रमितों में ठीक होने के बाद डायबिटीज की प्रॉब्लम भी हो सकती है। इस बाबत एक रिसर्च प्रोजेक्ट जल्द एथिक्स कमेटी के पास रखेंगे। जिसकी मंजूरी के बाद आगे शोध किया जाएगा.''
- डॉ। एसके गौतम, एसोसिएट प्रोफेसर, मेडिसिन डिपार्टमेंट, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज