टेनिस की बारात के लिए विंबलडन तैयार
कोर्ट नंबर 6 पर छह बार के चैंपियन रोजर फ़ेडेरर कनाडा के मिलोस राओनिच के साथ अभ्यास कर रहे है।
सितारों के अलग रंगबिना किसी बॉल बॉय के। इक्का दुक्का तमाशबीन इस महान खिलाड़ी को अभ्यास करते हुए देख रहे हैं। गेंद कोर्ट से बाहर जाती है तो फेडेरर खुद उसे उठाने जाते हैं। यह वही फेडेरर हैं जिन्हें अपने नए रैकेट का रैपर उखाड़ने के लिए भी एक इंसान की जरूरत होती है।उधर सेंटर कोर्ट पर विंबलडन के क्यूरेटर एडी सीवर्ड एक खास अकड़ के साथ आबोहवा का जाएज़ा ले रहे हैं.एडी अब 68 साल के हो चले हैं.स्टीफ़न एडबर्ग और स्टेफ़ी ग्राफ़ के जमाने से ही उन्हें “ग्रास विह्सपरर” के नाम से पुकारा जाता है।विंबल्डन के कोर्ट्स को न सिर्फ चुस्त दुरुस्त रखने की जिम्मेदारी उनकी है बल्कि 8 जुलाई के फाइनल के बीस दिनों के अंदर उन्हें इन कोर्ट्स को ओलंपिक खेलों के लिए भी तैयार करना है। एडी अपने काम को इतनी गंभीरता से लेते हैं इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि विंबल्डन के तमाम 19 कोर्ट्स की घास की लंबाई 8 मिलीमीटर रखी गई है। यहाँ तक कि घास के रंग पर भी एडी की नजर है.ज्यादा गहरे रंग की घास का मतलब हुआ घास पर अधिक नाइट्रोजन की उपस्थिति यानि फिसलने वाली सतह।
अनचाहे मेहमानएडी इस बात की भी नाप करते हैं कि एक वर्ग सेंटीमीटर में घास के कितने ब्लेड हैं। उनकी सबसे बड़ी चिंता है कि विंबल्डन में रात में घूमने वाली लोमड़ियों के पेशाब से वहाँ की घास को कैसे बचाया जाए। पेशाब से घास के साथ साथ उसके नीचे की मिट्टी भी खराब होती है।एडी अभी भी 1990 के दशक का वह वाकया नहीं भूले हैं जब फाइनल से एक दिन पहले एक लोमड़ी ने सर्विस लाइन के पास पेशाब कर दिया था जिससे वहाँ की मिट्टी पोली हो गई थी। एडी बताते हैं कि अगर आप जाड़े में किसी रविवार को यहाँ आएं तो आप बीबीसी के कमेंट्री बॉक्स में लोमड़ियों को धूप सेकते पाएंगे।आजकल तो टूर्नामेंट शुरू होने से कई दिनों पहले ही कोर्ट्स के चारों तरफ बिजली के तारों की बाड़ लगा दी जाती है और चौकीदार कुत्तों के साथ उस इलाके की निगरानी करते हैं। कबूतरों को भगाने के लिए एडी एक अमरीकी बाज़ का सहारा लेते हैं। एडी को कबूतर इसलिए पसंद नहीं हैं क्योंकि उनकी बीट में गंधक होता है जो घास को जला देता है। एडी को इंतजार है उस क्षण का जब वर्तमान चैंम्पियन जोकोविच पहला मैच खेलने के बाद एडी की तरफ देख कर आँखों ही आँखों में कहेगे कि उनकी मेहनत रंग लाई है।