दुश्मनों को सरेंडर कराएगा विभ्रम, मेडिकल दवाएं भी पहुंचाएगा
- आईआईटी कानपुर ने बनाया है हेलीकॉप्टर, ट्यजडे को ट्वीट कर दी जानकारी
- मेडिकल सप्लाई, क्राउड मॉनिटरिंग और सर्चएंड रेस्क्यू ऑपरेशन में कुशलता से काम कर सकेगा यह हेलीकॉप्टर - 07 केजी है वेट, पांच किलो तक भार उठा सकता है - 50 किलोमीटर तक की भर सकता है उड़ान -02 साल पहले के वर्जन को भेजा गया बेंगलुरु के एयर शो में - -20 से 50 डिग्री सेल्सियस तक के टेम्प्रेचर में भी काम कर सकेगा -15 किमी की दूरी से आसानी से वीडियो डाटा भी भेज सकेगा - 120 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से 11500 फीट की ऊंचाई पर जा सकता - 04 घंटे तक लगातार उड़ान भरने की इसकी क्षमता है।KANPUR(2 Feb): आईआईटी कानपुर ने स्टार्टअप प्रोग्राम के तहत बहुत ही हल्का हेलीकॉप्टर विभ्रम बनाया है। 7केजी के लगभग कम वेट का यह हेलीकॉप्टर दुश्मनों को तो सरेंडर करने पर मजबूर करेगा ही साथ ही हमारे जवानों को क्रिटिकल कंडीशंस पर मेडिकल हेल्प भी उपलब्ध करा देगा। साथ ही आग की घटनाओं के समय इसका यूज किया जा सकेगा। इस हेलीकॉप्टर को सेना की जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाया गया है। आईआईटी कानपुर के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के सीनियर साइंटिस्ट प्रो। अभिषेक की देखरेख में बनाया गया है। ट्यूजडे को आईआईटी कानपुर के टिवट्र एकाउंट से इसकी जानकारी दी गई।
लिडार तकनीक का यूज आईआईटी कानपुर के मुताबिक, इस हेलीकॉप्टर में मेडिकल किट बॉक्स के साथ सीबीआरएनई सेंसर, लिडार टेक्नीक के अलावा कई अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी का यूज किया गया है.मेडिकल सप्लाई, क्राउड मॉनिटरिंग और सर्चएंड रेस्क्यू ऑपरेशन में कुशलता से यह हेलीकॉप्टर काम कर सकेगा। क्या है लिडार टेक्निक? लिडार लाइट डिटेक्शन ऐंड रेंजिंग तकनीक है। इसके जरिए दुर्गम पहाड़ी इलाकों की सड़क निर्माण में सर्वे का काम किया जाता है। सर्वे कर डिजिटल इमेज के जरिए दुर्गम इलाकों की सड़क संरचना का एकदम सही अंदाजा लगाया जा सकता है। इससे जमीन की बनावट, सतह की ऊंचाई, पेड़-पौधों के फैलाव और क्षेत्रफल का सही अनुमान लगाकर मदद ली जा सकती है। साथ ही सड़क को भविष्य में होने वाले लैंड स्लाइडिंग और बाढ़ आदि से बचाया जा सकता है। मॉब के बारे में देगा जानकारी दुर्गम पहाडि़यों में भी यदि कई लोग एकत्र होंगे तो भी इस आईआईटी कानपुर का यह नया अस्त्र उनकी जानकारी दे देगा। हिंसा रोकने में भी इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होगी। जहां लोगों के जाने में खतरा होगा वहां पर भी इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा। कोरोना वैक्सीन पहुंचाने का ट्रायलहल्के हेलीकॉप्टर का ट्रायल पहाड़ी और दूरदराज के क्षेत्रों में कोरोना वैक्सीन पहुंचाने के लिए किया जा सकता है। इस काम में सेना की मदद ली जाएगी। अगर यह सफल रहता है तो स्वास्थ्य विभाग को दिया जा सकता है। सेना के जवानों के लिए दवाएं और खाने पीने की वस्तुएं पहुंचाने में उपयोग होगा।
इंडयोर 15 द फर्स्ट रिस्पांडर की खासियतें? आईआईटी कानपुर की ओर से डेवलप किए गए हेलीकाप्टर का नाम इंडयोर 15 द फर्स्ट रिस्पांडर रखा गया है। - दुश्मनों को आइडेंटीफाई कर उन्हें सरेंडर करवाकर जमीन पर उतारेगा -मेडिकल किट पहुंचाने और रेस्क्यू ऑपरेशन में इसका इस्तेमाल होगा - सीबीआरएनई सेंसर लगा हुआ है - वर्टिकल टेक ऑफ और लैंडिंग, लॉन्ग रेंज एंड एंडुरेंस, ऑब्सट्रेल अवॉइडेंस, लॉन्ग वीडिया स्ट्रीमिंग और सटीक नेविगेशन शामिल हैं। - वर्टिकल टेकऑफ व लैंडिंग करने से किसी भी स्थान से आसानी से उड़ान भर सकेगा -क्राउड मॉनिटरिंग के लिए भी सेंसर लगे हैं। विभ्रम को सेना और एनडीआरएफ ने काफी पसंद किया। इसका नया वर्जन तैयार किया जा रहा है, जो कि स्टील्थ तकनीक पर आधारित रहेगा। एयर शो में पहले का वर्जन भेजा गया है। प्रो। अभिषेक, एंडयोर एयर के निदेशक