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- डीआईजी ने कसा अवैध पटाखा भंडारण करने वालों पर शिकंजा, उन्नाव और लखनऊ से बुलाए गए स्निफर डॉग

- घनी आबादी वाले इलाकों में होगी चेकिंग, बारूद की गंध सूंघकर गोदाम तक पहुंच जाएंगे डॉग, थानेदार होंगे जिम्मेदार

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KANPUR : पुलिस की सख्ती के बावजूद शहर में जगह-जगह बारूद के ढेर लगे हुए हैं। जमकर अवैध पटाखों का भंडारण किया गया है, लेकिन इसकी जानकारी पुलिस को नहीं मिल पा रही है। इसे पुलिस की मुखबिर तंत्र की कमी कहें या असफलता। इसका नतीजा बजरिया में पकड़े गए पटाखों का जखीरा और मूलगंज में चप्पल की दुकान में पटाखों का पकड़े जाना है। इसके अलावा भी नौबस्ता, नवाबगंज और शहर के दूसरे थाना क्षेत्रों में भंडारण के लिए ले जाए जा रहे पटाखे पकड़े गए। अब पुलिस ने अवैध पटाखों के भंडारण की जानकारी के लिए नया तरीका तलाश लिया है। असल में लखनऊ व उन्नाव में बारूद सूंघने वाले 'स्निफर डॉग' उपलब्ध हैं। लखनऊ की फील्ड यूनिट से संपर्क कर तीन 'स्निफर डॉग' को कानपुर बुलाया जा रहा है।

साथ में टीम करेगा रेड

डॉग ट्रेनर के साथ 'स्निफर डॉग' को घनी आबादी वाली तंग गलियों में घुमाया जाएगा। साथ में थाना पुलिस भी रहेगी। जहां 'स्निफर डॉग' को बारूद की गंध लगेगी वो उस तरफ ही जाएगा। जानकारी मिलने पर पुलिस की टीम रेड करेगी और अवैध पटाखों के भंडारण को पकड़ेगी। डीआईजी ने बताया कि जिस इलाके में इस ड्राइव के बाद अवैध पटाखे पकड़े जाएंगे। उस इलाके के जिम्मेदार पुलिस कर्मियों के खिलाफ दीपावली के बाद कार्रवाई की जाएगी।

गली गली लगे हैं ढेर

एक समय था, जब टिकरा, महराजपुर, बिधनू और गंगागंज जैसे इलाकों में अवैध पटाखों का कारोबार होता था। मगर हादसे दर हादसे हुए तो सबक लेते हुए प्रशासन ने सख्ती की और इन क्षेत्रों में अवैध पटाखों का कारोबार समाप्त कर दिया। लेकिन, दूसरी ओर शहर में गली-गली पटाखों के भंडारण की समस्या खड़ी हो गई। दीपावली के समय तो पूरा शहर बारूद के ढेर पर बैठा नजर आता है। पुलिस और अग्निशमन विभाग के साथ-साथ जिला प्रशासन भी हकीकत से अंजान नहीं है, लेकिन पता नहीं क्यों सख्त कार्रवाई नहीं हो पाती।

दो करोड़ के आते हैं पटाखे, खपत पांच करोड़ की

पटाखा कारोबार से जुड़े कारोबारियों के मुताबिक पहले शिवकाशी से सीधे पटाखे कानपुर आते थे। तब कई लोगों के पास लाइसेंस थे, लेकिन मौजूदा समय में मैनपुरी और आगरा के डीलर्स की माध्यम से पटाखे मंगाए जाते हैं। दीपावली के समय लगभग दो करोड़ रुपये के पटाखे एक नंबर से आते हैं, मगर जानकारों के मुताबिक इसके स्थान पर करीब पांच करोड़ रुपये तक के पटाखे फोड़े जाते हैं। अब सवाल ये है कि आखिर तीन करोड़ के पटाखे कहां से आते हैं? इसका सीधा सा जवाब है कि सभी अवैध रूप से लाए और बेचे जाते हैं। कानपुर देहात, उन्नाव, हमीरपुर के आतिशबाजों के बनाए अवैध पटाखों को कानपुर में खपाया जाता है।

बिना अनुमति लगती दुकानें

फायर अधिकारी भी मानते हैं कि शहर में तमाम स्थानों पर बिना अनुमति के दुकानें सज जाती हैं। जगह-जगह पटाखों की दुकानें लगी रहती हैं। जिम्मेदारी पुलिस की है, लेकिन स्थानीय पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर सकती।

ये है दुकानों का नियम

-विस्फोटक अधिनियम 1984 और विस्फोटक विनियम 2008 के अध्याय 7 में आतिशबाजी की स्थायी व अस्थायी दुकानों के लिए नियम हैं।

-थोक लाइसेंस धारक इनका पालन करने को बाध्य हैं। नियम 83 के अनुसार पटाखा बिक्री की स्थायी दुकान कंक्रीट से बनी हुई होनी चाहिए

-जिस दुकान में पटाखे रखे जाएं उसका आकार 9 वर्गमीटर से ज्यादा और 25 वर्गमीटर से कम होना चाहिए।

- दुकान में कोई बिजली उपकरण, लैंप, बैटरी या ¨चगारी पैदा करने वाला समान नहीं होना चाहिए।

- दुकान में आग बुझाने के पर्याप्त इंतजाम होने चाहिए

- दुकान ऐसी जगह पर होनी चाहिए जहां हादसा होने पर फायर बिग्रेड की गाडि़यां आसानी से पहुंच सकें।

देशी बम के लिए बदनाम था टिकरा

बिठूर का टिकरा कभी देशी बम पटाखा का गढ़ माना जाता था। कानपुर नगर ही नहीं कानपुर देहात, इटावा ,औरैया ,उन्नाव, तक के व्यापारी चोरी छिपे टिकरा के देशी बम खरीदते थे। टिकरा के अल्ला रक्खु ने बारूद का लाइसेंस लेकर अनार, मस्ताब, ¨सघाड़ा बनाकर यहां पर इस कारोबार की नीव रखी थी। मगर बाद में मानक से अधिक अवैध रूप से पटाका देशी बम बनाए जाने लगे। 1994 में टिकरा गांव में रमजान के घर के अंदर ¨चगारी से विस्फोट हो गया जिसमे बनाने वाले 7 लोगो ने जान गंवा दी थी। अल्ला रक्खू के जेल जाने के बाद कारोबार को इलियास खान उर्फ टेनी ने कारोबार को संभाला। प्रशासन की सख्ती के चलते लुकाछिपी से कारोबार चलता रहा। नौरंगाबाद गांव के बाहर एक कच्चे मकान में 2014 में पटाखा बनाते समय विस्फोट हुआ, जिसमें टिकरा के पप्पू खान की मौत हो गई और तभी से यहां कारोबार बंद हो गया।

''जिले में किसी भी हालत में पटाखों का भंडारण नहीं होने दिया जाएगा। लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ नहीं होने देंगे। पब्लिक से भी अपील है कि अगर कहीं अवैध तरह से पटाखों का भंडारण की जानकारी हो तो पुलिस को सूचित करें.''

डॉ। प्रीतिंदर सिंह,डीआईजी

Posted By: Inextlive