शहर के सबसे बड़े एलएलआर अस्पताल में आग और एसिड से झुलसे मरीजों को इलाज नहीं मिलेगा. क्योंकि नई बर्न यूनिट अभी निर्माणाधीन है. 26 बेड की यह यूनिट चार साल से निर्माणाधीन ही है. जबकि इससे कम वक्त में एलएलआर कैंपस में ही 240 बेड का सुपरस्पेशिएलिटी अस्पताल तैयार हो गया. बर्न यूनिट तैयार न होने का खामियाजा जले और झुलसे मरीजों को भुगतना पड़ रहा है. स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स होने के बाद भी इन मरीजों का इलाज नहीं हो पा रहा है. वहीं पुरानी बर्न यूनिट में महीनों से मरीज भर्ती ही नहीं किए जा रहे हैं. 6.75 करोड़ की लागत से बन रही इस यूनिट में बर्न पेशेंट्स के इलाज के लिए सभी मार्डन सुविधाएं होनी थी.


कानपुर (ब्यूरो) एलएलआर अस्पताल में आईसीयू के सामने खाली जमीन पर नई बर्न यूनिट का काम शुरू हुए कई साल हो चुके हैं। सरकारी कंपनी सीएंडडीएस के पास इस नई यूनिट की बिल्डिंग को बनाने का ठेका है,लेकिन साल दर साल इस नई यूनिट को बनाने की रफ्तार बेहद धीमी रही है। इसके पीछे ठेकेदार समय पर बजट जारी न होने की बात कहते हैं।

नहीं भर्ती हो रहे बर्न के मरीज
हैलट इमरजेंसी के सामने ही वार्ड-1 में पुरानी बर्न यूनिट है,लेकिन बीते कई महीनों से यहां बर्न के मरीज भर्ती ही नहीं किए जा रहे। उन्हें उर्सला अस्पताल रेफर कर दिया जाता है। पहले जहां कोरोना संक्रमण की वजह से इस वार्ड को होल्डिंग एरिया में तब्दील कर दिया गया था। फिर बर्न यूनिट के ऊपर ही वैक्सीनेशन सेंटर बना दिया गया। इसके बाद अब वार्ड-1 में न्यूरो व सर्जरी के ही मरीज भर्ती किए जा रहे हैं,लेकिन बर्न यूनिट खाली पड़ी है। मालूम हो कि पहले पुरानी बर्न यूनिट में इंफेक्शन रेट हाई होने की वजह से मार्टेलिटी काफी ज्यादा थी.इसके बाद ही नई यूनिट बनाने का प्रस्ताव शासन व केंद्र सरकार को भेजा गया था। इसके बाद नेशनल प्रोग्राम फॉर प्रिवेंशन एंड मैनेजमेंट ऑफ बर्न इंजरीज के तहत केंद्र सरकार ने जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में नई बर्न यूनिट बनाने को मंजूरी दी थी।

Posted By: Inextlive