अफ़्रीका के कीनिया से दक्षिण अफ़्रीका तक का हज़ारों मील का सड़क का सफ़र करना और वो भी व्हीलचेयर पर.....सुनने या पढ़ने भर से इस सफ़र की कठिनाई का अंदाज़ा लगाना मुश्किल है.

लेकिन ये कठिन यात्रा कर रहे हैं कीनिया के ज़ैकरी ज़िमोथो जो व्हीलचेयर का इस्तेमाल करते हैं। और उनकी यात्रा का मकसद एक ऐसे अस्पताल के लिए धन इकट्ठा करना है जहां रीढ़ की हड्डी की चोट लगे मरीज़ों का ख़ास इलाज और पुनर्वास हो सके।

आठ साल पहले कार छीनने के एक मामले में उन्हें गोली लग गई थी जिससे उनकी रीढ़ की हड्डी पर असर पड़ा और वे व्हीलचेयर के मोहताज हो गए।

ज़ैकरी ने बीबीसी संवाददाता मैथ्यू पिंसेंट को बताया, "गोली सीधे हाथ के ऊपरी हिस्से पर लगी और रीढ़ की हड्डी को पार करती हुई उल्टे हाथ में जा कर अटक गई."

वे कीनिया के उन हज़ारों लोगों में से हैं जो रीढ़ की हड्डी की चोट से पीड़ित हैं लेकिन फ़िलहाल देश में इसके इलाज के लिए उचित व्यवस्था मौजूद नहीं है। मरीज़ो को विशेषज्ञ इलाज के लिए दक्षिण अफ़्रीका जाना पड़ता है।

हज़ारों मील लंबी यात्रा

ज़ैकरी नैरोबी में स्पाइनल इंजरी रीहैबिलिटेशन यूनिट बनाने के लिए लगभग 20 लाख पाउंड जुटाने की कोशिश कर रहे हैं जो पूर्वी अफ़्रीका में रीढ़ की हड्डी की चोटों के इलाज के लिए पहला अस्पताल होगा। और इसके लिए वो अपनी व्हीलचेयर पर कीनिया की राजधानी नैरोबी से दक्षिण अफ़्रीका तक की यात्रा कर रहे हैं।

ज़ैक का कहना है, "फ़िलहाल कीनिया में या पूर्वी और मध्य अफ़्रीका में रीढ़ की हड्डी की चोटों का इलाज और पुनर्वास इकाई नहीं है। ऐसी सबसे नज़दीक इकाई दक्षिण अफ़्रीका में है। इसलिए ऐसी इकाई बनाने के लिए धन जुटाने के लिए मैं दक्षिण अफ़्रीका तक की यात्रा कर रहा हूं."

मैथ्यू पिंसेट, ज़ैकरी किमोथो से कीनिया-तंज़ानिया सीमा पर मिले। तब तक वे सौ मील का सफर कर चुके थे लेकिन उन्हें आगे 2000 मील और तय करने थे।

सकारात्मक सोचताज़ा जानकारी के मुताबिक ज़ैकरी की यात्रा तंज़ानिया की सीमा के पास रुक गई है जहां वो अपने धन इकट्ठा करने के लाइसेंस के नवीनीकरण का इंतज़ार कर रहे हैं।

धीरे-धीरे अपनी व्हीलचेयर को चलाकर हर रोज़ कुछ और सफर तय करने वाले ज़ैकरी कहते हैं, "हर सुबह जब मैं उठता हूं तो मुझे पता होता है कि मुझे आज और आगे जाना है और मैं इसे सकारात्मक तौर पर लेता हूं."

ज़ैकरी ने बताया कि अस्पताल बनाना शुरु करने के लिए 25 करोड़ कीनियाई शिलिंग की ज़रूरत है। वे कहते हैं, "जैसे ही ये रकम इकट्ठा हो जाएगी मैं घर वापिस जा सकता हूं। हो सकता है कि मुझे यात्रा पूरी न करनी पड़ी." और शायद इसीलिए उनके अभियान का नाम है 'ब्रिंग ज़ैक बैक होम' है यानी ज़ैक को वापिस घर लाओ। ज़ैकरी की टीशर्ट के पीछे एक फ़ोन नंबर लिखा है जिस पर दान देने के इच्छुक लोग फ़ोन कर सकते हैं।

ज़ैकरी को उस दिन का इंतज़ार है जब उनके समर्थक उन्हें बताएंगे कि आवश्यक धनराशि इकट्ठा हो गई है। वे कहते हैं उस दिन उनका सपना पूरा हो जाएगा।

Posted By: Inextlive