गंगा के किनारे बसा हुआ शहर कानपुर जहां की गंगा जमुनी तहजीब के बहुत से उदाहरण हैैं. कई दंगे ऐसे हुए जहां हिंदुओं ने मुस्लिमों के परिवार को न सिर्फ बचाया है बल्कि उन्हें उपद्रवियों से दूर सुरक्षित स्थान तक पहुंचाया भी है. यहां के मुशायरे और कवियों को गीत हिंदी और उर्दू की जुबान में एकता का संदेश देते हैैं. कानपुर के शायर अंसार कंबरी ने कहा है कि... मंदिर में नमाजी हो और मस्जिद में पुजारी हो किस तरह ये फेरबदल देख रहा हूं...


कानपुर (ब्यूरो) यतीमखाने से नमाज पढ़कर निकले 12 साल के साजिद ने दैनिक जागरण आई नेक्स्ट को बताया कि अब्बू बता रहे थे कि पत्थर चल सकते हैं लेकिन हम लोग जिद करके आ गए। अंकल, ये बताइए कि यहां इतनी पुलिस क्यों है? कोई बोलता उसके पहले ही साजिद के पिता ने उसे बुला लिया। हर किसी का यही कहना था कि हम नहीं चाहते कि शहर के अमन चैन में खलल पड़े।

ये कानपुर हैनमाज पढ़कर निकले 65 साल के एहसान ने बताया कि बचपन से जवानी और जवानी से बुढ़ापा आ गया। कई दंगे देख डाले लेकिन ये कानपुर है। यहां जाजमऊ में दरगाह शरीफ है तो शहर के हर कोने मेें हिंदू भाइयों के देवी देवता भी विराजमान हैैं। यहां कोई कुछ नहीं कर सकता। इसी तरह दूसरे नमाजी भी नमाज पढऩे के बाद शांतिपूर्वक घर जाते दिखाई दिए।

Posted By: Inextlive