कानपुर ब्यूरो । Kanpur News: अब कोर्ट से जारी वारंट और समन नहीं मिलने या समय से न मिलने के कारण जेल नहीं जाना पड़ेगा. क्योंकि वारंट और समन पुलिस के हाथ या डाक से आने के बजाए ऑनलाइन सीधा आपके मोबाइल पर मिलेगा. ये बीच में गायब नहीं होंगे.

कानपुर (ब्यूरो)। Kanpur News: अब कोर्ट से जारी वारंट और समन नहीं मिलने या समय से न मिलने के कारण जेल नहीं जाना पड़ेगा। क्योंकि वारंट और समन पुलिस के हाथ या डाक से आने के बजाए ऑनलाइन सीधा आपके मोबाइल पर मिलेगा। ये बीच में गायब नहीं होंगे। जिससे व्यक्ति समय पर कोर्ट में उपस्थिति दर्ज कराएगा। इसके लिए कमिश्नरेट पुलिस ने एक एप तैयार किया है। यूपी में इस एप का यूज पहली बार कानपुर में हो रहा है। इस व्यवस्था के अंतर्गत पैरोकारों और कोर्ट मुहर्रिरों को एप पर काम करने की ट्रेनिंग दी गई है।

जाना पड़ता था जेल

दरअसल अभी तक कोर्ट से सम्मन और बेलेबल व नॉन बेलेबल वारंट जारी होने के बाद पुलिस की लापरवाही से वारंट कानपुराइट्स को नहीं मिल पाते थे। धीरे धीरे प्रक्रिया होते होते नॉन बेलेबल वारंट जारी हो जाता था। जिसका तामीला कराने पर पुलिस को संबंधित व्यक्ति को हिरासत में लेकर जेल भेजना पड़ता था। इस तरह से छोटे छोटे मामलों में वारंट जारी होने पर लोगों को बेवजह जेल जाना पड़ता था। कोर्ट से वारंट जारी होने के बाद इनकी मॉनीटरिंग भी नहीं होती थी। वहीं सीएम डैशबोर्ड पर भी पुलिस की रैैंकिंग खराब हो रही थी।

15 बिंदुओं पर हो रही फीडिंग

कमिश्नरेट पुलिस ने ऑनलाइन वारंट और समन के लिए जो एप तैयार किया है उसमें जिले की सभी कोर्ट का डेटा फीड कराया जा रहा है। इस डेटा में कोर्ट संख्या और नाम, कोर्ट मुहर्रिर और पैरोकार का नाम, कितने केस चल रहे हैैं? किसके नाम चल रहे है? किस धारा में चल रहे हैैं? नामजद की जमानत लेने वाले का नाम क्या है? कौन सी तारीख है? कौन व्यक्ति कितनी तारीखों में कोर्ट में नहीं आया है? किस व्यक्ति का कौन सा वारंट जारी हुआ है? समेत 15 बिंदुओं की फीडिंग करनी है।

ट्रायल में नहीं होगा देरी

एप के माध्यम से ऑनलाइन जानकारी होगी कि किस कोर्ट से कितने वारंट जारी हुए हैैं। ये सारे वारंट ऑनलाइन संबंधित व्यक्ति के मोबाइल पर पहुंच जाएंगे। जिस व्यक्ति के पास मोबाइल नहीं होगा उसके पास थाने का पुलिसकर्मी या बीट पुलिसकर्मी जानकारी देकर वारंट का तामीला कराएगा। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि इसका फॉलोअप एसीपी स्तर के अधिकारी से कराया जाएगा। पुलिस अधिकारियों का मानना है कि जानकारी न होने की वजह से संबंधित व्यक्ति गवाही या बयान में कोर्ट नहीं पहुंच पाता था, जिसकी वजह से केसेस की पेंडेंसी बढ़ रही थी। व्यवस्था लागू होने के बाद से सीएम डैशबोर्ड पर जिले की रैैंकिंग भी सुधर जाएगी।

कई समस्याओं से राहत

पुलिस अधिकारियों की माने तो कोर्ट से समन और वारंट जारी होने के बाद संख्या ज्यादा होने की वजह से तामीला नहीं हो पाता था। जिसका सीधा खामियाजा आम आदमी को भुगतना पड़ता था। वारंट बिना तामीला के सीधे कोर्ट वापस चला जाता था और पीडि़त को पता नहीं चलता था। वहीं इस मामले का दूसरा पहलू देखें तो मुकदमेबाजी की वजह से लोग वारंट को मिस भी करवा देते हैैं। इस समस्या से भी अब राहत मिल जाएगी।

पुराने मामलों में अक्सर हो जाता है खेल

सीनियर एडवोकेट संदीप शुक्ला की मानें तो अगर आपके साथ कभी कोई हादसा होता है या आपका कोई विवाद होता है और केस दर्ज होने के बाद समझौता हो जाता है तो पुलिस समझौतेनामे की कॉपी कोर्ट नहीं भेजती जबकि एफआईआर की कॉपी कोर्ट में चलती रहती है। इसी एफआईआर से वारंट जारी हो जाता है। छह महीने बाद केस शुरू होता है और वारंट जारी होने शुरू हो जाते है। यहां पुलिस की लापरवाही और दूसरे पक्ष की मुस्तैदी वारंट निकलवा देती है, इसकी वजह से आम आदमी को बेवजह जेल जाना पड़ता है।

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45 कुल कोर्ट की संख्या नगर में

2.5 से 3.0 लाख केस इनमें पेंडिंग

1284 वारंट,समन ऑनलाइन भेजे

02 अक्टूबर से शुरू हुई नई व्यवस्था

Posted By: Inextlive