4 साल में नहीं तैयार हो पाई सर्वे रिपोर्ट
कानपुर(ब्यूरो)। दशकों पुराना होने के कारण कानपुर-लखनऊ ट्रैक खस्ता हालत में हैं जबकि ट्रेनों का बोझ बढ़ता जा रहा है। कई वीआईपी ट्रेनें भी इसी रूट से गुजरती हैं लेकिन अपनी रफ्तार से नहीं दौड़ पाती हैं। सिग्नल न मिलने से ट्रेनों को खड़ा होना पड़ता है। आए दिन ट्रैक फ्रैक्चर होने की घटनाएं भी होती हैं। हालात को देखते हुए इस ट्रैक को फोर लेन करने का प्रोजेक्ट चार साल पहले रेल बजट में पास हुआ था। इसके बाद सर्वे भी शुरू हुआ लेकिन, तीन साल में सर्वे की रिपोर्ट तक तैयार नहीं हो पाई है। कोरोना काल में प्रोजेक्ट की फाइल ही बंद कर दी गई। हालात से साफ है कि इस रूट के लाखों पैसेंजर्स को कई सालों तक राहत नहीं मिलने वाली है। जबकि इस रूट पर लोकल ट्रेनों के साथ 70 से 80 ट्रेनें चलती हैं।
फाइल लॉक, प्रोजेक्ट डाउन
कानपुर-लखनऊ रेलवे ट्रैक को फोर लेन करने का प्रस्ताव 2018-19 के रेल बजट में पास हुआ था। यह प्रोजेक्ट 2018-19 की रेलवे की पिंक बुक में भी था। इस प्रोजेक्ट पर एनआर डिवीजन के कंस्ट्रक्शन डिपार्टमेंट के इंजीनियर्स ने 2019 में सर्वे शुरू किया था। जिसके कुछ महीने बाद ही 2020 अप्रैल में कोरोना की वजह से लॉकडाउन लग गया। तब से इस प्रोजेक्ट की सर्वे रिपोर्ट जस की तस हालत में पड़ी हुई है। सर्वे रिपोर्ट रेलवे बोर्ड को भी अभी नही भेजी गई हैं।
वाया कानपुर मुम्बई रूट की लगभग सभी ट्रेनें इसी रूट पर संचालित होती हैं। इसके साथ ही शताब्दी, रिवर्स शताब्दी, तेजस जैसी वीआईपी ट्रेनें भी इस रूट पर चलती हैं। लेकिन वर्तमान में कानपुर-लखनऊ रूट टू लेन होने व ट्रेनों का दबाव अधिक होने से वीआईपी ट्रेनें भी अपनी फुल स्पीड से दौड़ नहीं पाती हैं। कई बार सिग्नल न मिलने की वजह से आउटर पर पैसेंजर ट्रेनों को एक-एक घंटे के लिए खड़ा कर दिया जाता है। जिसकी वजह से पैसेंजर्स को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। पैसेंजर की इस समस्या को दूर करने के लिए रेलवे ने लखनऊ रूट को फोर लेन करने का निर्णय लिया था।
वर्तमान ट्रैक सालों पुराना
रेलवे अधिकारियों के मुताबिक, कानपुर-लखनऊ ट्रैक दशकों पुराना है। कई जगह पर पटरियों की हालत जर्जर हो चुकी है। यहीं कारण है कि ठंड के मौसम में आए दिन कानपुर-लखनऊ रूट पर ट्रैक फ्रैक्चर की घटनाएं सामने आती हैं। वहीं दर्जनों स्थानों पर पटरियां कमजोर होने से कॉसन लगाकर ट्रेनों को गुजारा जाता है। ट्रैक की पटरियों को रिप्लेस करने का भी रेलवे बोर्ड ने निर्णय लिया था। जिस पर बीते तीन सालों से लगातार काम चल रहा है। इसकी वजह से ट्रैक में पहले की अपेक्षा काफी सुधार आया हैं।
प्रोजेक्ट से क्या होंगे फायदे
- पैसेंजर ट्रेनों की स्पीड बढ़ेगी
- कम समय पर जर्नी तय होगी
- आउटर पर ट्रेनें नहीं खड़ी होंगी
- लोकल ट्रेनों की संख्या बढ़ेगी
- मुम्बई के लिए ट्रेनों की संख्या बढ़ेगी
-हादसा होने पर ठप नहीं होगा रूट आंकड़े
- 80 किमी कानपुर से लखनऊ की दूरी
- 4 लेन किया जाना है रेल ट्रैक को
- 60 से अधिक ट्रेनों का डेली आवागमन
- 2018-19 के रेल बजट में पास हुआ था प्रस्ताव
- 4 साल में सर्वे भी पूरा नहीं कर पाए
कानपुर-लखनऊ रूट को फोर लेन करनेे के प्रोजेक्ट का सर्वे चल रहा था। कोरोना काल में लगभग डेढ़ साल कोई काम नहीं हुआ। अब इस प्रोजेक्ट का क्या स्टेटस है। इसकी जानकारी नहीं हैं। सीनियर से बात कर जानकारी दूंगा।
विनोद सिन्हा, पीआरओ, नार्दन रेलवे