बमबाजों की टोली भी थी दुर्दात दुबे के पास
- बिकरू गांव में ही बनाते थे बम, करते थे दूसरे गांवों में सप्लाई, पुलिस हत्याकांड में भी बरसाए थे बम
-विकास दुबे को शेल्टर देने के आरोप में गिरफ्तार किए गए शातिरों से पूछताछ में हो रहे अहम खुलासे KANPUR: बिकरू कांड को अंजाम देने वाला शातिर अपराधी विकास दुबे अत्याधुनिक हथियारों के साथ बमों का जखीरा भी रखता था। बम बनाने और उन्हें चलाने के लिए उसके पास बाकायदा एक टोली थी। पुलिस हत्याकांड को अंजाम देने के बाद उसे शेल्टर देने में गिरफ्तार किए गए शातिरों ने पूछताछ में ये खुलासा किया है। विकास को पनाह देने के आरोप में एटीएफ ने 7 लोगों को गिरफ्तार किया है। उनसे पूछताछ में रोज नए खुलासे हो रहे हैं। काली रात में चले थे बमबीते साल दो जुलाई की रात को बिकरू गांव में विकास दुबे और उसके गुर्गो ने पुलिस पर सिर्फ गोलियां ही नहीं बरसाई थीं बल्कि ताबड़तोड़ बमों से भी हमला किया था। पुलिस पर दर्जन भर से ज्यादा बम फेंके गए थे। वारदात के बाद जब पुलिस ने हथियारों की खोज के लिए विकास दुबे का किला ढहाया था। तब भी पुलिस की ओर से बड़ी मात्रा में बमों की बरामदगी का दावा किया गया था। उस वक्त पुलिस की ओर से 6 तमंचे, 15 बम और दो किलो बारूद और 25 गोलियां बरामद करने की जानकारी दी थी। वहीं गांव में रहने वाले विकास के सहयोगी गोपाल सैनी की राशन की दुकान से भी पुलिस ने देशी बम बरामद किए थे।
क्रिमिनल्स को बमों की सप्लाई एसटीएफ की ओर से गिरफ्तार किए गए दुर्दात दुबे के मददगार विष्णु कश्यप और एनकाउंटर में मारे गए प्रभात मिश्रा दोस्त थे। विष्णु विकास के कई गुर्गो के संपर्क में रहता था। पूछताछ में पता चला है कि जिन बमों की बरामदगी पुलिस ने बिकरू गांव में की थी। उसे गांव में ही बनाया गया था। बम बनाने का काम विकास के एक दर्जन गुर्गे करते थे। जोकि बम बनाने के बाद अपराधियों को भी सप्लाई करते थे। पूर्वाचल और एमपी के कई गिरोह बमों के लिए विकास के संपर्क में रहते थे। अब एसटीएफ बमबाजों की इस टोली की तलाश में लग गई है।