गिरोह के शातिर करते थे निजी बैंक की आईडी का इस्तेमाल
- आखिर कैसे शातिरों के हाथ लगी निजी बैंक की आईडी और पासवर्ड
- बेहद गोपनीय पासवर्ड कहां से हुआ लीक? पुलिस कर रही है तलाशKANPUR : फर्जी दस्तावेज बनाकर आधार कार्ड बनाने वाला गिरोह एक निजी बैंक की आईडी इस्तेमाल करता था। पुलिस को इस संबंध में अहम सुबूत हाथ लगे हैं। पुलिस पता कर रही है कि आखिर बैंक का आईडी व पासवर्ड आरोपियों को कैसे मिला? गिरोह का पर्दाफाश करने के बाद पुलिस का कहना था कि जनसेवा केंद्र का आईडी पासवर्ड इस्तेमाल कर आरोपी आधार बनाते थे। मगर जांच में एक नया और बड़ा तथ्य सामने आया। दरअसल जनसेवा केंद्र का नहीं बल्कि एक निजी बैंक की आईडी आरोपी इस्तेमाल कर रहे थे। ये आईडी व पासवर्ड बेहद गोपनीय रहता है इसके बावजूद आरोपियों के हाथ लग गया। पुलिस को आशंका है कि शायद इसमें आरोपियों का करीबी या अन्य कोई गिरोह का सदस्य है जिसने बैंक से पासवर्ड चुराकर उपलब्ध कराया है।
एप के जरिये बनाए सिर्टफिकेटएसपी पूर्वी के मुताबिक आरोपी ई-डॉक्यूमेंट नाम के एप के जरिये फर्जी निवास प्रमाण पत्र बनाते थे। दरअसल आरोपियों को एक निवास प्रमाण पत्र मिल गया था। उसको ये इस एप के जरिये स्कैन करते थे। एप में ऑनलाइन एडिटिंग की सुविधा रहती थी। ऐसे में वो नाम व पता हटा देते थे। उसकी जगह पर वो उसक नाम व पता डालते थे जिसका उनको आधार बनाना होता था। उस पर मुहर व हस्ताक्षर संबंधित अफसरों के ही रहते थे। इससे हूबहू असली निवास प्रमाण पत्र बन कर तैयार हो जाता था।
एक ही बार कोड पर निवास प्रमाण पत्र पर एक बार कोड होता है। हर एक शख्स के निवास प्रमाण पत्र पर बार कोड अलग-अलग होता है। ये बार कोड ऑटो जनरेटेड होता है मगर आरोपियों के पास ये सॉफ्टवेयर नहीं था। वो एक ही निवास प्रमाण पत्र को स्कैन कर उसमें एडिट कर एक के बाद एक प्रमाण पत्र बना रहे थे। इसलिए इन सभी में एक ही बार कोड लगा हुआ मिला है। असम के 32 लोगों के फर्जी दस्तावेज तैयार कर आधार कार्ड बनाने वाले गिरोह ने पिछले एक महीने में असम के 32 लोगों के आधार कार्ड बनाए। इसमें सभी बांग्लादेशी घुसपैठिए और रोहिंग्या शामिल हैं। इसके अलावा सबसे अधिक आधार कार्ड उन्नाव के बनाए। ये सभी दस्तावेज आरोपी के लैपटॉप और मोबाइल से मिले हैं। सरगना पुलिस से दूरपुलिस ने भले ही दुकान से एक व्यक्ति को पकड़ कर जेल भेज दिया हो। लेकिन अभी भी जिस मकान में दुकान चल रही थी। उसके मालिक और जिस आईडी पर काम हो रहा था। उसकी तलाश पुलिस नहीं कर पाई है। पुलिस का मानना है कि इन दोनों के पकड़े जाने के बाद ही मामले की सही जानकारी होगी।
'' आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए टीमें बनाई गई हैं। जल्द ही दोनों की गिरफ्तारी होगी.'' डॉ। प्रीतिंदर सिंह, डीआईजी कानपुर