हैलेट में वेंटीलेटर्स खुद पहुंच गए 'वेंटीलेटर' पर
- कोरोना काल में जीएसवीएम को पीएम केयर के जरिए मिले दो कंपनियों के कुल 126 वेंटीलेटर्स
- एक कंपनी के वेंटीलेटर्स में आई ज्यादा प्रॉब्लम, कोरोना की सेकेंड वेव में भी नहीं हो सके इस्तेमालKANPUR: कोरोना वायरस के इलाज को लेकर जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज को पीएम केयर फंड से अब तक 126 वेंटीलेटर्स मिल चुके हैं। यह वेंटीलेटर्स दो कंपनियों के है। दोनों ही कंपनियों के वेंटीलेटर्स को कोरोना संक्रमण के इलाज के लिए इस्तेमाल किया गया, लेकिन एक्वा नाम की एक कंपनी के वेंटीलेटर्स में शुरुआत से ही समस्या होने की लगी। आईसीयू में डॉक्टर्स को इन वेंटीलेटर्स को फंक्शनल कराने में भी खासी प्रॉब्लम हुई। शुरुआत में काफी वक्त तक इन वेंटीलेटर्स का इस्तेमाल नहीं हुआ। दो महीने पहले कमिश्नर की पहल पर इन्हें ठीक कराया गया। जिसके बाद दो वेंटीलेटर्स को पीआईसीयू में भी भेजा गया, लेकिन उसके बाद भी वेंटीलेटर्स में खराबी की शिकायत आई।
बेसिक लाइफ सपोटर् में कामजीएसवीएम मेडिकल कॉलेज कोरोना के सबसे क्रिटिकल पेशेंटस का इलाज होता है। इससे संबद्ध एलएलआर हॉस्पिटल में दोनों कोविड विंग में 200 बेड की क्रिटिकल केयर यूनिटें बनाई गई थी,लेकिन एक्वा कंपनी के वेंटीलेटर्स में लाइफ सपोर्ट से जुड़े एडवांस फीचर्स नहीं थे। इन वेंटीलेटर्स में पेशेंट्स को इंटयूबेट करने की भी सुविधा नहीं थी। इस बाबत एनेस्थीसिया विभाग की ओर से कॉलेज प्रशासन को जानकारी भी दी गई थी। एनेस्थीसिया विभाग के एक सीनियर फैकल्टी मेंबर्स बताते हैं कि यह यूनिवर्सल वेंटीलेटर्स हैं। जिनका इस्तेमाल बच्चों से लेकर बड़ो तक के लाइफ सपोर्ट में किया जा सकता है, लेकिन यह एडवांस लाइफ सपोर्ट वाले वेंटीलेटर नहीं है। बल्कि सिर्फ बेसिक सपोर्ट देते हैं। पेशेंट के ज्यादा क्रिटिकल होने पर उसे एडवांस वेंटीलेटर पर शिफ्ट करना पड़ता है।
साल भर भी नहीं चलेएक्वा कंपनी के 26 वेंटीलेटर्स जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज को बीते साल मिले थे। उन्हे मेटर्निटी कोविड विंग और वार्ड-1, 2, 3, 4 में बनाए गए कोविड आईसीयू में लगाया गया था, लेकिन शुरुआत से ही इन वेंटीलेटर्स में प्रॉब्लम आने लगी थी। जिसके बाद उन्हें मेटर्निटी विंग में रखवा दिया गया। साथ ही इस बाबत शासन और कंपनी से भी इन वेंटीलेटर्स को ठीक कराने के लिए पत्राचार शुरू हुआ। बड़ी संख्या में वेंटीलेटर्स खराब होने का मसला कमिश्नर डॉ। राजशेखर को पता चला तो उन्होंने खुद भी खराब वेंटीलेटर्स को ठीक कराने के लिए पहल की। जिसके बाद कंपनी के इंजीनियर्स कानपुर आए हैं इन वेंटीलेटर्स को ठीक करने का दावा हुआ। हालांकि दिक्कत उसके बाद भी बरकरार रही। जिसका खुलासा 7 जुलाई को पीआईसीयू की प्रभारी डॉ। नेहा अग्रवाल की शिकायत के बाद एचओडी की ओर से प्रिंसिपल को लिखे गए पत्र में भी हुआ।
किस कंपनी के कितने वेंटीलेटर्स मिले बीईएल- 100 एक्वा - 26 खराब वेंटीलेटर से मौत नहीं खराब वेंटीलेटर की वजह से बच्ची की मौत को लेकर बालरोग विभाग की ओर से प्रिंसिपल को भेजे गए पत्र को लेकर प्रिंसिपल डॉ। संजय काला ने एक वीडियो जारी किया। हालांकि उसमें उन्होंने लेटर की सत्यता पर कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन वेंटीलेटर के खराब होने बच्ची की मौत होने के सवाल को उन्होंने नकार दिया। उन्होंने जानकारी दी कि जिस बच्ची की वेंटीलेटर खराब होने के मौत होने की बात कही जा रही है। वह दिमागी टीबी की पेशेंट थी और नाजुक हालत में भर्ती हुई थी। उसे एक्वा कंपनी के वेंटीलेटर पर पीकू में रखा गया था, लेकिन हालत बिगड़ने पर उसे एडवांस लाइफ सपोर्ट वाले वेंटीलेटर पर भी 4 दिन रखा गया। जिसके बाद उसकी मौत हुई। सरकारी अभिलेखों में इसके प्रमाण भी हैं।