थर्ड वेव से पहले ही वेंटीलेटर चलते-चलते खराब, बच्चे की मौत
- जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के बालरोग अस्पताल का मामला, एचओडी की चिट्ठी हुई वायरल
-पीआईसीयू के वेंटीलेटर चलते-चलते बंद होने की बात बताई, पीएम केयर्स फंड से खरीदे गए थेKANPUR: कोरोना वायरस की थर्ड वेव से निपटने के दावों के बीच जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में पीआईसीयू के वेंटीलेटर खराब होने से बच्चे की मौत हो गई। बच्चे का इलाज कर रही डॉक्टर ने इसकी जानकारी बालरोग विभाग के हेड को दी। एचओडी डॉ.यशवंत राव ने इस बाबत प्रिंसिपल को वेंटीलेटर्स के चलते चलते बंद हो जाने की बात बताई। वहीं अब यह पत्र वायरल होने के बाद शासन तक हड़कंप मच गया। दरअसल एक्वा कंपनी के यह वेंटीलेटर्स पीएम केयर फंड से खरीद कर भेजे गए थे। जोकि पहले भी कई बार खराब हो चुके हैं। कॉलेज की फैकल्टी की ओर से कंपनी को वेंटीलेटर्स के खराब होने की सूचना दी गई तो वह इन्हें दोबारा ठीक कर गए, लेकिन फॉल्ट दूर नहीं हुआ। पीडियाट्रिक आईसीयू में इन गड़बड़ वेंटीलेटर्स को लगा कर क्रिटिकल बच्चों का इलाज किया जाता रहा।
दो वेंटीलेटर लगाए थेजीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के बालरोग अस्पताल में ही एनआईसीयू बना है। इसी में नॉन कोविड बच्चों के लिए पीकू भी बनाया गया है। एक्वा कंपनी को हैलट अस्पताल को 26 वेंटीलेटर मिले थे जिनमें से दो पीकू में लगाए गए थे। जिसमें क्रिटिकल बच्चों का इलाज किया जा रहा था। पीआईसीयू की इंचार्ज डॉ। नेहा अग्रवाल हैं। इन दोनों वेंटीलेटर्स को लेकर यह जानकारी भी दी गई है कि यह वेंटीलेटर्स पहले भी खराब हो चुके थे। यह चलते चलते बंद कर हो जाते थे। कंपनी को इसकी शिकायत की गई तो कंपनी की ओर से इसकी मरम्मत कराई गई, लेकिन प्रॉब्लम ठीक नहीं हुई।
इनसे इलाज नहीं किया जा सकता वेंटीलेटर्स में खराबी को लेकर आईसीयू इंचार्ज ने बालरोग विभाग के हेड प्रो। यशवंत राव को जानकारी दी। जिसके बाद 7 जुलाई को एचओडी ने मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल और एसआईसी को एक पत्र भेजा। जिसमें वेंटीलेटर्स के खराब होने की जानकारी दी गई साथ ही गया कि इस वजह से एक बच्चे की मौत हो चुकी है। और इन वेंटीलेटर्स से इलाज करना रोगी के हित में नहीं है। और इनसे इलाज नहीं किया जा सकता। हालांकि इसके बाद इन वेंटीलेटर्स को पीआईसीयू से हटाया गया या नहीं इसे लेकर स्पष्ट जवाब नहीं मिला। वेंटीलेटर के खराब होने को लेकर प्रिंसिपल को पत्र लिख कर जानकारी दी है। साथ ही इसका इस्तेमाल भी बंद कर दिया गया है।- प्रो। यशवंत राव, एचओडी बालरोग विभाग, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज