सेना में समलैंगिकों को 'आज़ादी'
नाइन्थ यूएस सर्किट कोर्ट ऑफ़ अपील ने इससे पहले के आदेश को ख़ारिज कर दिया है, जिसकी मदद से सरकार ‘डोंट आस्क डोंट टेल’ क़ानून को अब भी लागू किए हुए थी।
राष्ट्रपति ओबामा ने इस क़ानून को हटा दिया है, जिससे सेना में अभी तक चुपचाप काम कर रहे समलैंगिक खुलकर अपनी यौन प्राथमिकता के बारे में बात कर सके। लेकिन इसके बावजूद ये क़ानून अब भी लागू है, तब तक जब तक पेंटागन नए क़ानून का प्रारूप न तैयार कर ले।तीन जजों के इस पैनल ने सैन फ्रैंसिस्को की अदालत में कहा कि इस क़ानून को तुरंत हटाया जाए, क्योंकि 2010 दिसंबर में ओबामा प्रशासन ने इस क़ानून को असंवैधानिक बताया है।'डोंट आस्क डोंट टेल''डोंट आस्क डोंट टेल' क़ानून समलैंगिक सैनिकों को अपने यौन प्राथमिकता के बारे में बात करने से रोकता है। कोर्ट का ये फ़ैसला रिपब्लिकन पार्टी के समलैंगिक सदस्यों की संस्था 'लौग कैबिन' रिपब्लिकंस की याचिका पर किया गया है। अगर सरकार इस फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती नहीं देती है, तो अब से पुराना और विवादित क़ानून ‘डोंट आस्क डोंट टेल’लागू नहीं होगा।
समलैंगिक अधिकारों के लिए काम कर रहे लोगों का मानना है कि सरकार इस फ़ैसले को कभी भी चुनौती नहीं देगी, क्योंकि वो पहले ही इस क़ानून को हटाने के लिए वचनबद्ध है।
लौग कैबिन रिपब्लिकंस संस्था के निदेशक आर क्लार्क कूपर का कहना है कि सारी अनिश्चतता अब इस फ़ैसले से दूर हो गई है। उनका कहना था कि सेना में काम कर रहे अमरीकी समलैंगिको को अब निकाले जाने का भय नहीं रहेगा।