सिद्धनाथ घाट पर श्रद्धालुओं से भरी नाव पलटी, दो की मौत, सात लापता
-चकेरी के शिवकटरा मोहल्ले के लोग थे, गणेश प्रतिमा का विसर्जन करने घाट पहुंचे थे
-गोताखोरों ने तीन को बाहर निकाला, दो ने हॉस्पिटल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ा -पुलिस की हीलाहवाली देख लोगों को हुजूम भड़का, पुलिस से झड़प हुईKANPUR : शहर में गणेश विसर्जन के दौरान डूबे दो छात्रों को पुलिस अभी खोज नहीं पाई कि गुरुवार को सिद्धनाथ घाट पर गणेश विसर्जन में श्रद्धालुओं से भरी नाव गंगा में पलट गई। जिससे मल्लाह समेत बाहर श्रद्धालु गंगा में डूब गए। इस दर्दनाक हादसे से घाट पर कोहराम मच गया। आनन फानन में उनको बचाने के लिए गोताखोर गंगा में कूद गए। पुलिस हमेशा की तरह ही देरी से घाट पहुंची। जिससे राहत कार्य टाइम से शुरू नहीं हो पाया। पुलिस ने किसी तरह से गोताखोरों की मदद से तीन लोगों को बाहर निकाला, लेकिन दो ने हॉस्पिटल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ दिया।
भड़क गए लोग
इधर, नाव के डूबने की खबर फैलते ही घाट पर सैकड़ों लोगों को हुजूम एकत्र हो गया। पुलिस की हीलाहवाली से पीडि़त परिवार समेत लोगों का हुजूम भड़क गया। उनकी पुलिस से झड़प हो गई। इसी बीच एडीएम सिटी और एसपी सिटी ने मौके पर जाकर उनको समझाकर शान्त कराकर एक नाव समेत और गोताखोरों को गंगा में उतारा। डीएम और एसएसपी मौके पर पहुंचे तो उन्होंने तनावपूर्ण स्थिति को देख आधे जिले का फोर्स वहां बुला लिया। देर रात तक आला अधिकारियों की मौजूदगी में डूबे लोगों को ढूढ़ने की कोशिश चलती रही।
पुजारी ने रोका था चकेरी के शिवकटरा में रहने वाली पदमा गुप्ता के मकान में राजेश अग्रवाल किराये के रूम में रहते हैं। उनके परिवार में पत्नी राधा, दो बेटियां राधा और बब्बो है। राजेश ने गणेश प्रतिमा स्थापित की थी। उन्होंने गुरुवार को प्रतिमा विसर्जन कार्यक्रम तय किया था। जिसके लिए उनके परिवारिक सदस्य, मित्र और मोहल्ले के लोग एकत्रित हुए थे। वे शाम को करीब चार बजे प्रतिमा लेकर घर से निकले थे। वे ढोल की धुन में नाचे-गाते हुए सिद्धनाथ मंदिर पहुंच गए। उन्होंने मंदिर में दर्शन किए और फिर प्रतिमा को लेकर घाट पहुंच गए। उनको पुजारी समेत अन्य लोगों ने रोका भी, लेकिन वे गंगा में ही मूर्ति विसर्जित करने की जिद पर अड़ गए। गोताखोरों ने तीन को बचायाडूबे सभी लोगों को मना करने के बाद भी वे घाट पर पहुंच गए। कुछ लोग घाट के किनारे रुक गए, जबकि राजेश, उनका भाई, भतीजा समेत एक दर्जन पारिवारिक सदस्य प्रतिमा को लेकर नाव में सवार हो गए। वे जोश में नाव में भी जयकारे लगाते हुए नाच रहे थे। मल्लाह ने नाव को कुछ दूर गहरे पानी में ले जाकर रोक दिया। राजेश समेत अन्य लोग हड़बड़ाहट में प्रतिमा को गंगा में विसर्जित कर रहे थे कि बैलेंस बिगड़ने से नाव पलट गई। जिससे नाव में सवार लोग डूबने लगे। जिसे देख घाट पर मौजूद लोग बचाओ-बचाओ कहकर शोर मचाने लगे। जिसे सुनकर तीन गोताखोर गंगा में कूद गए, जबकि अन्य लोगों ने कंट्रोल रूम में जानकारी दे दी। गोताखोर संजय, संतोष समेत तीन लोगों को निकाल चुके थे। पुलिस ने एक नाव समेत और कुछ गोताखोरों को गंगा में उतारा, लेकिन वे और लोगों को ढूढ़ नहीं पाए। पुलिस संसाधन की कमी से असहाय थी।