- यूपी का पहला हैप्पीनेस सेंटर सिखाएगा हैप्पी लाइफ जीने के गुर

- सीएसजेएम यूनिवर्सिटी कैंपस के इंस्टीट्यूट आफ हेल्थ साइंसेस में हैप्पीनेस सेंटर बनाया गया है

- चीफ गेस्ट जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा प्रसन्नता पाने और जीवन को उन्नत बनाने के लिए लव नाम के रोग से मुक्ति पानी पड़ेगी

यूपी का पहला हैप्पीनेस सेंटर सिखाएगा हैप्पी लाइफ जीने के गुर

- सीएसजेएम यूनिवर्सिटी कैंपस के इंस्टीट्यूट आफ हेल्थ साइंसेस में हैप्पीनेस सेंटर बनाया गया है

- चीफ गेस्ट जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा प्रसन्नता पाने और जीवन को उन्नत बनाने के लिए लव नाम के रोग से मुक्ति पानी पड़ेगी

KANPUR: kanpur@inext.co.in

KANPUR: यूपी का पहला और देश का दूसरा हैप्पीनेस सेंटर सीएसजेएम यूनिवर्सिटी में बनाया गया है। देश का पहला हैप्पीनेस सेंटर तमिलनाडु में है। वेडनेसडे को सीएसजेएम यूनिवर्सिटी के ऑडिटोरियम में प्रोग्राम आर्गनाइज किया गया। मुख्य अतिथि जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य, आचार्य श्री रामचन्द्रदास (जय महाराज), श्री तुलसीपीठ सेवा न्यास, चित्रकूट और वीसी नीलिमा गुप्ता ने दीप प्रज्जवलित कर किया। स्टूडेंट्स इंयाशी तोमर ओजस्वी सिंह और आयुषी त्रिपाठी ने गणेश वंदना प्रस्तुत की। अतिथियों का स्वागत वीसी प्रो। नीलिमा गुप्ता ने किया। इसके पहले स्वामी श्रीरामभद्राचार्य ने संस्थान के लॉन में पौधरोपण भी किया। गौरतलब है कि यूनिवर्सिटी कैंपस के इंस्टीट्यूट आफ हेल्थ साइंसेस में यह सेंटर बनाया गया है।

प्रसन्नता ही भगवान

बीएससी योग के स्टूडेंट्स ने हैप्पीनेस के संबंध में आंतरिक शांति व प्रसन्नता से जुड़े हुए योगासन किए और इंस्ट्रूमेन्टल म्यूजिक और गीत की परफॉर्मेस दी। इस अवसर पर स्वामी श्री रामभद्राचार्य ने कहा कि 7ख् वर्षो के अनुभव से उन्होंने जाना है कि प्रसन्नता ही भगवान है। उदासी जीव का लक्षण है। अभीष्ट वस्तुओं का पाने की प्रसन्नता क्षणभंगुर है। 9भ् प्रतिशत बच्चों के चेहरे पर पौने बारह बजा रहता है। पहले लबालब हुआ करता था अब केवल लव है।

लव नाम के रोग से मुक्ति

उन्होंने कहा कि लव को भी लोग अब नालायक लव कहते हैं। लव को उन्होंने ऐसे परिभाषित किया।

एल- लेक ऑफ टियर्स

ओ- ओसियन ऑफ सारोस

वी- वैली ऑफ डेथ

ई- एंड ऑफ लाइफ

उन्होंने कहा कि जीवन को उन्नत बनाने के लिए लव नाम के रोग से मुक्ति पानी पड़ेगी।

जहां ईगो वहां नहीं रुकते भगवान

उन्हाेंने कहा कि निष्ठापूर्वक कार्य करना ईश्वर की सबसे बड़ी पूजा है। जब कार्य करते-करते हमे पूजा का समय न मिले तब यह सबसे उत्तम क्षण है। अपने कर्मो में कुशलता ही योग है। कर्म को कुशलता से करने पर जो प्रसन्नता मिलती है उसे कोई मिटा नहीं सकता है। कार्य की सफलता का प्रतिबिम्ब देखकर जो नींद आती है वह करोड़ों सुखों से बड़ी है। संस्कृत में हैप्पीनेस के लिए दो शब्द हैं- क्। प्रसन्नता, ख्। प्रसाद। प्रसन्नता स्वाभाविक ईश्वरीय उपहार है। उन्होंने बताया कि सबकुछ ईश्वर का प्रसाद है। प्रसाद परमेश्वर की कृपा है। जहां ईगो होता है वहां भगवान नहीं रहते हैं, वह चले जाते हैं । स्थायी प्रसन्नता के भाव के लिए आध्यात्मिक बनना होगा।

हैप्पीनेस क्यों जरूरी?

ऑडिटोरिम में 'सहज प्रसन्नता के उपाय' सब्जेक्ट पर हुए लेक्चर में वीसी ने कहा कि स्वामी श्रीराम भद्राचार्य जी को ख्ख् भाषाओं का ज्ञान है। उनसे सीखा जा सकता है कि गुणवत्तापूर्ण जीवन क्यों आवश्यक है। उन्होंने कहा कि मेरी राय में हैप्पीनेस के लिए तीन बातें आवश्यक हैं। क्। शुक्रिया अदा करना (बी थैंकफुल) ख्। मुस्कुराना फ्। किसी का दिल न दुखाना।

हैप्पीनेस सेंटर के ऐम

- अपने लिए और साथियों के लिए भलाई का प्रबंधन करना

- पॉजिटिविटी के साथ काम के लिए वातावरण बनाना

- सांस्कृतिक अंतर को स्वीकार करना और सामूहिक रूप से परंपराओं का आनंद लेना

- पर्सनल स्किल को मजबूत करना।

- तनाव से मुक्त और खुशी से भरा आनंदमय वातावरण बनाना

यह लोग थे मौजूद

रजिस्ट्रार डॉ। अनिल कुमार यादव, डीन एकेडमिक्स प्रो। संजय स्वर्णकार, कॉर्डिनेटर डॉ। प्रवीन कटियार, डॉ। वीसी रस्तोगी, डॉ। सविता रस्तोगी, प्रो। आरसी कटियार, प्रो.संजय स्वर्णकार, डॉ। संदीप सिंह, डॉ। संदेश गुप्ता, डॉ। रविन्द्र नाथ, डॉ। बृजेश कटियार सहित अन्य लोग थे।

Posted By: Inextlive