लेदर इंडस्ट्री को 'ट्रिपल झटका'
-25 परसेंट क्षमता पर चल रही शहर की टेनरियों में कच्चा माल सस्ता होने के बाद भी बढ़ी फिनिश्ड लेदर की लागत
-महंगा लेदर होने से विदेशी बॉयर्स ने कानपुर से मुंह मोड़ा, दो हजार करोड़ से ज्यादा का कारोबार बांग्लादेश गया -कुंभ के दौरान बंदी, फिर लाकडाउन और रोस्टर लागू होने से टेनिरियों में गिरता गया प्रोडक्शन, नहीं मिले विदेशी ऑर्डर >KANPUR: साल भर के करीब की बंदी, उसके बाद लॉकडाउन झेलने वाली कानपुर की लेदर इंडस्ट्री से विदेशी खरीददारों का भरोसा कम हो गया है। इसका सीधा असर कानपुर से होने वाले लेदर के एक्सपोर्ट पर पड़ा है। विदेशों से आर्डर नहीं मिलने की वजह से कारोबार आधा हो गया है। खुद काउंसिल फॉर लेदर एक्सपोर्ट और लेदर इंडस्ट्री से जुड़े कई संगठन भी इसकी पुष्टि करते हैं। गिरते एक्सपोर्ट को लेकर सीएलआई की ओर से कुछ आंकड़े भी जारी किए गए हैं। जिससे साफ होता है कि कानपुर और उन्नाव की लेदर इंडस्ट्री से होने वाले एक्सपोर्ट में खासी गिरावट आई है। इसकी एक बड़ी वजह टेनरियों का पूरी क्षमता से नहीं चल पाना भी है। जिसका नुकसान टेनरी संचालकों से लेकर उसमें काम करने वाले वर्कर्स पर भी पड़ा है। लेदर इंडस्ट्री में मिलने वाला रोजगार भी कम हाे गया है।
शर्तो ने बढ़ाई मुश्किल
लेदर इंडस्ट्री वेलफेयर एसोसिएशन के वाइस प्रेसीडेंट मो। नुरुल्लाह ने बताया कि लॉकडाउन के बाद मई से टेनरियां खुलीं लेकिन शासन ने टेनरियों को 50 फीसदी कैपेसिटी पर ही चलाने के निर्देश दिए। वहीं यूपी पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की ओर से सीईटीपी पर ज्यादा लोड न बढ़े इसके लिए 263 टेनरियों को चलाने का एक रोस्टर भी जारी कर दिया। जिसके मुताबिक एक टेनरी महीने में 15 दिन ही चल सकती है। इस लिहाज से हम अपनी क्षमता का 25 परसेंट ही प्रोडक्शन कर सकते हैं। लॉकडाउन की वजह से कच्चे चमड़े की कीमतें गिरी थीं, लेकिन रोस्टर और 50 परसेंट क्षमता पर टेनरी चलाने की शर्त ने मुश्किल और बढ़ा दी है। ट्रेंड लेबर की भी किल्लतस्मॉल टेनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष हफीर्जुहमान बताते हैं कि टेनरियों में कच्चे लेदर से फिनिश्ड लेदर को तैयार करने में ट्रेंड मजदूरों की जरूरत पड़ती है। टेनरियों में बड़ी संख्या में पूर्वांचल और बिहार के मजदूर भी काम करते थे, जो लॉकडाउन में अपने गांव चले गए। वहीं अब टेनरियों को जब आधी क्षमता पर रोस्टर के हिसाब से चलाने की शर्त है तो ट्रेंड मजदूरों की भी कमी हो रही है। साथ ही 15 दिन काम करने पर भी मजदूरों को पूरे महीने के हिसाब से ही पेमेंट करना पड़ रहा है। जिससे हमारी फिनिश्ड लेदर की कॉस्ट बढ़ी है।
दूसरे देशों में गए आर्डर मो। नूरुल्लाह का कहना है कि कानपुर में यूरोप, यूएस, अरब कंट्रीज और चीन से फिनिश्ड लेदर की सप्लाई के लिए काफी आर्डर मिलते थे, लेकिन लॉकडाउन के बाद से हालात बदले हैं। लॉकडाउन से पहले भी एनजीटी और कुंभ की वजह से महीनों तक टेनरियां बंद रही थीं। इससे करोड़ों के आर्डर कैंसिल हो गए थे। इस दौरान बांग्लादेश, पाकिस्तान की लेदर इंडस्ट्री ने इसका फायदा उठाया। खास तौर से बांग्लादेश में 23 परसेंट के करीब कानपुर को मिलने वाले विदेशी आर्डर चले गए। जिसका सीधा असर कानपुर से होने वाले लेदर के एक्सपोर्ट पर पड़ा है। फैक्टफाइल 400- टेनरियां स्थित हैं जाजमऊ में 10 हजार के करीब लोग इंडस्ट्री से जुड़े 263- टेनरियों में हो रहा प्रोडक्शन, बाकी बंद 48.28 परसेंट तक गिरा लेदर एक्सपोर्ट 40 परसेंट- ओवरऑल गिरा लेदर इंडस्ट्री में कारोबार एक्सपोर्ट: एक नजर में 2053- मिलियन डॉलर का लेदर एक्सपोर्ट हुआ अप्रैल से अगस्त 2019 के बीच1062- मिलियन डॉलर का लेदर एक्सपोर्ट हुआ अप्रैल से अगस्त 2020 के बीच