कार्डियोलॉजी इंस्टीट्यूट में एल्कोहल सेप्टल एब्लेशन थेरेपी से किया जा रहा ट्रीटमेंट
कानपुर (ब्यूरो): डांस करते, खेलते और जिम में एक्सरसाइज करते हुए अचानक हार्ट अटैक पडऩे और मौत हो जाने की घटनाएं कोरोना के बाद काफी देखने को मिल रही हैं। एक्सपर्ट के मुताबिक, हाइपरटॉफिक ऑब्स्ट्रटिक्टव कार्डियोमायोपैथी नाम की जेनेटिक बीमारी की वजह से हार्ट अटैैक और कार्डियक अरेस्ट हो रहा है। इस बीमारी में दिल के बांए और दाएं चैंबर के बीच के स्थान, जिसे सैप्टम कहते हैं, वहां मांसपेशी बढ़ जाती है। इसके बढऩे से हार्ट में ब्लड सर्कुलेशन रुक जाता है। जिससे अटैक पड़ता है। इस बीमारी का ट्रीटमेंट कार्डियोलॉजी इंस्टीट्यूट में एल्कोहल सेप्टल एब्लेशन थेरेपी से किया जा रहा है।
नहीं दिखाई देते कोई सिम्टम
कार्डियोलॉजी के प्रो। अवधेश शर्मा ने बताया कि इंस्टीट्यूट में इस विधि से उत्तर भारत में सबसे अधिक पेशेंट का ट्रीटमेंट किया जा रहा है। अमूमन हाइपरटॉफिक ऑब्स्ट्रटिक्टव कार्डियोमायोपैथी के पेशेंट को अपनी बीमारी पता नहीं होती है। क्योंकि यह बीमारी साइलेंट है। पहले इसका कोई लक्षण नहीं दिखाई देता है। पेशेंट को अटैक उस समय पड़ता है। जब वह फिजिकल मेहनत अधिक करता है और हार्ट में अधिक ब्लड प्रवाह की जरूरत पड़ती है।
जेनेटिक है ये बीमारी
इंस्टीट्यूट के प्रो। अवधेश शर्मा ने बताया कि इंस्टीट्यूट में अचानक हार्ट अटैक पडऩे वाले 60 केस में रिसर्च किया गया। रिसर्च में पाया गया कि उसके फैमिली में अचानक हार्ट अटैक की हिस्ट्री मिली है। जिससे यह बीमारी जेनेटिक उनको मिली है। जोकि एक से दूसरी पीढ़ी में जाती है। उन्होंने बताया कि जिनकी फैमिली में अचानक अटैक की हिस्ट्री है। वह लोग एक बार अपने हार्ट की जांच अवश्य करा लें। जांच से सैप्टम में बढ़ी हुई मांसपेशी का पता चल जाता है। एल्कोहल सेप्टल एब्लेशन थेरैपी से इसे ठीक किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि यह रिसर्च कोरोना के बाद अचानक हार्ट अटैक के बढ़े केसेस के बाद शुरु की गई थी।
क्या होती दिक्कत और कैसे होता ट्रीटमेंट
हार्ट के दो चैंबर लेफ्ट और राइट वेंट्रिकल के बीच पार्टीशन यानी की सेप्टम होता है। जोकि मोटा हो जाता है। मांसपेशी को बढ़ा हुआ हिस्सा हार्ट से महाधमनी में रक्त के प्रवाह में अवरोध उत्पन्न करता है। इस कारण अचानक कोई भागदौड़ का काम करने में हार्ट पर जोर पड़ता है। जिससे कार्डियक अरेस्ट होता है और उसकी मौत हो जाती है। एल्कोहल सेप्टल एब्लेशन विधि में कैथेटर के माध्यम से 100 परसेंट एल्कोहल डालकर उस आर्टरी को बंद कर दिया जाता है। यह आर्टरी बड़ी हुई मांसपेशी को ब्लड सप्लाई करती है। ब्लड न मिलने से मांसपेशी सूख जाती है। पेशेंट की स्थिति में सुधार हो जाता है।
कार्डियोलॉजी इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर प्रो। राकेश वर्मा ने बताया कि हाइपरटॉफिक ऑब्स्ट्रटिक्टव कोर्डियोमोयोपैथी का एल्कोहल सेप्टल एब्लेशनथेरैपी विधि से ट्रीटमेंट विश्व के चुनिंदा संस्थानों में ही हो रहा है। जिसमें से कानपुर कार्डियोलॉजी भी एक है। इससे अचानक हार्ट अटैक पडऩे की आशंका वाले पेशेंट को काफी राहत मिलेगी। लिहाजा जिनकी फैमिली में अचानक हार्ट अटैक की हिस्ट्री है। उनको सतर्कता बरतते हुए एक बार हार्ट की जांच अवश्य करा लेनी चाहिए।