स्ट्राइक से ट्रांसपोटर्स को 800 करोड़ का नुकसान
कानपुर (ब्यूरो)। सरकार के आश्वासन पर ट्रांसपोर्टर्स और ड्राइवर्स ने अपनी हड़ताल वापस तो ले ली लेकिन सिर्फ दो दिन की स्ट्राइक ने ठंड में न सिर्फ कानपुराइट्स के पसीने छुड़ा दिए बल्कि एक हजार करोड़ से ज्यादा का झटका भी दे गई। स्ट्राइक की वजह से सिर्फ ट्रांसपोटर्स को ही करीब 800 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। वहीं अन्य छोटे वाहनों के न चलने से भी करोड़ों का नुकसान हुआ। स्ट्राइक के कारण दो दिन ट्रकों का आवागमन बिल्कुल ठप हो गया था। माल लोड कर निकले ट्रक हाईवे पर ही फंस गए थे। देश के अलग-अलग स्टेट्स में फंसे ये ट्रक स्ट्राइक खत्म होने पर मंजिल की ओर निकल पड़े। वहीं लोकल ट्रांसपोर्ट सिस्टम शुरू होने से भी कानपुराइट्स ने राहत की सांस ली.सबसे ज्यादा ट्रक गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली, पंजाब, बिहार, बंगाल, असम में फंसे हुए थे। वेडनेसडे को बाहर से आने वाले ट्रक से जो हाईवे किनारे खड़े थे, वह ट्रांसपोर्ट नगर पहुंचे और माल उतारा गया। वहीं यहां से भी माल रवाना किया गया। इससे दो दिन का सन्नाटा खत्म हुआ। बता दें कि हिट एंड रन केस में नए कठोर कानून के विरोध में ट्रक ड्राइवर कई दिनों से नाराजगी जता रहे थे। ट्रक न चलाने की बात वे ट्रांसपोर्टर्स से लगाताार कह रहे थे और एक जनवरी को आखिर उन्होंने चक्का जाम कर दिया। ट्रकों को सडक़ पर खड़ाकर जाम भी लगा दिया था। उनकी हड़ताल के साथ लोडर, टेंपो, बस, आटो, ई-रिक्शा चालक भी आ गए थे। लोगों का आना जाना मुश्किल हो गया था। मंगलवार देर रात समझौता वार्ता के बाद ड्राइवर्स ने फिर स्टेयरिंग संभाली।
एक दिन में 400 करोड़ का नुकसानयूपी मोटर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के महामंत्री मनीष कटारिया के मुताबिक सिटी के ट्रांसपोर्टर्स के ट्रक एक दिन न चलें तो उन्हें करीब 400 करोड़ रुपये का नुकसान होता है। इसमें उन्हें ड्राइवर और बाकी स्टाफ की सैलरी भी शामिल है। इसके साथ ही माल पहुंचाकर उसके बाद दूसरा माल लेकर ट्रक को आगे भेजा जा सकता था, उसका भी नुकसान हो गया।
लगेगा नुकसान से उबरने में
वही यूपी युवा ट्रांसपोर्टर एसोसिएशन के संरक्षक श्याम शुक्ला के मुताबिक दो दिन ट्रक न चलने से जो झटका लगा है, उससे उबरने में एक माह का समय लगेगा। सैकड़ों ट्रक दूसरे राज्यों में फंसे थे, जिनके आर्डर हर माह समय पर पहुंचाने होते हैं, उसमें भी देरी हो गई है। वहीं सहालग को देखते हुए मुंबई और सूरत से भी कपड़ा इस समय आ रहा था। कपड़ा कारोबारियों ने स्ट्राइक खत्म होने पर राहत की सांस ली है। व्यापारी नेताओं के मुताबिक इस समय बाजार में रोज करीब 20 करोड़ रुपये का माल बिकता है। दो दिन में 40 करोड़ का माल नहीं बिक सका। वहीं स्ट्राइक के दौरान ट्रक्स के साथ लोडर का भी आवागमन ठप रहा।
मंगलवार की देर रात स्ट्राइक खत्म होने के बाद वेडनेसडे को सिटी की रोड्स पर टेम्पो, ऑटो दौडऩे लगी। वहीं मंगलवार को जो पेट्रोल पंप खाली हो गए थे, वह भी पेट्रोल टैंकर पहुंचने की वजह से फुल हो गए। हालांकि मंगलवार को बड़ी संख्या में लोगों के गाड़ी का टैंक फुल करा लेने की वजह से वेडनेसडे को कम संख्या में ही लोग पहुंचे। वहीं पेट्रोल-डीजल के टैंकर्स की तरह ही एलपीजी गैस सिलेंडर की गाडिय़ां एजेंसी में पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया। कई एजेंसी में तो वेडनेसडे को एलपीजी सिलेंडर से भरी दो लोड (गाडिय़ां) पहुंच गई। एजेंसी ओनर्स के मुताबिक इससे बुकिंग के बाद होम डिलीवरी में हो रही देरी जल्दी खत्म हो जाएगी।