वो 10 लोग जिनके शव क़ब्र से निकाले गए
इससे पहले भी कई नामी हस्तियों के शवों को विभिन्न कारणों से उनकी कब्रों से निकाला जा चुका है। आइए डालते हैं कुछ ऐसे ही लोगों पर नजर:
ओलिवर क्रोमवेलएक अहम ब्रितानी सैन्य और राजनीतिक नेता ओलिवर क्रोमवेल की 1658 में मौत हो गई थी। उनके शव पर लेप लगाकर राजकीय सम्मान के साथ वेस्टमिंस्टर कैथेड्रल में उनका अंतिम संस्कार किया गया।लेकिन इंग्लैंड में राजशाही बहाल होने पर चार्ल्स द्वितीय के सत्ता में आने के बाद क्रोमवेल और दो अन्य लोगों के शव कब्र से निकाले गए और उनके सिर कलम किए गए। माना जाता है कि उनके अवशेषों को फांसी लगाने वाली जगह पर एक गड्ढ़े में फेंक दिया गया।ये जगह आज लंदन के पास मार्बल आर्च में है। क्रोमवेल का सिर वेस्टमिंस्टर हॉल की छत पर एक डंडे पर लगाकर सबको दिखाया गया। 18वीं सदी के दौरान इसे 'संग्रह की वस्तु' माना गया। 1815 में इस सिर का विश्लेषण किया गया जिसमें पुष्टि हुई कि ये क्रोमवेल का ही है।
जेसे जेम्सऐसे बहुत सी अफवाहें पाई जाती हैं कि कुख्यात अमरीकी गैंगस्टर जेसे जेम्स ने अपनी मौत की झूठी खबर उड़ाई थी, इसलिए असलियत को जानने के लिए 1995 में शव को निकाला गया।परीक्षणों से संकेत मिलता है कि शव जेसे जेम्स का ही था क्योंकि डीएनए परीक्षण के नतीजे जेसे जेम्स के परिजनों के मिलते थे। लेकिन इसके बाद दो और शव भी निकाले गए। इसमें एक ऐसा भी व्यक्ति था जिसने जिंदा रहते हुए दावा किया था कि वही असली जेसे जेम्स है।
3. हैले सेलासीइथियोपिया के आखिरी सम्राट हैले सेलासी को 1992 में उस वक्त जमीन से निकाला गया जब ये पता चला कि वो अदीस अबाबा के इंपीरियल पैलेस में शौचालय के नीचे दफन हैं।सेलासी ने 45 वर्षों तक इथियोपिया पर राज किया और रास्ताफेरियन लोग उन्हें जीता जागता भगवान मानते थे। 1974 में उनका तख्ता पलट कर दिया गया और उन्हें एक साल तक महल में बंधक बना कर रखा गया और वहीं उनकी मौत हो गई।माना जाता है कि उन्हें बंधक बनाने वालों ने ही उनकी हत्या कर दी थी। उनकी मौत के 25 साल बाद 2000 में उन्हें अदीस अबाबा के ट्रिनिटी कैथेड्रल में दोबारा से दफन किया गया.अर्जेंटीना के राष्ट्रपति खुआन पेरोन की पत्नी एविटा पेरोन का 26 जुलाई 1952 को निधन हो गया। उनके शव पर लेप किया गया। शव को एक स्मारक बना कर वहां दफनाया जाना था।
स्मारक के निर्माण की खातिर दो साल तक एविटा का शव उनके पूर्व दफ्तर में रखा गया लेकिन इसी दौरान अर्जेंटीना में तख्ता पलट हो गया और नए शासक उनके शव को वहां से हटाना चाहते थे।उनका शव काफी समय तक कभी ब्यूनस आयर्स की सड़कों पर खड़ी एक गाड़ी में रखा रहा तो कभी शहर के जल प्रबंधन कार्यालय में तो कभी सैन्य खुफिया विभाग के दफ्तरों में। 1957 में वैटिकन की गुपचुप मदद से एविटा के शव का इटली के मिलान में एक झूठे नाम से अंतिम संस्कार किया गया।बाद में ब्यूनस आयर्स की दीवारों पर लोगों ने ग्रैफिटी बनाना शुरू कर दिया कि “एविटा पेरोन कहां है.” 1971 में उनके शव को निकाला गया और मैड्रिड में खुआन पेरोन के नए घर ले जाया गया।दो साल बाद दोबारा पेरोन अर्जेंटीना के राष्ट्रपति बने लेकिन जल्द ही उनका निधन हो गया। उनकी तीसरी पत्नी इसाबेला की देखरेख में एविटा का शव अर्जेंटीना पहुंचा और पारिवारिक कब्रिस्तान में उन्हें दफनाया गया।5. चार्ली चैप्लिनमहान हास्य अभिनेता चार्ली चैप्लिन के शव को दो लोगों ने उनकी कब्र से निकाल लिया और मक्के के एक खेत में दोबारा दफना दिया। फिर इन लोगों ने चैप्लिन के वकील से फिरौती मांगनी शुरू कर दी। चैप्लिन ने अपनी जिंदगी के आखिरी 25 साल स्विटज़रलैंड के कोरसिए सु वैवे में बिताए और वहीं के कब्रिस्तान में उन्हें मौत के बाद दफनाया गया था।
लेकिन तीन महीने बाद चैप्लिन का शव चुराने वालों को गिरफ्तार किया गया और उनके शव को वापस उनकी कब्र में पहुंचाया गया। इसके बाद उनकी कब्र को कंट्रीट का रूप दिया गया। जिस ग्रामीण को चैप्लिन का शव चोरी होने के बारे में सबसे पहले पता चला, अब उसका कहना है कि फिर से ऐसी चोरी नहीं हो पाएगी।6. एलिजाबेथ सिडेलजब 1862 में इंग्लैंड के कलाकार और कवि दांते गैब्रिएल रोसेती की पत्नी की मौत अत्याधिक अफीम युक्त पदार्थ लेने से हुई। रोसेती ने अपनी कविताओं की एक किताब भी उनके साथ दफन की थी।कई सालों बाद जब रोसेती की नजर कमजोर होने लगी और वो चित्रकारी करने में खुद को असमर्थ पाने लगे तो उन्होंने अपनी दफन कविताओं को फिर से निकालने का फैसला किया। इसके लिए उन्हें गृह विभाग से अनुमति लेनी पड़ी क्योंकि उस वक्त कब्रों की लूट एक बड़ी समस्या थी।
अनुमति मिल गई लेकिन रोसेती चाहते थे ये काम गोपनीय तरीके से हो। किताब उन्होंने निकाल तो ली लेकिन उन्हें उस वक्त निराशा हुई जब अपनी सबसे प्रिय कविता के पन्नों के बीचों बीच एक बड़ा छेद पाया। हालांकि बाद में इस किताब की ज्यादातर कविताएं प्रकाशित हुईं।7. क्रिस्टोफर कोलंबसअमरीका को खोजने वाले क्रिस्टोफर कोलंबस ने अपनी वसीयत में लिखा था कि उन्हें अमरीका में दफनाया जाए लेकिन 1506 में उनकी मौत के वक्त वहां पर कोई चर्च नहीं था।इसलिए उन्हें स्पेन के शहर वालादोलिद में ही दफना दिया गया। लेकिन 1542 में उनके शव को निकाल कर हिस्पानियोला भेजा गया जहां उन्हें सेटियागो दोमिनिंगो में दफनाया गया जो अब डोमेनिक रिपब्लिक की राजधानी है।17वीं सदी के अंत में स्पेन ने हिस्पानियोला का पश्चिमी हिस्सा फ्रांस को सौंप दिया था, इसलिए कोलंबस के शव को क्यूबा भेजा गया। फिर क्यूबा आजाद हो गया तो 1898 में कोलंबस के शव ने आखिरकार अटलांटिक पार किया और उसे सेविले के कैथेड्रेल में दफनाया गया।8. वर्जीनिया पोएवर्जीनिया क्लेम ने 13 वर्ष की उम्र में अपने एक रिश्तेदार और अमरीकी लेखक एडगार एलन पोए से शादी कर ली और 1847 में 24 वर्ष की उम्र में उनकी टीबी के कारण मौत हो गई।उन्हें पहले फिलाडेल्फिया के नजदीक फोर्डहाम में एक कब्रिस्तान में दफना दिया गया। 1875 में इस कब्रिस्तान को नष्ट कर दिया गया। इसके कुछ साल बाद पोए के जीवनी लेखकों में से एक विलियम गिल ने वर्जीनिया की हड्डियों को अपने कब्जे में ले लिया।बताया जाता है कि कब्र खोदने वाले उस वक्त इन हड्डियों को फेंकने ही वाले थे। कुछ समय तक गिल ने इन हड्डियों को एक डिब्बे में अपने बिस्तर के नीचे रखे रखा। लेकिन पांच साल बाद उन्हें उनके पति के साथ दफना दिया गया।9. मैरी क्यूरीमहान वैज्ञानिक मैरी क्यूरी और उनके पति पीएरे के अवशेषों को 1995 में एक छोटे से कब्रिस्तान से निकाल कर पैरिस के पांथओन ले जाया गया। उनके योगदान को सम्मान देने के लिए ऐसा किया गया।पौलैंड में जन्मी क्यूरी को दो बार नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था और उन्होंने ज्यादातर समय फ्रांस में काम करते हुए बिताया। विविकरण पर उन्होंने बहुत अहम काम किया है। 1934 में क्यूरी की मौत कैंसर से हुई थी।10. चे ग्वाराअर्जेंटीना में पैदा हुए क्यूबाई क्रांतिकारी नेता चे ग्वारा को 1967 में बोलिविया में पकड़ा गया और फिर गोली मार दी गई। बहुत सालों तक ये रहस्य ही रहा कि उनकी शव कहां है।फिर इस अभियान में शामिल एक बोलीवियाई जनरल ने 1995 में कहा कि चे को एक हवाई अड्डे के रनवे के पास मारा गया था और वहीं उन्हें दफनाया गया।दो साल बाद उनके अवशेषों को वहां से निकाला गया और उनकी 30वीं बरसी से पहले क्यूबा को सौंप दिया गया था। अब जहां चे दफन हैं, वहां एक संग्रहालय भी है जो जनता के लिए खुला है।