बस का पता न प्लेटफॉर्म का, नाम है आईएसबीटी
कानपुर (ब्यूरो)। न बस का पता, न प्लेटफार्म का, फिर भी इसे इंटरस्टेट बस टर्मिनल कहा जाता है। हम बात कर रहे हैं कानपुर के एकलौते शहीद मेजर सलमान खान इंटरस्टेट बस टर्मिनल की। जहां प्लेटफॉर्म लापता हो चुके हंै। पैसेंजर्स का बसों की इंफॉर्मेशन देने वाली एलईडी बंद पड़ी हैं। लिहाजा पैसेंजर्स अपने रूट की बसों के लिए इधर-उधर चक्कर लगाते रहते है। इसी वजह से ज्यादातर पैसेंजर्स बस अड्डे के अंदर आने के बजाए जीटी रोड किनारे अपनी रूट की बसों के इंतजार में खड़े रहते हंै। जिससे हादसे की आशंका भी बनी रहती है।
प्लेटफॉर्म कहां, ये नहीं बताते
झकरकटी बस अड्डे में अंडर ग्राउंड मेट्रो स्टेशन का काम चलने की वजह से व्यवस्था अस्त-व्यस्त है। वर्तमान में बस अड्डे से 10 प्लेटफॉर्म 'लापताÓ हो चुके हैं। एआरएम आफिस के सामने से सिर्फ एक 8 नंबर प्लेटफॉर्म का बोर्ड लगा हुआ है। इंक्वायरी ऑफिस से पैसेंजर्स की सुविधा के लिए एनाउंसमेंट कर यह बताया जाता कै कि फलाना रूट की बस प्लेटफॉर्म 5 या 6 पर खड़ी है। लेकिन पैसेंजर्स को यह कोई बताने वाला नहीं है कि प्लेटफॉर्म 5 या 6 है कहां, क्योंकि परिसर में कोई भी प्लेटफॉर्म का साइन बोर्ड नहीं लगा हुआ है।
हाथों से उठा कर ले जाना पड़ता ट्रॉली बैग
अगर आप भी झकरकटी बस अड्डे आ रहे हंै तो ध्यान रखिए कि जरूरत का सामान ही साथ लेकर जाइये, क्योंकि अगर आपके पास एक या फिर दो ट्रॉली बैग भी हैं तो यह न सोचिएगा कि ट्रॉली बैग को घसीट कर बस के पास तक ले जा सकेंगे। तो आप गलत सोच रहे हैं। क्योंकि बस अड्डे परिसर की सड़क इतनी ऊबड़ खाबड़ है कि आपको मजबूरन ट्रॉली बैग को हाथ से उठाकर वेटिंग एरिया या फिर वेटिंग एरिया से बस तक लेकर जाना पड़ेगा।
झकरकटी बस अड्डे में व्यवस्था इस कदर अस्त व्यस्त है कि बस अड्डे से अधिक बसों को झकरकटी पुराने पुल के पास लिंक रोड व पुराने पुल पर खड़ी रहती हैं। इतना ही नहीं, यहीं पर ड्राइवर बसों को खड़ी कर पैसेंजर्स को बैठाते हैं। वहीं पैसेंजर्स भी अव्यवस्थाओं से बचने के लिए बस अड्डे के अंदर न जाकर एंट्री गेट के बाहर जीटी रोड किनारे खड़े रहते हैं। जिससे जीटी रोड में अक्सर जाम की स्थिति बनी रहती है। जिससे कानपुराइट्स को डेली रूबरू होना पड़ता है। वहीं, सड़क हादसे की आशंका भी बनी रहती है।
इंफार्मेशन एलईडी टीवी बंद पड़ी
झकरकटी बस अड्डे के एआरएम ऑफिस के पास पैसेंजर वेटिंग एरिया में पैसेंजर इंफार्मेशन के लिए एलईडी लगी हुई है। जोकि बंद रहती है। स्टॉफ से पूछताछ करने पर पता चला कि स्क्रीन में चलने वाली जानकारी व एड को अपडेट करने के लिए मुख्यालय भेजा गया है। नया साफ्टवेयर आने के बाद एलईडी चालू कर दी जाएगी।
बस अड्डे में सालों पुरानी बसों की फेयर लिस्ट लगी हुई है। जिससे पैसेंजर्स में काफी कंफ्यूज होता है और अक्सर रेट फेयर को लेकर बस में कंडक्टर से अक्सर कहासुनी होती है। स्टॉफ के मुताबिक बस अड्डे में लगी फेयर लिस्ट पांच साल से अधिक पुरानी है। जबकि हालती में बसों के फेयर बढ़ाए गए हैं। पार्किंग की सुविधा भी नहीं
कानपुर से बड़ी संख्या में लोग लखनऊ व आसपास सिटी अप-डाउन करते है। लिहाजा लोग अपने घर से प्राइवेट व्हीकल से बस अड्डे जाकर वहां व्हीकल पार्क कर बस से अपने गंतव्य को जाते है। लेकिन कुछ सालों से यह सुविधा खत्म हो गई है। कोरोना के बाद से बस अड््डे में व्हीकल पार्किंग की सुविधा खत्म हो चुकी है।