कंघी मोहाल में ट्यूजडे को जबरदस्त धमाका हुआ. यहां पर एक मकान में खाना बनाते समय सिलेंडर फट गया जिससे तीसरी मंजिल की छत और दीवार भरभराकर गिर गई. मलबे के नीचे एक ही परिवार के तीन लोग दब गए. चीख-पुकार और धमाके की आवाज सुन आसपास के लोगों ने मलबे के लिए नीचे दबे लोगों को बाहर निकाला और हैलट में भर्ती कराया. एक की हालत अभी भी नाजुक बनी हुई है.


कानपुर (ब्यूरो)। कंघी मोहाल में ट्यूजडे को जबरदस्त धमाका हुआ। यहां पर एक मकान में खाना बनाते समय सिलेंडर फट गया, जिससे तीसरी मंजिल की छत और दीवार भरभराकर गिर गई। मलबे के नीचे एक ही परिवार के तीन लोग दब गए। चीख-पुकार और धमाके की आवाज सुन आसपास के लोगों ने मलबे के लिए नीचे दबे लोगों को बाहर निकाला और हैलट में भर्ती कराया। एक की हालत अभी भी नाजुक बनी हुई है। वहीं, फॉरेंसिक टीम ने इविडेंस कलेक्ट किए हैं। टीम को सिलेंडर का कोई भी पार्टिकल नहीं मिला है। जर्जर बिल्डिंग में चार परिवार कंघी मोहाल में टीपू का तीन मंजिला जर्जर मकान है। एक सप्ताह पहले उनकी मौत हो चुकी है। मकान के निचले हिस्से में टीपू के बेटे नसीम का चप्पल का कारखाना है। जबकि सेकेंड और थर्ड फ्लोर पर आमिर, गफूर उर्फ राजू, इलियास, इरशाद और बरकत अली परिवार समेत किराए पर रहते हैं। ट्यूजडे दोपहर करीब 1:45 बजे थर्ड फ्लोर पर आमिर खाना बना रहा था। पास में ही इरशाद की पत्नी गजाला बैठी थी। जबकि उसकी साढ़े छह साल की बेटी तूबा नूर खेल रही थी। धमाके से गिरी छत और दीवार अचानक तेज धमाका हुआ। जिससे तीसरी मंजिल की छत और दीवारें गिर गईं। इसके नीचे आमिर, गजाला और तूबा नूर दब गईं। चीख-पुकार और धमाके की आवाज सुन लोगों की भीड़ जुट गई। लोगों ने मलबा हटाकर आमिर, गजाला और तूबा को बाहर निकाला। सूचना पर एसीपी अनवरगंज, बजरिया, कर्नलगंज, चमनगंज समेत चार थानों की पुलिस मौके पर पहुंची। मलबा ऊपर से गिर रहा था तो पुलिस ने आसपास की जगह को सील कर दिया। घायलों को एंबुलेंस से हैलट अस्पताल भेजा। मकान किया सील धमाका इतना तेज था कि ईंट के टुकड़े और लकड़ी की खिडक़ी 200 मीटर दूर तक गिरे। वहीं, धमाके की गूंज आधा किलोमीटर दूर तक सुनाई दी। नगर निगम ने सडक़ पर फैला मलबा समेटा और मकान सील कर दिया। इसके अलावा पुलिस ने मकान के दूसरे हिस्सों में रहने वाले किराएदारों को मकान खाली करा दिया है। बताते चलें कि जिस गली में ये हादसा हुआ है, वहां दर्जनों मकान लगभग 50 साल पुराने हैं और जर्जर हालत में है। लेकिन किराया कम होने की वजह से लोग अपनी जिंदगी दांव पर लगाकर रह रहे हैं। हादसे की वजह साफ नहीं फॉरेंसिक टीम ने घटनास्थल पर जांच पड़ताल की है। जांच के दौरान सिलेंडर के अवशेष नहीं मिले हैं। न ही वहां कोई गैस की गंध पाई गई है। जबकि पुलिस और स्थानीय लोगों का कहना है कि वहां सिलेंडर से धमाका हुआ है। अधिकारियों का कहना है कि मलबा हटने पर ही ये बताया जा सकेगा कि धमाका कैसे हुआ है। वहीं, पता चला है कि टीपू की मौत के तुरंत बाद नसीम ने इस मकान का बिल्डर एग्रीमेंट कर दिया था, जिसके बाद नया मकान मालिक लोगों पर मकान खाली करने का दबाव बना रहा था। 400 से ज्यादा बिल्डिंग जर्जर, नगर निगम देता सिर्फ नोटिस नगर निगम में करीब 430 जर्जर बिल्डिंग दर्ज हैं। हालांकि हकीकत में इनकी संख्या और भी अधिक है। सबसे अधिक जर्जर बिल्डिंग 222 जोन एक में हैं। इस जोन में घनी आबादी वाला जनरलगंज, मनीराम बगिया, लाठी मोहाल, सुतरखाना, हरबंशमोहाल, तेलियाना आदि मोहल्ले आते हैं। इसी तरह खलासी लाइन, ग्वालटोली, बेनाझाबर कालोनी आदि मोहल्ले वाले जोन-2 में 120 जर्जर बिल्डिंग हैं। तीसरे नम्बर पर जोन 3 है, इस जोन में जूही, बारादेवी आदि मोहल्लों में 42 जर्जर इमारते हैं। इनमें से ज्यादातर बिल्डिंग्स में मकान व किराएदार के बीच विवाद है और केस कोर्ट में चल रहा है। इसी वजह से नगर निगम इन्हें गिरा पाने में हाथ खड़े कर देता है। Posted By: Inextlive