खतरनाक है डगर, कदम कदम पर बड़े बड़े गड्ढे जलभराव में नहीं आते नजर, इन राहों पर जरा बचकर चले
कानपुर(ब्यूरो)। रोड्स पर चलने के लिए पब्लिक खुद जिम्मेदार है, आप की सुरक्षा आप की ही जिम्मेदारी है। जान माल के नुकसान के लिए कोई सरकारी विभाग जिम्मेदार नहीं होगा। चंद दिनों की बारिश में शहर की रोड्स का जो हाल हुआ है उसे देखते हुए इस तरह के वार्निंग बोर्ड नगर निगम को हर रोड पर लगा देना चाहिए, ताकि लोग सर्तक रहें और हादसे से बच सकें। क्योंकि बारिश से शहर की प्रमुख रोड्स छलनी हो गई हैं। गड्ढे इतने कि गिनना भी मुश्किल। ऊपर से थोड़ी सी बारिश में जलभराव। जिसके बाद न गड्ढे का पता चलता है और न सडक़ का। ऐसे में गाड़ी और चलाने वाला दोनों की सेहत खतरे में हैं। अगले तीन महीने तक शहर की सडक़ों का यही हाल रहने वाला है। इसलिए सडक़ पर निकलें तो जरा संभल कर।
ये हैं शहर की मुश्किल राहे
- आचार्य नगर रोड, जवाहर नगर से ब्रह्मïनगर चौराहा
- काकादेव देवकी टाकीज के सामने वाली रोड
- गीता नगर से क्रासिंग जाने वाली रोड
- यशोदा नगर से टाटमिल चौराहा रोड
- चावला मार्केट से जूही परमपुरवा बीबीएम मार्केट रोड
- जीटी रोड, ज्वालादेवी रोड और कल्याणपुर-ङ्क्षसहपुर रोड
- चकेरी के कोयला नगर स्थित न्यू आजाद नगर रोड
- रेल बाजार रेलवे स्टेशन प्लेट फॉर्म एक के बाहर
रेलवे स्टेशन कैंट साइड की तरफ जाने वाली दोनों तरफ की रोड गड्ढ़े से ब्लॉक है। रेल बाजार की तरफ जाने वाली मेन रोड पर ही सीवर धंसने के गड्ढ़ा हो गया। जिसके चलते रोड ब्लॉक है। जबकि कैंट की तरफ आने वाली रोड पर सौ मीटर पर दस से ज्यादा बड़े गड्ढ़े है जहां वाटर लॉगिंग के चलते पैदल तो दूर गाड़ी से चलना भी मुश्किल है।
यशोदानगर-टाटमिल: 14 गड्ढ़े
यशोदा नगर बाईपास से टाटमिल चौराहा तक मॉडल रोड बनाने की तैयारी है। लेकिन, वर्तमान में यह रोड कई जगह गड्ढों में गुम हो चुकी है। बाईपास से उतरते ही वाहनसवारों को बड़े बड़े गड्ढों से सामना होता है। साथ में दोनों तरफ जलभराव। और इस हाल में साइकिल, स्कूटी, बाइक कार, लोडर बस से लेकर ट्रकों तक का आवागमन। यानि खतरा हर दिशा है। जरा सा चूके तो गए काम से। किदवई नगर चौराहे से आनंदपुरी गेट तक एक किमी पर 14 गड्ढे हैं। वाटर लॉगिंग के चलते अक्सर ये गड्ढे नजर भी नहीं आते हैं। किदवई नगर चौराहा पर बायीं लेन पर मैनहोल क्षतिग्रस्त होकर धंस गया है। उसके आगे पांचवें मैनहोल की खोदाई की गई, जिससे आठ इंच का गड्ढा उभर आया है.बाबा कुटी चौराहे से पहले मैनहोल पर गड्ढा है। आनंदपुरी गेट के सामने डिवाइडर पर गड्ढा हो गया है।
गांधी नगर में ज्वालादेवी स्कूल के पास मैनहोल धंसने से गड्ढा हो गया है। इसकी बैरिकेटिंग भी नहीं कराई गई है, औपचारिकता निभाते हुए संकेतक के लिए एक डंडा लगा दिया है। वाटर लॉगिंग में तो यह नजर ही नहीं आता है। वाहन सवारों की अचानक नजर पडऩे पर ब्रेक लगाते हैं तो एक-दूसरे से वाहन टकरा जाते हैं। चावला मार्केट से परमपुरवा: 13 गड्ढे
चावला मार्केट चौराहा से धर्मकांटा चौराहा यानी जूही परमपुरवा बीबीएम मार्केट चौराहा तक की 900 मीटर सडक़ पर सफाई के लिए मैनहोल की खोदाई करके खोले गए थे। मैनहोल के ढक्कन बंद हैं, लेकिन उनमें एक से डेढ़ फीट तक के गड्ढे ऐसे ही छोड़ दिए हैं। इस 900 मीटर रोड पर हर 50-60 मीटर पर गड्ढे हैं। वाटर लॉगिंग होने पर इन 13 छोटे-बड़े गड्ढों में हादसे होते रहते हैं। कई बार अचानक ब्रेक लगाने से वाहन आपस में टकराते हैं।
जीटी रोड शांति गैस एजेंसी के सामने: 09 गड्ढे
जीटी रोड के बायीं लेन पर शांति गैस एजेंसी के सामने 25 मीटर पर मैनहोल के नौ खुदे गड्ढे हैं.इनसे बचने के चक्कर में वाहन सवार फिसलकर हादसे का शिकार हो जाते हैं। तिपहिया वाहन पलट जाते हैं। बदली ट्रैफिक व्यवस्था में आचार्य नगर से वाहन सवार जीटी रोड पर आते हैं, अचानक गड्ढ़े मिलने से नियंत्रण खो जाता है।
ङ्क्षसहपुर-कल्याणपुर फोरलेन रोड के बायीं लेन के 3100 मीटर पर मौत 76 गड्ढे हैं। दिल्ली पब्लिक स्कूल के सामने 50 मीटर लंबा गड्ढा है। सिंहपुर चौराहे से कल्याणपुर की तरफ बढ़ते ही मैनहोल खुला है। उससे कुछ दूरी पर दूसरा मैनहोल खुला है। सडक़ का एक मीटर हिस्सा क्षतिग्रस्त है। कल्याणपुर तक छह मैनहोल खुले हैं। सात गड्ढे सौ से डेढ़ सौ मीटर के हैं, जिनकी गहराई 20-25 सेंटीमीटर है। जीटी रोड को जोडऩे वाले 150 मीटर का हिस्सा भी क्षतिग्रस्त है। बरसात के चलते कई रोड्स खराब हो गई हैं। बरसात के बाद रोड का निर्माण कार्य कराया जाएगा। इसके लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। शिकायत मिलने पर रोड की मरम्मत का काम कराया जा रहा है।
-मनीष अवस्थी, चीफ इंजीनियर, नगर निगम