ठुकराए माता-पिता को फिर मिला अपनों का साथ
कानपुर (ब्यूरो) अक्सर आपने सुना होगा कि बेटा बहु अपने माता पिता और सास ससुर को घर से बाहर निकाल दिया है। इस तरह के मामलों की कोई गिनती नही है, जो मामला पुलिस और कोर्ट के पास पहुंचता है, सिर्फ उनको ही न्याय मिलता है, जबकि हजारों केस पुलिस और कोर्ट तक न पहुंचने से उनको न्याय नहीं मिलता। कानपुर जिले की बात करें तो मार्च 2021 से अब तक 106 इसी तरह के मामले एसडीएम कोर्ट में पहुंचे थे। इन पर लगातार सुनवाई हु़ई और आखिरकार लगभग 47 परसेंट यानी 49 केसों में कोर्ट ने बुजुर्गो को अपनों का सहारा दिला दिया है।
वृद्धा आश्रम में 400 से अधिक बुजुर्ग
एक आंकड़े के मुताबिक, लगभग चार सौ से अधिक बुजुर्ग अलग-अलग क्षेत्र के अंतर्गत वृद्धा आश्रमों में रह रहे हैं, इनका कोई सहारा नहीं है। जिन लोगों ने न्यायालय का सहारा लिया उन्हें जीत मिली है। इनमें से अधिकतर घर से बाहर, अपनों द्वारा प्रताडि़त समेत अन्य कई तरह के मामले सामने आए हैं। इनमें से कई लोग तो कोर्ट का सहारा ले लेते हैं, जबकि अधिकतर न्याय के बिना वंचित रहे जाते हैं।
क्या कहता है अधिनियम
दरअसल, सीनियर सिटीजन का भरण पोषण एवं कल्याण अधिनियम 2007 में 60 साल या इससे ऊपर की उम्र के लोगों को सीनियर सिटीजन माना गया है। बेटा, बेटी, पौत्र और पौत्री पर इनकी देखभाल करने का प्रावधान है। अगर किसी के बच्चे नहीं है तो प्रापर्टी पर क्लेम करने वाले रिश्तेदारों को देखभाल करनी होगी। अगर कोई अपने मां-पिता, बाबा या दादी की देखभाल नहीं करता है तो एसडीएम दस हजार रुपए तक प्रतिमाह भत्ता दिला सकते हैं। न देने पर तीन माह की कैद, पांच हजार रुपए तक जुर्माना या दोनों सजाएं दे सकते हैं। अगर कोई मां-बाप अपने बच्चों के नाम प्रापर्टी की वसीयत कर देता है और उसके बाद बच्चे उनकी देखभाल नहीं करते हैं तो वसीयत शून्य घोषित हो सकती है।
चटाई मोहाल निवासी जमीर हसन वारसी 70 साल के हैं, उन्होंने अपने बेटे मोहम्मद रफी हसन वारीस 36 के खिलाफ एसडीएम सदर कोर्ट में मुकदमा दर्ज कराया है। उन्होंने बेटे पर मानसिक व शारीरिक यातनाओं का आरोप लगाया है। लिखा है कि अधिक प्रताडऩा के चलते पत्नी की मौत हो गई। कभी-कभी आत्महत्या करने का मन करता है, अपने ही घर में डर लगता है। बेटे ने दस लाख रुपए का उधार लिया जो अब तक नहीं दिया है।
केस 2
रेल बाजार के पास 65 साल की नूर बेगम ने एसडीएम कोर्ट में अधिनियम 2007 के तहत मुकदमा दर्ज कराया है। बताया कि बेटा मोहम्मद फारुख अपनी ससुरालजनों के साथ मिलकर उसे प्रताडि़त करता है। घुटने में दर्द रहता है, इससे चलने में परेशान रहती है। लेकिन आए दिन ताने दिए जाते हैं कि कोई कमाई नहीं करती। काफी परेशान हूं। न्याय चाहती हूं।
106 मामले एक साल में
49 को मिला न्याय
400 से अधिक बुजुर्ग वृद्धा आश्रम में