Sabarmati Express Investigation: साबरमती एक्सप्रेस डिरेलमेंट हादसे की जांच में नया तथ्य सामने आया है. रेल की पटरी के जिस टुकड़े के कारण डिरेलमेंट होने का शक है वह रेलवे के एलाइनमेंट को देखने के लिए ट्रैक के किनारे लगाई गई खूंटी का हिस्सा बताया जा रहा है.

कानपुर (ब्यूरो)। Sabarmati Express Investigation: साबरमती एक्सप्रेस डिरेलमेंट हादसे की जांच में नया तथ्य सामने आया है। रेल की पटरी के जिस टुकड़े के कारण डिरेलमेंट होने का शक है वह रेलवे के एलाइनमेंट को देखने के लिए ट्रैक के किनारे लगाई गई खूंटी का हिस्सा बताया जा रहा है। घटनास्थल पर यह टुकड़ा कहां से आया, इसका पता लगाया जा रहा है। इस पटरी का प्रयोग वर्ष 1998 तक रेलने ने पूरी तरह बंद कर दिया गया था।

तीन फीट लंबा टुकड़ा

साबरमती एक्सप्रेस 16 अगस्त को झांसी सेक्शन के पनकी इंडस्ट्रियल एरिया में पटरी से उतर गई थी। 20 कोच डिरेल हो गए थे। ट्रेन वाराणसी से अहमदाबाद जा रही थी। इस मामले में रेलवे ने जांच के लिए एसएजी टीम गठित की थी। एसएजी टीम ने घटनास्थल से तीन फीट लंबा पटरी का टुकड़ा बरामद किया था। इसके साथ ही इंजन के स्पीडोमीटर को भी कब्जे में लिया था। स्पीडो मीटर की जांच से यह तथ्य सामने आए कि दुर्घटना के समय ट्रेन 95 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही थी। पटरी का टुकड़ा जांचा गया तो यह 90 आर रेल का टुकड़ा बताया गया। आर से मतलब पाउंड से है।

एलाइनमेंट परखने के लिए

इस एक मीटर रेल के टुकड़े का वजन 44.5 किग्रा होता है। ब्रिटिश काल में इस रेल की पटरी का प्रयोग होता था। वर्ष 1998 तक सभी जगह से इन पटरियों को हटाया जा चुका है। इन पटरियों को टुकड़े के रूप में प्रयोग करके खूंटी बनाकर रेल ट्रैक के किनारे लगाया जाता है और मौजूदा रेल ट्रैक के एलाइनमेंट को परखा जाता है। जानकार बताते हैं कि गर्मी व सर्दी में पटरियों के एलाइनमेंट में बदलाव होता है। खूंटी लगी होने पर बदलाव का आसानी से पता लग जाता है।

Posted By: Inextlive