यूनिवर्सिटी की दीवारों पर झलकेगी स्वतंत्रता संग्राम की गौरव गाथा
कानपुर (ब्यूरो)। 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से लेकर 1947 तक देश की आजादी के लिए कानपुर के क्रांतिकारियों ने बहुत संघर्ष किया था। उस क्रांति की यादें अब सीएसजेएम यूनिवर्सिटी की दीवारों पर नजर आएंगी। नानाराव पेशवा, तात्याटोपे, चंद्रशेखर आजाद और भगत सिंह समेत कई क्रांतिकारी ऐसे है, जिन्होंने कानपुर की धरती में क्रांति की चिंगारी को शोला बनाने का काम किया है। शहीद क्रांतिकारियों को यूथ अब किताबों से अलावा दीवारों पर म्यूरल की शक्ल में देखेंगे। वेडनसडे को यूनिवर्सिटी के स्कूल आफ क्रिएटिव एंड परफॉर्मिंग आट्र्स में आठ दिवसीय नेशनल फाइबर म्यूरल वर्कशाप का शुभारंभ किया गया। वीसी प्रो। विनय कुमार पाठक, प्रोवीसी प्रो। सुधीर कुमार अवस्थी और रजिस्ट्रार डॉ। अनिल यादव ने दीप जला कर कार्यक्रम को स्टार्ट किया। वर्कशॉप का विषय कानपुर के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की महागाथा पर आधारित है।
कुछ ऐसे होंगे म्यूरल
स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े किस्सों पर कलाकारों मे म्यूरल बनाने का काम स्टार्ट कर दिया है। इन म्यूरल्स में नानाराव पेशवा की अंग्रेजों से लड़ाई, सत्तीचौरा घाट कांड, नानाराव पार्क के बूढ़े बरगद की घटना और क्रांतिकारियों के बैठक आदि से संबधित घटनाएं होगी,
यूनिवर्सिटी की वॉल पर यह भी दिखेगा
यूनिवर्सिटी दीवारें अब सूनी नहीं दिखेंगी। न ही उनको बिना वजह की पेंटिंग और विज्ञापनों से रंगा पोता जाएगा। उनमें कुछ ऐसा होगा, जिसको देखकर वहां पर आने वालों की नॉलेज बढ़े। इसी के अंतर्गत म्यूरल्स के अलावा मानचेस्टर आफ ईस्ट और कानुपर के कल्चर से जुड़े चित्र लगेंगे। उनको कैनवास पर बनवाया जा रहा है। इस योजना के तहत आने वाले महीनों में यूनिवर्सिटी की वॉल्स किसी कहानी को बताएंगी।
वेस्ट बंगाल, एमपी, छत्तीसगढ़ से आए आर्टिस्ट
म्यूरल्स को बनाने का काम कैंपस में स्टार्ट हो गया है। इस काम को करने के लिए स्कूल आफ क्रिएटिव एंड फाइन आट्र्स के अलावा बाहरी आर्टिस्ट भी आए है। आर्टिस्टों की बात करें तो वेस्ट बंगाल, एमपी और छत्तीसगढ़ से मंझे हुए लोगों को बुलाया गया है। सभी को एक चित्र दे दिया गया है। उसी पर म्यूरल बनाना है।
यह होता है म्यूरल
आप अक्सर दीवारों पर लगी हुए पेंटिंग्स में उभरे हुए चित्रों को देखते होंगे। उसी को म्यूरल आर्ट कहा जाता है। इसको बनाने के लिए बोर्ड पर कील लगा कर रस्सी लगाते है उसके बाद बांबे क्ले से बेस बनाया जाता है। बेस को सूखने के बाद उसमें आकृतियों को काट कर आगे का प्रॉसेस फालो किया जाता है।
&& यूनिवर्सिटी की दीवारों पर स्वतंत्रता संग्राम क्रांति, मानचेस्टर आफ ईस्ट और कल्चर की पेंटिंग दिखेंगी। यूनिवर्सिटी एक नॉलेज सेंटर है, इसको एक ऐसा कैंपस बनाया जा रहा है जहां हर कदम पर कुछ न कुछ सीखने को मिले.&य&य
प्रो। विनय कुमार पाठक, वीसी, सीएसजेएमयू
राजकुमार सिंह, प्रभारी, स्कूल आफ क्रिएटिव एंड परफॉर्मिंग आट्र्स