गर्मी में बिगड़ रहा नौनिहालों का इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस
कानपुर (ब्यूरो) हैलट के पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट में डेली विभिन्न बीमारियों से ग्रसित 250 से 300 बच्चे उपचार के लिए आते हैं। क्योंकि बीते सप्ताह से मौसम अचानक गर्म हो गया है। लिहाजा वर्तमान में काफी संख्या में डायरिया के लक्षण लेकर बच्चे ओपीडी में आ रहे हैं। जांच में उनके शरीर का इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस भी प्रभावित मिला है। जिससे उनके लूस मोशन के साथ कमजोरी होना व आंखों के आसपास ब्लैकनेस की समस्या हो रही है।
डेली 5 से अधिक बच्चे गंभीर
हैलट के पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ। यशवंत राव ने बताया कि डिपार्टमेंट की इमरजेंसी में डेली 5 से अधिक बच्चे गंभीर हालत में भर्ती हो रहे है। इसका मुख्य कारण पैरेंट्स की लापरवाही है। बच्चे को लूस मोशन होने पर पहले तो वह घरेलू उपाय करते हैं। उसके बावजूद आराम न मिलने पर वह मेडिकल स्टोर से लूज मोशन का सीरफ लेकर एक-दो दिन आराम मिलने का इंतजार करते हंै। यही कारण है कि बच्चे का डायरिया बिगड़ जाता है। शरीर का पानी कम होने पर वह पूरी तरह से लस्त हो जाता है। तब पैरेंट्स बच्चे को हैलट लेकर भागते हैं।
यह हैं लक्षण
- बच्चे के पेट में मरोड़ होने की शिकायत करना
- दिन में पांच से अधिक बार फ्रेश होने जाना
- लूज मोशन होना
- जी मिचलाना व डिहाइड्रेशन होना
- कम पेशाब जाना
- मुंह का सूखना
- सिर दर्द व थकान
- चक्कर आने के साथ चिड़चिड़ापन
- सुस्ती व अधिक नींद आना
- जूस व तरल पदार्थ का सेवन कराएं
- ओआरएस का घोल देते रहे
- फाइबर युक्त सब्जी का सेवन न करें
- खाना खाने से पहले बच्चे का हाथ साबुन से अच्छी तरह साफ करा लें
- आरओ का पानी ही पिलाएं
- जर्नी के दौरान बंद बोतल का पानी ही बच्चों को दें आंकड़े
- 200 से अधिक पेशेंट डेली हैलट ओपीडी में आते
- 30 से अधिक पेशेंट डायरिया के लक्षण वाले आ रहे
- 5 से अधिक बच्चे गंभीर हालत में डेली इमरजेंसी में आ रहे
- 150 से अधिक बच्चों की उर्सला में डेली होती ओपीडी
- 25 से अधिक बच्चे डेली डायरिया के लक्षण लेकर आ रहे
- 2 से 3 बच्चे गंभीर हालत में इमरजेंसी पहुंच रहे।
कोट
मौसम अचानक गर्म होने से बच्चों में डायरिया का प्रभाव देखने को मिल रहा है। बच्चें को लूज मोशन, पेट में मरोड़ समेत अन्य परेशानी हो रही है तो तत्काल किसी पीडियाट्रिक स्पेशलिस्ट डॉक्टर को दिखा लें। ऐसा होने पर बच्चों को तत्काल प्रभाव से ओआरएस का घोल देना शुरु कर दें। जिससे उसके शरीर में पानी की कमी न हो पाए।
डॉ। यशवंत राव, पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट, जीएसवीएम