71 करोड़ का सपना आज तक न हो सका पूरा
कानपुर (ब्यूरो) वर्ष 2014 में गंगा बैराज को टूरिस्ट स्पॉट की तरह डेवलप करने का डिसीजन तत्कालीन केडीए ऑफिसर्स ने किया। इसके लिए बैराज के पास गंगा किनारे स्थित 60 एकड़ में 71 करोड़ से लोहिया बॉटेनिकल गार्डेन की प्लानिंग की। इसमें 3 बैंक्वेट हॉल, वाटर म्यूजियम, एम्फीथिएटर, गाडिय़ों की पार्किंग, फूटस्ट्रीट, एडवेंचर पार्क आदि कार्य शामिल थे। टेंडर हासिल करने वाली कोलकाता की कम्पनी जीपीटी इंफ्रा ने वर्ष 2015 में काम भी शुरू कर दिया।
एनजीटी ने निर्माण पर रोक हटाई
वर्क ऑर्डर जारी होते ही कम्पनी ने तेजी से बिल्डिंग बनाने को काम करने लगी। गंगा बैराज से मंधना साइड जाने पर बिल्डिंग बनने लगी। इतना सब होने के बाद भी केडीए ऑफिसर्स को गंगा के किनारे निर्माण न किए जाने के नियम की याद नहीं आई। एक एनजीओ ने हाईकोर्ट में गंगा किनारे पक्का निर्माण किए जाने और हरे पेड़ काटे जाने को लेकर जनहित याचिका दाखिल कर दी। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने निर्माण कार्य पर रोक लगा दी। बाद में मामला नेशनल ग्र्रीन ट्रिब्यूनल के पास चला गया। हालांकि बाद में सुनवाई में केडीए ऑफिसर्स ने वैंक्वेट हॉल आदि निर्माण कार्य न करने, पेड़ों को न काटने आदि का वादा किया। तब कहीं जाकर एनजीटी ने लोहिया बॉटेनिकल गार्डेन पर लगी रोक हटाई। हालांकि इस बीच निर्माण कार्यो पर करीब 15 करोड़ रूपए भी खर्च हो गए। निर्माण कार्य कम्पनी को भी ब्लैक लिस्ट कर दिया गया। रोक हटने के बाद केडीए बोर्ड में यह मामला गूंजा। केडीए ऑफिसर्स ने यहां बायोडायवर्सिटी पार्क डेवलप करने का दावा किया, लेकिन आज तक बॉयोडायवर्सिटी पार्क भी डेवलप नहीं हो सका है।
प्लानिंग बनी -- 2014
वर्क ऑर्डर जारी हुए-- 2015
टोटल एरिया-- 60 एकड़
प्रोजेक्ट कास्ट--70.95 करोड़
कम्प्लीशन टारगेट-- 2 साल
करंट सिचुएशन-- काम ठप पार्क में ये होने थे वर्क
-3 बैंक्वेट हाल, 500 कार पार्किंग
- 2500 लोगों की क्षमता का एम्फीथियेटर
- ड्राइव इन सिनेमा, म्यूजिकल फाउंटेन
- लेजर शो, फिश पांड, फूड स्ट्रीट
- वाटर म्यूजियम, एडवेंचर पार्क