कानपुर, आजमगढ़ में बना रखे थे आतंकी ट्रेङ्क्षनग सेंटर
कानपुर(ब्यूरो)। आईएसआईएस के खुरासान माड्यूल के आतंकियों ने सिमी व आईएसआईएस एजेंटों के साथ जुडक़र संगठन को मजबूत किया था। नक्सलियों की तरह दिल्ली से लखनऊ के बीच सेफ कॉरिडोर तैयार कर लिया था। ये आतंकी धरपकड़ होने पर नेपाल और झारखंड में पनाह लेने के लिए भाग जाते थे। कानपुर और आजमगढ़ में ट्रेङ्क्षनग सेंटर बना रखे थे। ब्रेनवाश करने के साथ यहां उन लोगों को मैङ्क्षपग करने, हथियार चलाने, बम बनाने आदि की ट्रेङ्क्षनग कराई जाती थी।
दो रूटों पर सेफ कॉरिडोर
जांच एजेंसियों की रिपोर्ट के अनुसार आतंकियों ने नक्सलियों की तर्ज पर दिल्ली से मुजफ्फरपुर (बिहार) और इटावा से लखनऊ तक दोनों रूट पर सेफ कॉरिडोर बनाया था। इन दोनों ही रूट पर हर 40-50 किमी में ऐसे स्थान थे, जहां आसानी से रुककर आतंकी गतिविधियों को अंजाम दे सकें। नक्सली और आतंकी गठजोड़ इनके लिए फायदेमंद था। मोतिहारी में पकड़े गए नक्सली मोती पासवान व दुबई में पकड़े गए शमशुल होदा की गिरफ्तारी से इसका राजफाश हुआ था
ये थे पनाह लेने के ठिकाने
खुरासान माड्यूल के सेफ कारिडोर में पनाह लेने के लिए औरैया, इटावा, वाराणसी, गाजीपुर, मुगलसराय, रामपुर, बरेली, शाहजहांपुर, लखनऊ, बाराबंकी, बहराइच आदि शहरों को चुना था। यहां उन्हें जरूरत की सभी चीजें आसानी से उपलब्ध हो जाती थीं।
आर्थिक संकट ने आतंक के दलदल में फंसाया
भोपाल-उज्जैन पैसेंजर ट्रेन में विस्फोट के मामले में पकड़े गए आतंकी आतिफ के पिता एमएच नदवी जाजमऊ में टेनरी चलाते थे। आतिफ अलीगढ़ से लेदर फुटवियर डिजाइङ्क्षनग की पढ़ाई कर रहा था। अचानक पिता का देहांत होने पर परिवार को आर्थिक संकट ने घेर लिया तो उसकी पढ़ाई छूट गई। आतिफ ने अलीगढ़ के अपने करीबी साथियों से संपर्क किया तो उन्होंने उसे दिल्ली बुलाया था, वहां से मुंबई गया। मुंबई पहुंचने के 10 दिन बाद उसने घरवालों को बताया था कि उसकी नौकरी लग गई है। अब वह दो महीने बाद घर लौटेगा। ट्रेन विस्फोट मामले में उसका नाम आया तो परिजनों के होश उड़ गए थे।
कटरी में अंकल देता था हथियार चलाने का प्रशिक्षण
खुरासान माड्यूल के आतंकियों का मास्टर ट्रेनर एयरफोर्स से सेवानिवृत गौस मोहम्मद उर्फ अंकल लोगों को धर्म की कसम और रुपये कमाने का लालच देकर युवाओं को संगठन से जोड़ता था। उनका ब्रेनवाश करने के साथ ही उन्हें जेहाद के लिए तैयार करता था। अंकल ही कटरी में सप्ताह में तीन हथियार चलाने की ट्रेनिंग देता था।
प्रतिदिन धार्मिक स्थल पर जाता था गौस
जांच एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, गौस मोहम्मद जब जाजमऊ में रहने आया तो वह यहां स्थित एक धार्मिक स्थल पर प्रतिदिन जाता था। वहीं उसकी मुलाकात मनोहर नगर जाजमऊ टीला निवासी सैफुल्लाह से हुई थी। दोनों में नजदीकियां बढ़ीं और रोजाना एक दूसरे से मिलना जुलना होने लगा था। इसके बाद सैफुल्लाह और उसके करीबी दोस्त भी गौस से मिलने लगे थे। गौस ने सैफुल्लाह और उसके साथियों का ब्रेनवाश कर जेहाद के लिए तैयार किया था.एजेंसी की रिपोर्ट में सामने आया कि गौस मोहम्मद बम बनाने में माहिर था। वह संगठन से जुड़े लोगों को हथियार चलाने का प्रशिक्षण देने के साथ ही बम बनाना भी सिखाता था।
एडवांस ट्रेङ्क्षनग के लिए दिल्ली
बम बनाने और हथियार चलाने का प्रशिक्षण पूरा होने के बाद गौस मोहम्मद ने आतिफ और सैफुल्लाह को एडवांस ट्रेङ्क्षनग के लिए दिल्ली भेजा था। बाद में सैफुल्लाह के चचेरे भाई दानिश और सबसे आखिरी में उसने फैजल को दिल्ली भेजा था। आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के लिए गौस आका बनकर रणनीत तैयार करता था। सिमी से जुडऩे के बाद से ही उसने अपने स्लीङ्क्षपग माड्यूल्स तैयार करने शुरू कर दिए थे। छानबीन में सामने आया था कि उसके संपर्क सऊदी तक थे।
इन्हें दोषी करार दिया गया
एनआईए-एटीएस स्पेशल कोर्ट ने शुक्रवार को प्रतिबंधित आतंकी संगठन आईएसआईएस के आठ आतंकियों को उन्नाव के गंगा घाट के पास टेस्ट विस्फोट में दोषी करार दिया है। सजा पर फैसला 27 फरवरी को आएगा। दोषी पाए गए आतंकियों में मो। फैसल, गौस मोहम्मद खान, मो। अजहर, आतिफ मुजफ्फर, मो। दानिशख्, सैयद मीर, हसन, आसिफ इकबाल, उर्फ रॉकी व मो। आतिफ है।