इंदिरा नगर में 8 महीने से डेरा जमाए हैं संदिग्ध बांग्लादेशी
कानपुर (ब्यूरो) पिंटू बागड़ी के आधार कार्ड पर मुर्शीदाबाद पश्चिम बंगाल का पता लिखा मिला। पालकी नेसा और महरचान अली के आधार कार्ड में बरपेटा असम का पता लिखा मिला। इसी तरह से तमाम आधार में आधा नाम हिंदू तो आधा नाम मुस्लिम मिला। कुछ आधार कार्ड में डेट ऑफ बर्थ के हिसाब से लोगों का फिजिकल डिटेल भी मिलान नहीं कर रहा था। पुलिस ने सारे आधार कार्ड जांच के लिए संबंधित एजेंसियों तक भेजे हैैं। पूरी छापेमारी में 20 परिवारों में केवल एक युवा दिखाई दिया। जबकि परिवारों में महिलाएं और सीनियर सिटीजन मौजूद थे। इस पूरी जमीन का किराया 14000 रुपये है जो इलाके की कोई शीला आंटी वसूलती हैैं। हर महीने की तीन तारीख को किराया इकट्ठा कर शीला आंटी को दे दिया जाता है।
आठ महीने सोती रही पुलिस
सरकारी जमीन पर आठ महीने पहले बसी इस बस्ती की भनक न पुलिस को लगी और न एलआईयू को। बांस और टट्टर के चारों तरफ टिन और पहनने वाली साड़ी की छत और दीवारें बनाकर रहने की जगह बनाई गई है। जानकारी करने पर आस पास के लोगों ने बताया कि इस बस्ती में दो पहिया वाहनों से अक्सर लोग आते हैैं। लडक़े और पुरुष कम ही रहते हैैं।
पूछताछ में भाषा की परेशानी
बस्ती में मौजूद सभी लोग ऐसी भाषा बोल रहे थे, जो आम आदमी नहीं समझ पा रहा था। संभवत: भाषा उडिय़ा या कोई अन्य थी। जिसकी वजह से इन्हें संदिग्ध बताया जा रहा है। आठ महीने कानपुर में रहने के बाद भी कोई ऐसा नहीं मिला जो हिंदी साफ बोलता हो। सभी के पास से बरामद आधार कार्ड बरपेटा असम के बताए गए। बरपेटा वह जगह है जहां से बांग्लादेश की सीमा चंद किलोमीटर की दूरी पर है। जिसकी वजह से ये संदेह जताया जा रहा है कि कहीं इस बस्ती मेें रहने वाले वे रोहिंग्या तो नहीं।
इन इलाकों में संदिग्धों का डेरा
इंदिरा नगर, सचेंडी बंगाली कॉलोनी, रावतपुर, काकादेव एम ब्लॉक, लाल बंग्ला, कोयला नगर और गंगा पार का इलाका।
शहर में यहां से पकड़े जा चुके रोहिंग्या
रविवार देर शाम रोडवेज बस अड्डे से एटीएस ने चार महिलाओं समेत आठ रोहिंग्या को गिरफ्तार किया था। इसके पहले सचेंडी के बंगाली कॉलोनी से रोहिंग्या गिरफ्तार किए गए थे। लाल बंग्ले से 2020 में एटीएस ने 9 संदिग्ध गिरफ्तार किए थे, जांच में ये बांग्लादेश के रहने वाले बताए गए। वहीं रावतपुर से भी 2019 में संदिग्धों की गिरफ्तारी हो चुकी है। इन्हें भी सुरक्षा एजेंसी ने रोहिंग्या बताया था, साथ ही जांच में पता चला था कि ये अवैध रूप से देश में रह रहे थे।
नकली आधार बनाने वाली एजेंसी
कानपुर में कल्याणपुर इलाके के इंदिरा नगर में 8 महीने से रहने वाले 20 परिवारों की जांच की गई। पुलिस को यहां के रहने वालों ने आधार कार्ड, पैन कार्ड और दूसरी आईडी दिखाईं। जब इनकी जांच की गई तो पता चला कि 2013 में असम में एक कंपनी ने हजारों की संख्या में आधार कार्ड बना दिए गए थे। यही आधार कार्ड लेकर संदिग्ध लोग पूरे देश में घूम रहे हैैं।
आनंद प्रकाश तिवारी, जेसीपी कानपुर कमिश्नरेट