बिकरू कांड के बाद पुलिस एनकाउंटर में मारे गए विकास दुबे के भतीजे अमर दुबे की पत्नी खुशी दुबे को आखिर ढाई साल बाद राहत मिल गई है. सुप्रीम कोर्ट ने खुशी को शर्तों के साथ जमानत दे दी है. खुशी को हफ्ते में एक दिन नजदीकी थाने में हाजिरी लगानी होगी. हालांकि यूपी सरकार ने जमानत का पुरजोर विरोध किया. दलील दी कि खुशी के खिलाफ पुलिस पर फायरिंग के लिए उकसाने का गंभीर आरोप है. जेल में रहने के दौरान दूसरे कैदियों के साथ झगड़े भी किए. खुशी दुबे उसी गैंग का हिस्सा हैं. अगर जमानत दी गई तो फिर गैंग एक्टिव हो सकता है. लेकिन कोर्ट ने सरकार की दलीलों को खारिज करते हुए जमानत मंजूर कर ली.

कानपुर (ब्यूरो) कोर्ट ने जमानत मंजूर करते हुए कहा कि खुशी ट्रायल में सहयोग करेगी। बाकी शर्त सेशन कोर्ट देखेगी। खुशी दुबे को बिकरू कांड के बाद पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। वह 30 महीने बाद जेल से बाहर आएगी। खुशी के अधिवक्ता जजमेंट की कॉपी लेकर कानपुर सेशन कोर्ट में आएंगे। सेशन कोर्ट में सुनवाई के दौरान शर्तें तय की जाएंगी। इस सारी प्रक्रिया में एक सप्ताह का समय लग जाएगा यानी अभी खुशी को एक सप्ताह और जेल में रहना पड़ सकता है।

अखिलेश व प्रियंका ने किया ट्वीट
खुशी दुबे की जमानत के बाद राजनीतिक पार्टियों के पदाधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लेकर ट्वीट करना शुरू कर दिया है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव और कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने ट्वीट करके इसको न्याय करार दिया है।

कौन है खुशी दुबे,
2 जुलाई 2020 की रात को चौबेपुर के बिकरू गांव में दबिश देने गई पुलिस पर गैंगस्टर विकास दुबे ने अपने गैंग के साथ हमला कर दिया था। हमले में डिप्टी एसपी देवेंद्र मिश्रा समेत 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे। मामले में विकास दुबे का भतीजा अमर दुबे भी आरोपी था। अमर की 29 जून को पनकी निवासी खुशी दुबे से शादी हुई थी। बिकरू कांड में गैंगस्टर विकास और उसके कथित भतीजे अमर को पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया था। लेकिन पुलिस ने बिकरू कांड में अमर की पत्नी खुशी दुबे को भी आरोपी बनाया था। जो महज 3 दिन पहले ही ब्याह कर अमर के घर आई थी। पुलिस का आरोप है कि बिकरू कांड के दौरान विकास दुबे का भतीजा अमर पुलिस पर फायरिंग कर रहा था। उसे कारतूस खुशी दे रही थी।

95 सुनवाई के बाद जमानत
चौबेपुर पुलिस ने बिकरू कांड की मुख्य एफआईआर में खुशी दुबे को भी गैंगस्टर विकास दुबे के साथ बराबर का आरोपी बनाया था। हत्या, डकैती, पुलिस पर हमला समेत 16 गंभीर धाराओं में पुलिस ने खुशी को अरेस्ट करके जेल भेजा था। खुशी के वकील शिवाकांत दीक्षित ने बताया कि निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक करीब 95 तारीखों पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने खुशी दुबे को जमानत दी है।

नाबालिग साबित हुईं
खुशी दुबे का केस लड़ रहे वकील शिवाकांत दीक्षित ने पुलिस की कार्रवाई को चैलेंज करते हुए खुशी को नाबालिग बताया था। इसके बाद कोर्ट के सामने नाबालिग होने संबंधित साक्ष्य रखे थे। कोर्ट के आदेश पर खुशी का मेडिकल हुआ और अक्टूबर 2020 में खुशी को नाबालिग कोर्ट ने 16 साल 10 महीने की खुशी को नाबालिग मान लिया था। इसके बाद से उसे सीतापुर बालिका गृह भेजा गया था। मौजूदा समय में बालिग होने के बाद कानपुर देहात की जेल में बंद है। अब सुप्रीम कोर्ट का ऑर्डर जेल पहुंचने के बाद खुशी की रिहाई होगी।

एनकाउंटर के बाद चर्चा में आईं
बिकरू कांड के बाद तीन दिन की विवाहिता को जेल भेजे जाने के बाद खुशी दुबे चर्चा में आई थीं। कानपुर के पनकी में रहने वाले पेंटिंग का काम करने वाले श्याम लाल तिवारी और उनकी पत्नी गायत्री तिवारी की बेटी खुशी तिवारी हैं। दंपती और उनकी बेटी का क़सूर सिर्फ इतना है कि उन्हें मालूम नहीं था कि वह जिस घर में बेटी का ब्याह करने जा रही हैं वह गैंगस्टर विकास दुबे का भतीजा अमर है। बिकरू कांड के महज 3 दिन पहले ही 29 जून को खुशी की शादी अमर से धूम-धाम से रीति-रिवाजों के साथ हुई थी। अभी खुशी के हाथ की मेहंदी का रंग भी नहीं छूट पाया था और पुलिस ने खुशी को बिकरू कांड का आरोपी बनाकर जेल भेज दिया था।

सरकार की ओर से रखी गईं दलीलें
- पुलिस पर फायरिंग के दौरान खुशी गैंग को उकसा रही थी। फायरिंग करने वालों को कारतूस उठाकर दे रही थी।
- जेल में खुशी दुबे का व्यवहार ठीक नहीं था, यह अन्य कैदियों के साथ वह झगड़ा करती थी।
- खुशी की जमानत मिलते ही एक बार फिर से विकास दुबे का गैंग एक्टिव हो जाएगा। वह गवाहों को प्रभावित कर सकती है।
- खुशी दुबे का पति विकास दुबे के शूटर व दाहिना हाथ अमर दुबे की पत्नी है। गैंग का अहम हिस्सा है इसे जमानत नहीं देनी चाहिए।

Posted By: Inextlive